कोशी तक/सिंहेश्वर मधेपुरा
नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा संबंधी मामूली परीक्षा देने के आधार पर मुख्यमंत्री की घोषणा के विरूद्ध नियमावली अधिसूचित किया जाना एवं विभागीय आदेश के द्वारा ऑनलाईन परीक्षा के संबंध में अनुमंडल पार्षद बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ मधेपुरा की अमृता कुमारी ने सरकार से कहा सार्वजनिक तौर पर आपने नियोजित शिक्षकों को भी मामूली परीक्षा के आधार पर राज्यकर्मी बनाने की घोषणा की थी। लेकिन 'विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023' में परीक्षा में शामिल होने वाले शिक्षकों के लिए कठिन से कठिन शर्त लाद दी गयी है। शिक्षकों को तीन जिले का विकल्प देना होगा, अन्यथा उन्हें जहा तहा तबादला कर दिया जायेगा। जिले के विकल्प देने के समय उनके सामने उन जिलों की रिक्तियां नहीं होगी। वे अंधकार में रहेंगे। इसलिए प्रावधान को हटा देने की मांग की। शिक्षकों के लिए ऐच्छिक स्थानान्तरण का ही प्रावधान किया जाय। उन्होंने बताया की इस संबंध में बिहार राज्य शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव डा. शत्रुघन प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री को आवेदन देकर मांग की। की जहा तक ऑनलाईन परीक्षा का विभागीय आदेश है। इसका उल्लेख नियमावली में नहीं है। जब दो लाख से अधिक शिक्षकों की बहाली लिखित परीक्षा ऑफलाईन ली गई। तो नियोजित शिक्षकों के लिए ऑनलाईन परीक्षा का कोई औचित्य ही नहीं है। पुराने शिक्षकों को कम्प्यूटर का भी कभी प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। जो शिक्षक 50 वर्ष की सीमा पार गये हैं। उन्हें इस प्रशिक्षण से कोई लाभ नहीं होगा। इसलिए इन कठिन शत्तों को स्वीकार नहीं करेंगे। वे अपमानजनक एवं असुविधाओं में नियोजित ही रहना चाहेंगे। आपकी घोषणा का सम्मान विभाग नहीं कर रहा है। इससे शिक्षकों में भयंकर आक्रोश है। विभाग द्वारा ऑनलाईन परीक्षा का आदेश देना माननीय मुख्यमंत्री के घोषणा का खुल्लम-खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा तरह मनमानीपूर्ण शिक्षकों को प्रताड़ित करने वाले आदेशों को बर्दास्त नहीं कर सकेंगे। यह सबके लिए सम्मानजनक भी नहीं है। शिक्षकों का तो सम्मान करना विभाग ने प्रायः समाप्त ही कर दिया है। आपसे व्यक्तिगत और कई बार पत्रों के माध्यम से आपका ध्यान आकृष्ट किया गया है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने मांग करते हुए कहा नये शिक्षामंत्री के साथ आपकी अध्यक्षता में हमलोगों के साथ इन आवश्यक बिन्दुओं पर विचार-विमर्श हेतु तुरत एक बैठक आयोजित कि जाय। पूरे राज्य के 4 लाख प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों में काफी आक्रोश है। इससे पठन-पाठन भी प्रभावित होगा। यदि शीघ्र इसका समाधान नहीं हुआ तो शिक्षकों को बांझ आश्वासन देकर अधिक दिनों तक धैर्य धारण नहीं कराया जा सकता है। सरकार को समझाने वाले लहजे में कहा आपकी घोषणाओं के सम्मान में अभी तक संघर्ष की घोषणा नहीं की है। इसे हमारी कमजोरी नहीं समझी जाय। आशा है कि शीघ्र विचार-विमर्श के लिए समय तय किया जायगा। ताकि शिक्षकों को सड़क पर उतरने के लिए विवश नहीं होना पड़ें।