नगर परिषद उदाकिशुनगंज के कार्यपालक, चेयरमैन और डीप्टी चेयरमैन पुत्र पर लगा मारपीट और वसुली का आरोप।

Dr.I C Bhagat
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प्रेस को संबोधित करते बैठक से निष्कासित पार्षद 

पार्षदों ने निष्कासन न्यास संगत नही दादागिरी बताया 


कोशी तक/ उदाकिशुनगंज मधेपुरा 


उदाकिशुनगंज नगर परिषद् इन दिनों विकास नहीं बल्कि विनाश का प्राय बन चुका है। कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिखाई देने लगता है। कुछ ऐसा ही वाकया हुआ है उदाकिशुनगंज नगर परिषद् के जन्म होते ही राहु का ग्रहण लग चुका है। बीते सितंबर माह में जहां जाम में फंस जाने के कारण मधेपुरा आरक्षी अधीक्षक के द्वारा इस नगर परिषद् के अवैध वसूली का पोल खोल कर रख दिया है। वहीं दूसरी ओर मामला तूल पकड़ा तो अवैध वसूली का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। इस नगर परिषद् के अनियमितता का मामला जब अनेक पत्र पत्रिकाओं में उजागर हुआ तो जहां एक और प्रशासनिक गलियारे में हलचल मचा कर रख दिया। वहीं दूसरी ओर संवेदक के ऊपर अवैध रूप से टैक्स वसूली का मामला तूल पकड़ लिया था। जब संवेदक वसूली की राशि नियमानुसार रसीद से होने लगी। संवेदक नियमानुसार वसूली कर रहे है।  बीते 20 अक्टूबर सोमवार को परिषद् के सामान्य बैठक में वार्ड पार्षद एवं उपमुख्य पार्षद के पति द्वारा अन्य पार्षदों  सदस्यों से किया गया दुराचार का मामला तुल पकड़ लिया है। क्योंकि इस संबंध में बैठक में जो बीते 4-5 माह बाद हुआ तीन वार्ड पार्षदों संजय कुमार पूर्वे, अजय कुमार, रमन कुमार राणा द्वारा नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार का मामला उठाया गया तो मुख्य पार्षद एवं कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा कानून को ठेंगा दिखाते हुए उन तीनों पार्षदों को 60 दिनों के लिए सदन से निष्कासित कर दिया गया। तथा यह भी कहा गया कि 60 दिन तक होने वाली नगर परिषद के किसी भी बैठक में आप भाग नहीं ले सकते हैं। नगर पार्षद के भ्रष्टाचार की पौल खोलते निष्कासित पार्षद 

ज्ञात हो कि बीते सोमवार को होने वाली बैठक में तीनों पार्षदों द्वारा पूर्व में पिछले कई माह से 15 रुपये दर के बजाय टेंपो चालक वाहन से 20 रुपये की वसूली तथा ई-रिक्शा मालिकों से 10 रुपये के बजाय 15 रुपये की वसूली की गई थी। यानी पांच-पांच रुपए अधिक राशि की वसूली जो जमा किया गया वह किस खाते में है। तथा उक्त वसूली वाली राशि के रसीद पर ना तो टोकन नंबर है नहीं संवेदक का हस्ताक्षर ही था। जिसे मधेपुरा पुलिस अधीक्षक द्वारा जाम में फंसने के बाद प्रशासन के पकड़ में आया था इतना ही नहीं उक्त बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आज तक इस नगर परिषद् के एक भी गरीब लाभार्थियों को आवास की सुविधा नहीं मिल सका है। किन्तु  सैकड़ो लाभार्थियों से आवास बनाने के नाम पर पांच  हज़ार रुपये मुख्य पार्षद के बिचौलियों द्वारा वसूली की जा चुकी है। उक्त तीनों पार्षदों का यह भी कहना था कि जब मुख्य पार्षद एवं उपमुख्य पार्षद अपने कार्यालय में नहीं रहते हैं। तो उनके पुत्र एवं पति के द्वारा मजमा लगाकर उनके कार्यालय में बैठकर आराम फरमाया जाता है। यहां यह भी बताते चले की  इससे पूर्व के कार्यपालक पदाधिकारी सुजीत कुमार द्वारा मुख्य एवं उपमुख्य पार्षद के कार्यालय में नहीं रहने पर उनके कार्यालय में ताला लगा दिया जाता था। उसमें भी लगातार विवाद भी चलता रहा। इन बीते सोमवार को हुए नगर परिषद की सामान्य बैठक का मामला जिला पदाधिकारी से लेकर थाना अध्यक्ष तक पहुंच चुका है। दोनों तरफ से प्रार्थमिकि दर्ज करने का आवेदन भी थाना में भेजा जा चुका है। दोनों तरफ से आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। अगर वक्त रहते जिला पदाधिकारी एवं पुलिस आरक्षी अधीक्षक मधेपुरा द्वारा उदाकिशुनगंज नगर परिषद् के मामले में हस्तक्षेप नहीं किया गया तो मामला कभी भी विस्फोटक हो सकता है।

उदाकिशुनगंज से दिलीप दीप की रिपोर्ट 

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