दीप जलाकर दीप दीपावली का उद्घाटन करते नगर अध्यक्ष पुनम देवी
देव दीपावली पर शिवगंगा तट का विहंगम दृश्य
कोशी तक/ सिंहेश्वर मधेपुरा
श्रृंगी ऋषि सेवा फाउंडेशन की ओर से सिंहेश्वर मंदिर प्रांगण में स्थित शिवगंगा पर बाबा भोलेनाथ को समर्पित देव दीपावली हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शिव गंगा तालाब पर 2108 दीपक जलाया गया। भगवान शिव के प्रांगण स्थित शिवगंगा के तट पर देव दीपावली में विहंगम दृश्य देखने को मिला। कार्यक्रम का शुभारंभ नगर पंचायत अध्यक्षा पुनम देवी ने दीप जलाकर किया। फाउंडेशन ने अपने झंझावात से उबरते हुए सांस्कृतिक और सनातन के उत्थान के बीना शोर शराबा के शिवगंगा को दीपों से पाट दिया। देव दीपावली को देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है। इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक शक्तिशाली राक्षस का वध किया था। फाउंडेशन के सदस्यों के साथ मंदिर के पुजारी लालबाग
त्रिपुरासुर का स्वर्ग में था आतंक
पौराणिक कथा के अनुसार देव दिवाली के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर नाम के राक्षस के तीन बेटे थे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली, ये तीनों बहुत ताकतवर थे। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए उन्होंने ब्रह्मा जी से वरदान मांगा कि उन्हें अमर बना दिया जाए। लेकिन जब ब्रह्मा जी ने अमरता का वरदान स्वीकार नहीं किया, तो उन्होंने ऐसा वरदान मांगा जिससे उनकी मृत्यु लगभग असंभव हो जाए। उन्हें वरदान मिला कि उनकी मृत्यु तभी होगी जब तीनों अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में हों और कोई उन्हें एक ही बाण से मारे। इस वरदान के बाद वे और भी ज्यादा ताकतवर हो गए और तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया। वरदान पाकर त्रिपुरासुर बहुत शक्तिशाली हो गया था। वे जहां भी जाते लोगों और ऋषि-मुनियों पर अत्याचार करते थे। इन राक्षसों के अत्याचारों से परेशान होकर देवता भगवान शिव के पास गए और मदद मांगी। त्रिपुरासुर के वध के लिए भगवान शिव ने पृथ्वी को रथ बनाया, सूर्य और चंद्रमा को पहिये और मेरु पर्वत को धनुष बनाया। वासुकी नाग धनुष की डोर बने। फिर भगवान शिव उस रथ पर सवार हुए और अभिजित नक्षत्र में जब तीनों पुरियां एक सीध में आईं, तो उन्होंने एक ही बाण से तीनों पुरियों को भस्म कर दिया। इस प्रकार तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली के साथ त्रिपुरासुर के अतंक का अंत हुआ। उसी समय से भगवान शिव त्रिपुरारी कहलाने लगे। वही दुसरी ओर ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र दिन पर हिंदू देवता अंधकार पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए स्वर्ग से उतरते हैं और पवित्र गंगा में पवित्र डुबकी या कार्तिक स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। भक्तों का मानना है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और आशीर्वाद और समृद्धि मिलती है।
फाउंडेशन के सदस्य को पृत शोक के कारण कार्यक्रम रहा फीका।
हालांकि देव दीपावली धूम इस साल थोड़ी फीकी रही। फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य अभिषेक साह के पिता राम नारायण साह उर्फ डोमी साह को अपराधियों की गोली लगने से असामयिक मौत देव दीपावली के ही दिन होने के कारण शिव गंगा आरती और रंगोली के कार्यक्रम स्थगित कर दिया। देव दीपावली को दीप जलाकर सनातन संस्कृति को अक्षुण्ण रखने का प्रयास किया गया। मौके पर संस्थापक भास्कर कुमार निखिल, कोषाध्यक्ष मनीष आनंद, मुख्य प्रबंधक सागर यादव, आनंद भगत, पू. सरपंच राजीव कुमार बबलू, प्रबंधक मनीष मोदी, सोनू भगत, अंकित सिंह, गौरव कुमार, आनंद कुमार, सत्यम सिंह, प्रिंस कुमार, विष्णु कुमार, सुशांत कुमार, ओम सहित अन्य उपस्थित थे।
إرسال تعليق