कोशी तक/ सिंहेश्वर मधेपुरा
पर्यटन विभाग की विकास भी विरासत भी योजना से मधेपुरा जिला में अवस्थित बिहार के प्रसिद्ध शिव मंदिर बाबा सिंहेश्वर नाथ सहित राज्य के 15 शिवलिंगों को विकसित करने का निर्देश जारी किया है। इसके लिए पर्यटन विभाग ने राज्य के 12 जिले के जिलाधिकारी को पत्र भेजा है। अपने पत्र में इन प्रसिद्ध शिव मंदिरों को शिव सर्किट से जोड़ने की जानकारी दी है। पर्यटन विभाग ने बिहार के 12 जिलों के 15 शिव मंदिरों को विरासत के रूप में विकसित करने के लिए चयनित किया है। पर्यटन विभाग से इसकी सूचना मिलने के बाद डीएम ने अपने अपने मंदिर के विकास की कार्य योजना के क्रियान्वयन के लिए भूमि चिंहित कर उसके स्वामित्व तथा नजरी नक्शा से संबंधित विस्तृत प्रतिवेदन विभाग को भेजने की तैयारी की जा रही है। सिंहेश्वर मंदिर से संबंधित भूमि की पूरी रिपोर्ट भी भेजा जाएगा। जिसके आधार पर बाबा सिंहेश्वर नाथ मंदिर के विकास के लिए पूरी कार्य योजना तैयार कर परिवर्तन विभाग को उपलब्ध कराई जाएगी। पर्यटन विभाग ने राज्य में शिव सर्किट के रूप में प्रसिद्ध शिव मंदिर को विकसित करने का निर्णय लिया है। जिसके तहत 1. वैशाली के हरिहरनाथ मंदिर हरिहर क्षेत्र, 2. पूर्वी चंपारण के सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर अरेराज, 3. दरभंगा के कुशेश्वर नाथ मंदिर कुशेश्वरस्थान, 4. मधुबनी के एकादशी रूद्र मंदिर राजनगर, 5. मधुबनी के कपिलेश्वर स्थान रहिका, 6. मधेपुरा के बाबा सिंहेश्वर नाथ महादेव मंदिर सिंहेश्वर, 7. अररिया के सुंदर महादेवपुर मंदिर कुर्साकांटा 8. कटिहार के गोरखनाथ मंदिर 9. भागलपुर के अजगैबीनाथ नाथ मंदिर सुल्तानगंज भागलपुर 10. भागलपुर के बाबा बटेश्वर नाथ मंदिर बटेश्वर धाम कहलगांव 11. गया के कोचेश्वर स्वर्ण मंदिर कोंच 12. मधुबनी के मदनेश्वर स्थान 13. मुजफ्फरपुर के भैरव स्थान मंदिर औराही 14.सिवान के महेंद्र नाथ मंदिर सिसवन 15. पटना के बैकुंठ पुर धाम खुशरूपुर के प्रसिद्ध शिव मंदिरों का चयन किया गया है। इन सभी शिव मंदिरों में सभी जगह की सभी प्रकार की सुविधाओं का विकास किया जाएगा।
बाबा सिंहेश्वर नाथ मंदिर प्रवेश द्वार
बाबा सिंहेश्वर नाथ का प्राचिनतम इतिहास है।
कहा जाता है बाबा सिंहेश्वर नाथ शिव लिंग की स्थापना स्वयं जगत के पालन हार भगवान विष्णु ने किया था। और भगवना राम के जन्म के लिए राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ भी यही श्रृंगीऋषि के आश्रम और परवाने नदी के तट पर हुआ था। उसका अवशेष सतोखर में समय समय पर खुदाई में मिलता है। जिसको विकसित करने की जरूरत है। जिसके निमित्त पुर्वजों ने यहा भगवन राम का एक मंदिर का निर्माण कराया था। जो समुचित रख रखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील हो गया था। आज से 22 साल पहले स्थानीय युवाओं ने उस खंडहर को एक विशाल द्रविड़ शैली के मंदिर में बदल दिया है। उसका आकर्षण भी पर्यटकों को लुभाने के लिए मिल का पत्थर साबित होगा।