कोशी तक/ सिंहेश्वर मधेपुरा:- मधेपुरा के गौशाला में इप्टा के बैनर तले एक कार्यक्रम में चर्चित भोजपुरी लोकगायिका और पॉलिटिकल सटायर लिखने-गाने वाली नेहा सिंह राठौर ने एक से एक पालिटिकल सटायर गाकर उपस्थित दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा चुनाव लडने की संभावना पर कहा अगर कोई पॉलिटिकल पार्टी उनसे चुनाव लड़ने के लिए संपर्क करती है, तो वह इसपर विचार कर सकती हैं। फिलहाल ऐसा कोई विचार नही किया है। लेकिन भविष्य में चुनाव लडने की संभावनाओं से परहेज भी नहीं है। नेहा ने कहा कि अगर किसी पार्टी से चुनाव लडने का प्रस्ताव आता है, तो वह इसके बारे में सोच सकती है। इस दौरान न्यूज सिंहेश्वर के प्रसिद्ध पत्रकार मनीष वत्स ने उसका इंटरव्यू किया। इंटरव्यू के अंश
मनीष-आप सरकारों के काम-काज और वादों पर सवाल उठाती रहती हैं, आपकी नजर में विकल्प कौन है?
नेहा-मुझे नहीं पता विकल्प क्या है भैया, क्या ही मैं बोलूं. लोग (नेता और राजनीतिक पार्टियां) विकल्प बनकर आते हैं. जनता को भी लगता है कि यही लोग विकल्प देंगे. लेकिन आम जनता, खासकर युवाओं को निराशा ही हाथ लगती है. इसलिए मैंने बिहार के संदर्भ में भी गाया था कि- ’15 साल चच्चा रहले 15 साल पप्पा, तबो न मिटल बेरोजगारी के ठप्पा, बिहार में का बा….’ सरकारें बदलाव नहीं ला पाती है. इसलिए मैं सभी पार्टियों से सवाल करती हूं. सब झूठे पड़े हुए हैं।
मनीष-आप लोकगायिका के रूप में चर्चा में आईं, अब आप पॉलिटिकल कटाक्ष कर रहीं हैं?
नेहा-भोजपुरी में पॉलिटिकल सटायर कोई शायद नहीं लिख रहा था। तो मुझे लगा कि भोजपुरी सिर्फ लहंगा उठा देब रिमोट से… जैसे गानों के लिए नहीं हैं. इसकी अपनी समृद्ध विरासत है। फिर मैंने भोजपुरी में पॉलिटिकल सटायर लिखने लगी। इसे युवा वर्ग पसंद करते हैं। आज युवाओं की स्थिति काफी खराब है। कई पिता ऐसे हैं जो जमीन गिरवी रखकर, तो मां गहने बेचकर बेटे को पढ़ने के लिए पटना-दिल्ली भेजते हैं। पढ़ने की उम्र बीत जाती है, पर उन्हें नौकरी नहीं लगती है। ऐन मौके पर पेपर लीक हो जाते हैं। ऐसे में सरकारों से सवाल तो बनता ही है
मनीष-आप सोशल मीडिया से ही चर्चा में आईं. जो लोग आपके गीतों को नहीं पसंद करते हैं, उनके कमेंट को कैसे हेंडल करती हैं?
नेहा– हां! ये सच है. अब सोशल मीडिया पर एग्रेसिव कमेंट आते हैं। इससे बहुत स्ट्रेस होता है। लेकिन सिर्फ नेगेटिव कमेंट करने वाले ही नहीं हैं। कोई एक व्यक्ति अगर गाली-गलौज करता है, तो 10 लोग पक्ष में भी खड़े हो जाते हैं। सोशल मीडिया के कमेंट खासकर महिलाओं के लिए बहुत खराब होते हैं। लोगों ने मेरे बाल से लेकर चेहरे के पिंपल को लेकर कमेंट किए। लेकिन, अब चार-पांच साल से सोश्ल मीडिया पर एक्टिव हूं। सच कहूं तो अब मैं बहुत ज्यादा ढीठ हो चुकी हूं।
मनीष- आप भोजपुरी के आजकल के गीतों और ओटीटी को किस रूप में देखती हैं?
नेहा-भोजपुरी में बहुत कम लोग अब लोकगीत गा रहे हैं। स्व. शारदा सिन्हा जी विशुद्ध रूप से लोकगायिका थीं। उनकी रोमांटिक गीत भी खूब चर्चित हुए। अब फूहड़ और अश्लील गीत बन रहे हैं। अहिरान, बबुआन चल रहा है। उनका भी एक वर्ग है, मनोरंजन के लिए. 1990 के दशक वाले तथाकथित भोजपुरी सुपरस्टार कहलाने वाले लोगों ने भोजपुरी भाषा को खराब किया। लेकिन संभ्रांत लोग आज भी लोकगीत को पसंद और सुनते हैं। ओटीटी पर भी अश्लीलता फैलाई जा रही है। मैं इसपर कम ही जाती हूं।