स्वतंत्र भारत में हमारा संविधान लागू हुआ था जिस पर चलकर भारत उन्नत और सुव्यवस्थित बना
कोशी तक/ सिंहेश्वर मधेपुरा
सिंहेश्वर मेला ग्राउंड मैदान में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्री हरि कथा के दूसरे दिन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी अमृता भारती जी ने कहा कि आज एक बार फिर देश भक्ति गीतों से भारतीय जन गण मन झूम उठे हैं। इसी दिन स्वतंत्र भारत में हमारा संविधान लागू हुआ था जिस पर चलकर भारत उन्नत और सुव्यवस्थित हो सके। हिंसा भ्रष्टाचार एवं अन्य अपराधों से देश पूर्ण रूपेण मुक्त हो सके। लेकिन अफसोस है कि संविधान के लागू होने के इतने वर्षों बाद भी,नियमों और कानून को ताक पर रखकर नित नए अपराध हो रहे हैं। क्योंकि परिवर्तन सिर्फ नियम और कानून के द्वारा नहीं होता आत्मिक रूप से जागृत होने पर होता है। और आत्मिक जागरण का कार्य आध्यात्मिक ज्ञान करता है। आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा ही महर्षि अरविंद ने स्वतंत्रता संग्राम को प्राणवान बनाया था। श्री विष्णु भास्कर लेले द्वारा आत्म ज्ञान प्राप्त कर महर्षि अरविंद ने देश के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी से किसी ने पूछा राष्ट्र सेवा बड़ी है या आत्म उत्थान गुरुदेव ने मार्मिक वचन कहे बड़ी तो राष्ट्र सेवा ही है पर आत्मिक जागृति व उत्थान के बिना पूर्ण रूप से राष्ट्र की सेवा भी नहीं की जा सकती। आध्यात्म ही निस्वार्थ, सद्भावना और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है । शिष्य स्वामी धनंजया नंद जी ने कहा कि जब कोई निस्वार्थ भाव से देश के उत्थान के लिए कार्य करता है। तो भगवान भी उसकी सहायता करते हैं। एक बार कारागार में बंद महर्षि अरविंद के समक्ष प्रभु श्री कृष्ण प्रकट होते हैं और प्रभु अरविंद से कहते हैं की निराश क्यों होते हो अरविंद यहां तुम अकेले नहीं हो मैं भी तुम्हारे साथ हूं सदैव। अरविंद दिल छोटा मत करो क्योंकि नियति ने यह सब तुम्हारे लिए चयनित किया है। स्वतंत्रता की क्रांति आंतरिक शांति के बिना सफल नहीं हो सकती। एक जलता हुआ दीपक ही बुझे हुए दीपकों को जला सकता है अरविंद तुम्हें वह जलता हुआ दीपक बनना है। अपने ज्ञान के प्रकाश से सारे विश्व को जगमगाना है। इस कारागार को ही क्रांति की धुरी बना दो अरविंद यहां बैठकर ध्यान करो और दिव्य शक्ति का संचार करो वह दिव्य शक्ति जो जन-जन के भीतर प्रवाहित हो सके। वह असीम शक्ति जो सांसारिक क्रांतिकारियों के पास नहीं है वह तुम्हारे पास है उसका संचार करो यही सूत्र है। पूर्ण स्वराज की क्रांति का। अरविंद कारागार में 1 साल तक गहन साधना कर रिहा हुए। रिहा होकर कहते हैं कि दिव्य शक्ति हमारा निरंतर मार्गदर्शन कर रही है और वही हमें स्वतंत्र कराएगी। उस दैवी शक्ति का आदेश है कि मैं साधना पथ पर आगे बढ़ूं और उनका कार्य करूं। सनातन धर्म से मानवता को जोड़ने का कार्य है। क्योंकि जब धर्म का विस्तार होगा तभी भारत का विस्तार होगा और तभी इस विश्व का कल्याण होगा। सनातन धर्म का विस्तार ही सच्ची देशभक्ति है। वंदे मातरम। भारत माता की जय।