कोशी तक /सिंहेश्वर मधेपुरा
आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ ने बिहार के आंगनबाड़ी सेविका सहायिका बहनों को 29 सितंबर से अपने स्वाभिमान के लिए हड़ताल रह कर सभी झंझावात का बहादुरी से सामना करते हुए अपनी ऐतिहासिक और चट्टानी एकता का सबुत देने के लिए बधाई दिया है। उन्होंने कहा संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंगनवाड़ी सेविका सहायिकाओं का ऐतिहासिक और सफलता पूर्ण हड़ताल से सरकार घबरा गयी है। इसलिए बिहार सरकार अवैध ढंग से हड़ताल तोडने के लिए दमनकारी नीति अपना रही है। इस तरह की दमनकारी नीति पूरे भारत के किसी राज्य में ऐसा नहीं हुआ। सरकार के कारनामे को उजागर करते हैं कहा पटना में चार दिनों तक 96 घंटे शांतिपूर्वक घेरा डालो, डेरा डालो महापड़ाव कार्यक्रम के दौरान हजारों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बेरहमी से पीटा गया। वाटर कैनन का प्रयोग किया गया। संघ के नेताओं को पीटा और सड़कों पर घसीटा कर गिरफ्तार किया गया। महिलाओं के चिर हरण किए गये। 15 नामजद सहित हजारों अज्ञात सेविका सहायिका एवं अभिभावकों पर केस दर्ज किए गये। हज़ारों लोग घायल हुए, दर्जनों का हाथ पैर टूटे, वाटर कैनन प्रयोग के दौरान कई सेविका सहायिका को बिजली के झटके महसूस हुए, जिसमें एक सेविका बेहोश हो गई जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। पिटाई के कारण एक सहायिका का इलाज के दौरान मौत हो गई। महापड़ाव के बाद भी दमन चक्र जारी है। सरकार के बयान के मुताबिक अभी तक 15 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं को गैर कानूनी ढंग से चयन मुक्त किया गया। हड़ताल करने वाले सेविकाओं और सहायिकाओं को चयन मुक्ति की धमकी देकर चयन मुक्ति की अवैध पत्र घरों पर चिपका कर मानसिक प्रताड़ना देने का काम कर काम पर वापस लाने का अवैध कोशिश किया जा रहा है। इस कृत के कारण एक सहायिका का हार्ड अटैक में मौत हो गई। अधिकारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेताओं का नाम लेकर उनकी हड़ताल से वापसी का झूठी खबर फैला रहे हैं। यह सब के बावजूद भी सरकार 25 प्रतिशत सेविका सहायिकाओं को भी काम पर वापस लाने में कामयाब नहीं हो सकी। 75 फीसदी से ज्यादा आंगनबाड़ी सेविका सहायिका बिहार में अभी भी अपने संवैधानिक व जायज मांगों को लेने के लिए लड़ाई के मैदान में निर्भीकता के साथ खड़े हैं। और मर मिटने को तैयार है। उन्होंने बताया उपलब्ध जानकारी के मुताबिक सरकारी अफवाह और दवाब के कारण जो परियोजनाएं हड़ताल खत्म कर दिया था। वह बड़े पैमाने पर हड़ताल में वापस आ रहे है। सरकार का असली चेहरा भी साफ-साफ झलक गया। यह सरकार लोकतंत्र का सभी मर्यादाएं तोड रहे है। गैर कानूनी ढंग से बड़े पैमाने पर चयन मुक्ती करके सरकार सभी श्रम कानूनों का उल्लघंन कर रहे है। समाज कल्याण मंत्री एवं प्रधान सचिव मजदूरों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलते हुए बेशर्मी के साथ हड़ताल वापसी उपरांत वार्ता की राजशाही व गैरजिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। और हड़ताली यूनियनों से वार्ता करने से इनकार कर रहे है।बैठक में सर्वसम्मति से अनिश्चितकालीन हड़ताल को जारी रखने का निर्णय लिया। आंगनबाड़ी केंद्र का ताला किसी भी कीमत पर नहीं खोलने का निर्देश दिया गया। संयुक्त संघर्ष समिति ने अगले चरण का आन्दोलन हेतू निम्नलिखित निर्णय लिया।1. 29 नवंबर से पुनः परियोजना स्तर का धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। सभी डीपीओ, सीडीपीओ को गैरकानूनी चयन मुक्ती वापस कराने का और तुरन्त वार्ता करने के मांगों को लेकर पत्र दिया जाएगा। 2. 1 और 2 दिसंबर 2023 को सैकड़ों की संख्या में आंगनवाडी सेविका और सहायिकाएं सभी एमएलए और मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र कार्यालय के सामने "जवाब मांगो" प्रदर्शन करके निवेदन देंगे। 3. 10 दिन के अन्दर सरकार चयन मुक्ती रद्द करके वार्ता के लिए तैयार नही हुआ। तो संयुक्त संघर्ष समिति बैठक करके मंत्रियों के घरों के सामने चयन मुक्त एवम् सभी सेविका सहायिकाओं का पडाव समेत कई कार्यक्रम किया जायेगा।