बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू।
छुट्टी रद्द करने के आदेश को अविलंब वापस लें सरकार- पप्पू
सिंहेश्वर मधेपुरा
बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू ने मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर निदेशक माध्यमिक शिक्षा के द्वारा सरकारी विद्यालयों में विभिन्न पर्व त्योहारों के अवसर पर छुट्टियां रद्द करने के आदेश को अभिलंब वापस लेने की मांग की है। इस बाबत श्री पप्पू ने कहा है कि निदेशक माध्यमिक शिक्षा, शिक्षा विभाग बिहार पटना के ज्ञापन 2112 दिनांक 29 अगस्त 2023 के द्वारा मनमानी पूर्वक राज्य के प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पूर्व से घोषित अवकाश को रद्द कर दिया गया है। जिससे राज्य के शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को रक्षाबंधन, कृष्णाष्टमी, तीज और चौरचंद जैसे महत्वपूर्ण भारतीय त्योहारों के अवसर पर छुट्टी नहीं मिलेगी। छठ एवं दुर्गा पूजा जैसे महत्वपूर्ण अवकाशों मैं कटौती कर नाम मात्र की छुट्टियां दी गई है। जबकि उक्त अवसरों पर खुद शिक्षा विभाग के सभी कार्यालय एवं अन्य सरकारी कार्यालय बंद रहेगा। बिडंबना है कि इन महत्वपूर्ण त्योहार के दिन बच्चे विद्यालय नहीं पहुंचेंगे। यह बच्चों को अपने संस्कृति और रीति रिवाज मानने से वंचित करने का षड्यंत्र एवं बाल अधिकारों का हनन है। भारतीय सभ्यता - संस्कृति के खिलाफ साजिश है। निदेशक महोदय के उक्त आदेश में उल्लेखित है। कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्राथमिक विद्यालयों में 200 दिन एवं मध्य विद्यालयों में 220 दिन कार्य दिवस का प्रावधान है। जिसे पूरा करने के लिए सभी अवकाशों को रद्द किया गया है। जबकि राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश, राष्ट्रीय त्योहार, महापुरुषों के जयंती एवं सभी धर्मों के विभिन्न पर्व - त्योहार को मिलाकर साल के 365 दिनों में मात्र 60 दिनों का अवकाश तथा 52 दिन रविवार या शुक्रवार का सप्ताहांत अवकाश ही देय है। इस प्रकार वर्तमान में राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में कुल कार्य दिवस 253 दिन होता है। जो शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुकूल हैं। देश केंद्रीय विद्यालयों में भी 144 दिन के सार्वजनिक अवकाश के साथ-साथ प्रत्येक माह के दूसरे शनिवार को छुट्टी रहती है। उन्होंने मुख्यमंत्री से निदेशक माध्यमिक शिक्षा के उक्त आदेश पर अविलंब रोक लगाए जाने की मांग की है। अन्यथा राज्य के लाखों शिक्षक आंदोलन करने को विवश होंगे।