चौसा को अनुमंडल बनाने की मांग तेज, स्थानीय लोगों ने संघर्ष का किया शंखनाद।

Dr.I C Bhagat
0
चौसा को अनुमंडल बनाने की मांग को लेकर संघर्ष समिति बनी 


चौसा मधेपुरा :- मिथिलांचल, सीमांचल और अंग जनपद के त्रिवेणी संगम पर अवस्थित चौसा प्रखंड को अनुमंडल बनाने की वर्षों पुरानी मांग अब जोर पकड़ रही है। राजनीतिक और तकनीकी कारणों से यह मांग अभी तक पूरी नहीं हो सकी है, लेकिन स्थानीय लोग अब इसे लेकर अधिक सक्रिय हो गए हैं।

इसी सिलसिले में शुक्रवार को चौसा पश्चिमी पंचायत स्थित आदर्श नगर में "अपना चौसा" के बैनर तले स्थानीय लोगों की एक बैठक अधिवक्ता विनोद आजाद के आवास पर हुई। इस बैठक में चौसा को अनुमंडल का दर्जा देने की मांग को लेकर व्यापक चर्चा की गई। अधिवक्ता श्री आजाद ने कहा कि 10 दिसंबर 1957 को चौसा को प्रखंड का दर्जा मिला था। लेकिन 68 साल बाद भी यह शासन प्रशासन की नजर में आकांक्षी प्रखंड बना हुआ है। यह प्रखंड की जनता का घोर उपेक्षा है। उन्होंने कहा कि अब इस उपेक्षा को सहन नहीं किया जाएगा और चौसा को अनुमंडल बनने तक संघर्ष जारी रहेगा।

 चौसा में अनुमंडल की सभी योग्यता मौजूद।

साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने कहा कि चौसा प्रखंड अनुमंडल बनने की सभी योग्यता पूरी करता है। उन्होंने चौसा की ऐतिहासिक, धार्मिक, शैक्षणिक और राजनीतिक महत्ता को रेखांकित करते हुए बताया कि यहां पॉलिटेक्निक महाविद्यालय, आईटीआई औद्योगिक संस्थान और दो पावर हाउस पहले से मौजूद हैं। जबकि एक पावर हाउस, पॉवर ग्रिड और अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय निर्माणाधीन हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विगत दो वर्षों में इस मांग को लेकर कई धरना-प्रदर्शन और आंदोलन किए गए। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह मांग सरकारी फाइलों में दबकर रह गई है।

गुलफराज शेख ने भी किया समर्थन, युवाओं को जागरूक होने की अपील

पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गुलफराज शेख ने चौसा को अनुमंडल बनाए जाने की मांग का समर्थन करते कहा कि "यह सिर्फ चौसा के विकास की बात नहीं है, बल्कि यहां के आस-पास के गांवों के निवासियों के हक और सुविधाओं की भी बात है। प्रशासनिक सुगमता, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के लिए अनुमंडल का दर्जा बेहद जरूरी है।" उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इस जन आंदोलन का हिस्सा बनें और लोकतांत्रिक तरीकों से अपनी आवाज़ को बुलंद करें। उन्होंने कहा कि "आज सोशल मीडिया एक बड़ा हथियार बन चुका है, अगर हम संगठित होकर अपनी मांग को सही तरीके से उठाएं तो सरकार को इस पर विचार करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।"

सुव्यवस्थित प्रशासन और विकास के लिए जरूरी है अनुमंडल का दर्जा

बैठक में यहिया सिद्दीकी और कुंदन घोषई वाला ने कहा कि चौसा एनएच 106 और एसएच 57 से जुड़ा हुआ है, जिससे यह राजधानी पटना, नेपाल, झारखंड और पश्चिम बंगाल तक सीधा संपर्क रखता है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी चौसा को अनुमंडल का दर्जा मिलने से स्थानीय विकास को गति मिलेगी और सरकारी कार्यों में तेजी आएगी।

 संघर्ष की नई रणनीति, तदर्थ समिति का गठन 

बैठक में सर्वसम्मति से संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए एक तदर्थ समिति का गठन किया गया। इसमें अजय कुमार खुशबू को संयोजक बनाया गया, जबकि कुंदन घोषई वाला, वीरेंद्र कुमार वीरू, सुनील अमृतांशु और राहुल कुमार यादव को नामित किया गया। बैठक के अंत में चौसा को अनुमंडल का दर्जा दिलाने के लिए संगठित संघर्ष करने का संकल्प लिया गया और कहा गया कि यदि सरकार जल्द निर्णय नहीं लेती है तो आंदोलन को और अधिक तेज किया जाएगा। बैठक में शामिल प्रमुख व्यक्तियों में संजय कुमार, मनीष अकेला, कुमार साजन, अंसार आलम, शहंशाह कैफ, गुलजार रजा, शिक्षक व समाजसेवी रंजीत कुमार, सआदत हसन, जवाहर चौधरी, नीतीश कुमार, कुंजबिहारी शास्त्री, प्रभाष सारथी और अमित कुमार ठाकुर सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।




एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)
//banner