कृष्ण के भावपूर्ण अभिव्यक्ति से सीख लें, इच्छाओं का त्याग कर कर्म पर ही करें विश्वास -डा. अरविन्द वर्मा

Dr.I C Bhagat
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भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केन्द्र के संस्थापक डा. अरविन्द वर्मा ने कही गीता की अनमोल बातें 


कोशीतक/ खगड़िया 


जिस मनुष्य के मन में किसी प्रकार की इच्छा या कामना होती है, उसे कभी सुख शांति प्राप्त नहीं होती। इसलिए सुख शांति प्राप्ति के लिए मनुष्य को सबसे पहले अपनी इच्छाओं का त्याग करना होगा। उक्त बातें, अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केन्द्र के संस्थापक डा. अरविन्द वर्मा ने भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के अवसर पर मीडिया से कही। आगे उन्होंने कहा हम कर्म के साथ उसके आने वाले परिणाम के बारे में सोचते हैं जो हमें कमजोर बना देता है। हमें परिणाम की चिंता नहीं कर सिर्फ़ अपने काम पर ध्यान देना चाहिए जिससे हम अपने कर्तव्य का पालन कर सकें। यही गीता में प्रबंधन का आदि सूत्र है। श्री कृष्ण का व्यक्तित्व असीम करुणा से परिपूर्ण है लेकिन अनीति और अत्याचार का प्रतिकार करने वाला उनसे कठोर व्यक्ति शायद ही कोई मिले। डा. वर्मा ने कहा भगवान श्री कृष्ण से प्यार करने वालों के लिए वे उनके पास नंगे पांव दौड़ जाते थे। वहीं दुष्टों को दंड देने के लिए अति कठोर और निर्मम भी हो जाते थे। भगवान श्री कृष्ण 64 दिनों में 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिए थे। उन्होंने 64 कलाओं के साथ-साथ संगीत, नृत्य और युद्ध की कला भी सीखी थी। आगे डा. वर्मा ने कहा गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था जो भक्त मुझे जिस भावना से भजता है, मैं भी उसको उसी प्रकार से भजता हूं। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर देश वासियों से अपील किया कि श्री कृष्ण के भावपूर्ण अभिव्यक्ति से सीख लेनी चाहिए और सिर्फ़ कर्म पर ही विश्वास करनी चाहिए तभी सुख, शांति मिल सकती है।

खगड़िया से एएनए/ एसके वर्मा 

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