शरद पूर्णिमा के लिए आरएसएस की बैठक करते
कोशी तक/ सिंहेश्वर मधेपुरा
17 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा संघ के 6 प्रमुख पर्व में से एक शरद पूर्णिमा उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बाबत मधेपुरा नगर कार्यवाह सत्येंद्र जी ने मुकुल वर्मा के निवासी पर एक बैठक आयोजित किया गया। जिसमें मुकुल वर्मा ने इस बार शरद पुर्णिमा उत्सव अपने परिसर में ही मनाने की इजाजत मांगी। जिसे सभी सदस्यों ने सहर्ष रूप से मान लिया। वही श्री वर्मा ने कहा यह संघ का 6 उत्सव में से एक प्रमुख उत्सव है। शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकटयोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन धन के देवी मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं। इसके साथ ही द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में महाराश किया था। और इससे प्रसन्न होकर चंद्रमा ने अमृत वर्षा की थी। यह एक पारिवारिक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसलिए सभी को परिवार के साथ इसमें शामिल होने का आग्रह किया।
25 अक्टूबर से लगेगा प्रारंभिक वर्ग
सभी सदस्यों ने आरएसएस के द्वारा 25 से 28 तक प्रारंभिक वर्ग का निर्धारित किया गया है। जिसमें 14 वर्ष से 40 वर्ष की आयु के स्वयं सेवक भाग ले सकेंगे। वर्ग का संचालन सिंहेश्वर प्रखंड के सरस्वती शिशु मंदिर में किया जाएगा।
बिहार भ्रमण के लिए सिंहेश्वर मंदिर से महामृत्युंजय यज्ञ का निकलेगा ध्वज।
महामृत्युंजय यज्ञ के लिए सिंहेश्वर के मवेशी हाट में 31 हजार कन्याओं के द्वारा कलशयात्रा और मंदिर में यज्ञ के निमित्त ध्वजारोहण किया गया था। जिसके निमित्त 17 अक्टूबर को ध्वज को संध्या 4 बजे शुभ मुहूर्त पर उतार कर बिहार भ्रमण करते हुए 12 फरवरी को पटना पहुंचेगी। 16 से 26 फरवरी तक महामृत्युजंय यज्ञ पार्थिव शिव पुजा होना है। इसके अधिक से अधिक सनातनी को आने का आहवान है।मौके पर जिला मुख्य मार्ग प्रमुख संजीव भगत, खंड कार्यवाह सोनु आजाद, जिला प्रचार प्रमुख मोल सिंह, विनोद दास, संजीव पौदार, भानु कुमार, मुख्य शिक्षक दीपांकर झा, ब्रजराज उर्फ गुड्डू, मुकेश गुप्ता, मोहन चोरसिया, संजय स्वर्णकार, मौजूद थे।
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