डोली पर आएगी मां दुर्गा और मुर्गा की सवारी पर करेगी प्रस्थान

Dr.I C Bhagat
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इस बार मैया पालकी में आ रही है। महामारी के संकेत 


कोशीतक/ आलमनगर मधेपुरा 


3 अक्टूबर से दुर्गा पुजा बड़े ही धूमधाम से शुरू हो रही है। जगह जगह इसकी तैयारी का सिलसिला जोर-शोर से शुरू हो गया है। वही इस बार मां दुर्गा डोली पर आएगी और चरणायुद्ध यान अर्थात मुर्गा पर विदा होगी। इस बार शारदीय नवरात्र पर 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है। इस बार नवरात्रि 3 अक्टूबर गुरुवार से शुरू हो रहा है। जो 12 अक्टूबर शनिवार को विजयादशमी के साथ संपन्न हो जाएगा। आलमनगर निवासी पंडित चंदन झा ने बताया कि इस बार कलश स्थापना 3 अक्टूबर गुरुवार को है। गुरुवार रहने के कारण मैया मैया इस बार डोली पर आएगी। उन्होंने बताया की रविवार एवं सोमवार को नवरात्र आरंभ होती है तो उस वर्ष मैया हाथी पर सवार होकर आती है। ‌शनिवार एवं मंगलवार को पूजा शुरू होने पर मां घोड़े पर गुरुवार एवं शुक्रवार रहने पर डोली पर तथा बुधवार के दिन पूजा शुरू होने पर मां दुर्गा नौका पर आती है। इस प्रकार विजयदशमी यदि रविवार एवं सोमवार को हो तो देवी भैंस पर प्रस्थान करती है। शनिवार एवं मंगलवार को चरणायुद्ध अर्थात मुर्गा पर विदा होती है। बुधवार एवं शुक्रवार को गज वहां पर तथा गुरुवार रहने पर न वहां पर मां भगवती प्रस्थान करती है। मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान का प्रभाव कभी शुभ और कभी अशुभ भी होता है। दिन के अनुसार लोग आने वाले समय कैसे बीतेगा इसका भी अनुमान लगाते हैं। श्रद्धालुओं को मां दुर्गा की आराधना भक्ति भावना एवं श्रद्धा पूर्वक करनी चाहिए। श्रद्धालुजन मां दुर्गा की आराधना नौ दोनों तक अलग-अलग ढंग से करते हैं कोई फलाहारी रहकर कोई अरवा खाना तो कोई एक शाम भोजन कर मां की पूजा आराधना करते हैं।

बारिश अधिक होने की संभावना 

पंडितों ने बताया कि देवी पुराण के अनुसार मैया का डोली पर आगमन आंशिक महामारी एवं रोगों में वृद्धि का घोतक है। राज्य और  देश में आर्थिक तंगी प्राकृतिक नुकसान की संभावना है। साथ ही सत्ता में बड़ी उथल-पुथल होने की संभावना माना जा सकता है। जबकि इस बार मां दुर्गा का प्रस्थान चरण युद्ध यानी अर्थात बड़े  पंजे वाला मुर्गा पर होगी। लिहाजा इस बार बारिश अधिक होने की संभावना है। 

3 अक्टूबर को रात्रि 1 : 20 बजे तक रहेगी प्रतिपदा

प्रतिपदा 3 अक्टूबर को रात्रि 1:20 बजे तक रहेगा। इसके बाद हस्त नक्षत्र दिन के 3:30 बजे तक रहेगा इस बार पहले पूजा से लगातार 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की अलग-अलग पूजा अर्चना होगी। कलश स्थापना सुबह 6.15 बजे से 7.22 तक और अविजित मुहुर्त 11.46 से 12.33 तक है। 

आलमनगर से कन्हैया महाराज की रिपोर्ट 

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