कोशी के लाल सहरसा निवासी जय झा के सुरीले संगीत में झुम उठा सिंहेश्वर महोत्सव के श्रोता।

Dr.I C Bhagat
0


वेदांता पब्लिक स्कूल के द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम 


कोशी तक / सिंहेश्वर मधेपुरा:- सिंहेश्वर महोत्सव के दुसरे दिन स्थानीय कलाकारों ने भी अपना शमा बिखेरने में पिछे नही रहा। एक से एक प्रस्तुति देकर श्रोताओं को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया। कार्यक्रम मे वेदांत पब्लिक स्कूल के छात्रों ने शिव पार्वती विवाह का अद्भुत प्रस्तुति देकर लोगों का दिल जीत लिया। वही कीडस वर्ल्ड स्कूल के नन्हे नन्हे बच्चों ने जय शंकरा पर किए नृत्य को भी लोगों ने सराहा। वही ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल स्कूल के बच्चे ने एक से एक नृत्य प्रस्तुति देकर अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी। स्थानीय कलाकारों ने अपनी कला से एक बड़ा मंच पर अपनी प्रतिभा को साबित किया। मगध से आए राजा ने अपनी छाप छोड़ने में कोई कसर नही छोड़ी। उसके कसीदे में मंच से 4 लाइन कहा गया। "राजा तुम राजा हो संगीत की दुनिया में राज करोगे, यूं ही गाते रहे तो एक दिन भारत की आवाज बनोगे, मिले तुम्हें बाबा सिंहेश्वर का आशीर्वाद ऐसा, की मगध का हो एक दिन मगध का संगीत सम्राट बनोगे। नीजी विधालय के छात्रों द्वारा की गई प्रस्तुति 

जय झा ने छोड़ी अपनी गायकी का छाप।

कोशी के लाल जय झा ने मंच पर आते ही नीरस हो रहे सिंहेश्वर महोत्सव में जान सी फुंक दी। उसके एक एक हाव भाव उच्च स्तरीय कलाकार की झलकी दिखाई दे रहा था। गणेश वंदना से मंच पर पहुंचे मिथला के युवा जय झा ने साबित कर दिया आने वाला समय उसका है। गायन के दौरान खुद तो डांस किया ही पुरे श्रोताओं को अपनी धुन पर नचा कर रख दिया। उसके गाने चोरी से आना चुपके से जाना अच्छी नही दिल्लगी। मुझसे शादी करोगी। के धुन पर क्या बच्चे क्या बुढ़े सभी झुम उठें। जय झा के गीत पर झुमते दर्शकों की फौज स्टेज पर उतरकर दर्शकों के बीच गायक कोशी के लाल जय झा सहरसा के जय झा सिंहेश्वर महोत्सव को यादगार बनाया

उसके एक एक अंदाजा पर दर्शक झुमते रहे। उसके सबसे फेमस गीत "योगी या... लग्न लगन लगन लगन लगी तुमसे मेरी लगन लगी, आंखें तेरी दरस को तरसे याद में तेरी नैना बरसे होठों पर है नाम तेरा सांसों में है नाम तेरा लगे लगन लगन लगन लगन लगी" ने जैसे श्रोताओं में जान सी फुंक दी। यही नही कोशी के लाल जय झा ने अपनी सुरीली आवाज से से दिल ही नही जिगर भी जीत लिया। उसने तू मेरी जिंदगी है तु मेरी हर खुशी है, पहली मोहब्बत का एहसास है तू , बुझ के जो बुझा ना पाए वह एहसास है तू, बचना ए हसीना लो मै आ गया, वही श्रोता उस समय कुर्सी पर चढ़कर डांस करने लगे जब जय झा ने परोसी के चुल्हे से आग लैय लै। बीड़ी जलैले जिगर से पिया। जिगर में बड़ी आग है। जय अपनी संगीत की शिक्षा काशी में पुरी की। इसकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा 7 साल काशी में रहे वहा के मसाने की होली का विश्व में कोई जबाब नही है। होली खेले मसाने में में हो होली खेले मसाने में पर दर्शक दीर्घा की महिला और युवतियां भी डांस करने से अपने आप को रोक नही सकी। गायक जय झा को बाबा मंदिर का स्मृति चिन्ह से सम्मानित करते गायक जय झा अलग अलग अंदाज में दिखते मगध सम्राट गायक राजा को स्मृति चिन्ह से सम्मानित करते एसडीओ 

मौके पर जय झा को सम्मानित करते समय कहा जय हो एक दिन तेरा ही जय जयकार होगा संगीत की दुनिया में तेरा बड़ा आकार होगा, जय हो बाबा सिंहेश्वर नाथ की नजर बनाए रखना इस पर क्यों कि यह भारत का सबसे बड़ा फनकार होगा। उसके बाद उसके पिता को भी स्टेज पर बुलाकर सम्मानित किया गया। मौके पर एडीएम अरुण कुमार, एसडीओ संतोष कुमार परिवार के साथ, कला संस्कृति अधिकारी अम्रपाली कुमारी, प्रो. भुपेंद्र प्रसाद यादव मधेपुरी, समाजसेवी शौकत अली, विजय कुमार सिंह, पुजारी अमरनाथ ठाकुर उर्फ लालबाबा शंकर ठाकुर उर्फ रघु बाबा, दीपक ठाकुर, संत गंगा दास, जय नारायण पंडित मौजूद थे।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)
//banner