76 वां वन महोत्सव का उद्घाटन करते वन प्रमंडल पदाधिकारी
कोशी तक/सिंहेश्वर मधेपुरा:- बीएनएमयू नार्थ केंपस सिंहेश्वर मधेपुरा में 76 वां वन महोत्सव का उद्घाटन वन प्रमंडल पदाधिकारी सहरसा भरत चिन्तापल्ली के द्वारा पौधा लगाकर किया गया। साथ ही बीएनएमयू नार्थ केंपस के पुस्तकालय विभाग में पंक्तिबद्ध होकर विश्व विद्यालय के कई विभागों के एचओडी प्रो. अशोक कुमार, प्रो. विएन विकेका, प्रो. उमा शंकर चौधरी, प्रो. राणा के साथ वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी मधेपुरा निरज कुमार सहरसा विरेंद्र कुमार के साथ अन्य कई पदाधिकारी ने पौधा लगाया। इस अवसर पर बीएनएमयू के छात्रों के बीच चित्रकला और क्वीज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें दोनों विधा में प्रथम 3 प्रतिभाशाली छात्रों को पुरस्कृत किया गया। प्रतिभागियों को सम्मानित करते वन प्रमंडल के पदाधिकारी
कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद विश्व विद्यालय के संगीत के छात्र छात्राओं ने अतिथियों के लिए स्वागतम स्वागतम मन के बीना का स्वागत गान गाकर सब को मंत्रमुग्ध कर दिया। वन विभाग ने आए सभी अतिथियों का स्वागत पर्यावरण संरक्षण हेतु पौधा देकर किया।अतिथियों को पौधा दे सम्मानित करते वन पदाधिकारी
इस अवसर पर वन प्रमंडल पदाधिकारी भरत चिंतापल्ली ने कहा वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य वनों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना है। इसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है। आज टेंपरेचर बढ़ने के कारण ग्लेशियर पिघल रहा है। सभी लोग पौधे जरूर लगाएं।
वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी मधेपुरा निरज कुमार सिंह ने कहा वन महोत्सव के मुख्य उद्देश्य वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर भारत में हरियाली बढ़ाना। उन्होंने कहा पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन को कम करने, मिट्टी के कटाव को रोकने, स्वच्छ हवा और पानी उपलब्ध कराने और जैव विविधता को बढ़ावा देने में पेड़ों और वनों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना। उन्होंने कहा पारिवारिक परिस्थितियों में अगर एक पेड़ काटना पड़े तो पहले 2 पेड़ जरूर लगाएं। बीएनएमयू नार्थ केंपस में वृक्षारोपण करते अतिथि, वन पदाधिकारी
वही मनोविज्ञान के एचओडी प्रो. अशोक कुमार ने कहा वन महोत्सव की शुरुआत मोहिंदर सिंह रंधावा ने 1947 में 20 जुलाई से 27 जुलाई तक भारत का पहला वृक्षारोपण महोत्सव आयोजित किया। यह परंपरा जारी रही और 1950 में खाद्य एवं कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने इसे आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय आयोजन बना दिया। उन्होंने कहा लोगों की सामाजिक जिम्मेदारी है। कि पर्यावरण की देखभाल के लिए प्रोत्साहित करना और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना। सेल्फी पाइंट पर सेल्फी लेते वन पदाधिकारी , कर्मी
प्रो. बीएन विवेका ने वनों के महत्व को समझाकर कहा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा होने के नाते, यह त्योहार लोगों को प्रकृति के प्रति एकता और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देता है। वन महोत्सव एक ऐसा उत्सव है जो न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। अधिकारियों ने सेल्फी पाइंट पर फोटो भी सुट किया। मौके पर वन परिसर पदाधिकारी मधेपुरा विजय कुमार, सिंहेश्वर राकेश कुमार, उदाकिशुनगंज बेचन देव झा, वन उप परिसर पदाधिकारी अरविंद कुमार, पृष्पा कुमारी, प्रियंका कुमारी, चांदनी कुमारी, रुपम कुमारी, दामिनी कुमारी, संजय कुमार, प्रेमचंद कुमार, कंप्यूटर आपरेटर चंद्र मनी भारती, सरोज कुमार सिंह, प्रकाश कुमार, मनोज कुमार सहित सैकड़ों छात्र छात्राएं मौजूद थे।
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