कोशीतक/आलमनगर/सिंहेश्वर मधेपुरा
सनातन धर्म में अपने पितरों पूर्वजों के लिए समर्पित पखवाड़ा अश्विन कृष्ण पक्ष जिसे हम पितृ पक्ष कहते है। हमारे केवल सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसमे हम मनुष्य जाति के साथ-साथ समस्त जीव जगत को अपना पितृ एवं पूर्वज मानते हैं। श्राद्ध तर्पण से यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है पितृ पक्ष में श्राद्ध तो अपने पिता की मृत्यु तिथि को अथवा ज्ञात न होने पर पूरे पंद्रह दिन अर्थात अमावस्या तक देव तर्पण ऋषि तर्पण, दिव्य मनुष्य तर्पण और पितृ तर्पण करना चाहिए। क्योंकि पूर्वजों की तीन पीढ़ियों की आत्मायें पितृ लोक में निवास करती है। जो स्वर्ग लोक और पृथ्वी लोक के बीच का स्थान है। जिसके राजा यम है वे इस इस पितृ पक्ष में पितृ लोक का द्वार 16 दिनों के लिए खोल देते है। जिस कारण सभी पितृ 16 दिन के लिए पृथ्वी पर आकर वर्ष भर की भूख और प्यास को मिटाने के लिए अपने अपने वंशज से तृप्ति चाहते है। इसी लिए हमलोग अपने अपने पितृ को संतुष्ट करने के लिए प्रतिदिन तिल मिश्रित जल देकर उन्हें वर्ष भर के लिए संतुष्ट करते है। और वे हमें आशीर्वाद प्रदान करते है। पंडित नंदन झा ने विस्तार से बताया तर्पण की विधि
पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर एवं समापन 2 अक्टूबर को होगा।
पितृ तर्पण क्यो करना चाहिए
देवकार्य से भी ज्यादा पितृ तर्पण को महत्व देना चाहिए सभी कार्यों में सफलता पाने के लिए पितृ को प्रसन्न करना आवश्यक है। और जब पितृ प्रसन्न होते है तब ही देव प्रसन्न होते है। तर्पण करने से संतान संबंधी परेशानी दूर हो जाती है घर मे रोग व्याधि की कमी होती है। घर मे झगड़ा झंझट कम होता है। क्योंकि इन सभी का कारण पितृ दोष होता है। यह 7 पीढ़ी में किसी को भी लग सकती है तर्पण करने से हर क्षेत्र में सफलता ही सफलता मिलती है।
कैसे करे तर्पण
पंडित नंदन झा बताते है कि जब तक आपकी पितृ तिथि पूरी न हो तब तक आप प्रतिदिन नदी तालाब या घर मे जल मिश्रित तिल पितृ को अर्पण करे। फिर पूर्ण तिथि को ब्राम्हण द्वारा विधि विधान के साथ पितृ श्राद्ध श्रद्धा पुर्वक करे और ब्राम्हण को पितृ देव मानकर भोजन कराकर व दान पुण्य देकर संतुष्ट करे। तब वर्ष भर सुख शांति मिलती रहेगी, चित्र के अनुसार आप प्रतिदिन हाथ के अग्र भाग से जल मिश्रित अक्षत लेकर 1-1 बार देव तर्पण, जल मिश्रित जौ लेकर 2-2 बार मध्य भाग से ऋषि तर्पण और जलमिश्रित तिल लेकर 3-3 बार अंगुष्ठ भाग से पितृ तर्पण करे। हाथ मे कुश लेकर तर्पण करना चाहिये।
तर्पण के लिए सावधानी
प्रतिदिन भोजन स्वयं ग्रहण करने के पूर्व में भोजन निकालकर बाहर पितृ को अर्पण करें प्रतिदिन गाय, कौवा, कुत्ता चींटी को भोजन करावे संभव न हो तो सिर्फ प्रतिदिन कौवा को जरूर रोटी दे। पूरे पितृ पक्ष, मांसाहार न करे, सात्विक भोजन करे कोई नया कार्य न करे कोई मांगलिक कार्य न करे,कोई नया समान न खरीदे।
सिंहेश्वर में शिवगंगा पर करते हैं तर्पण
वही तर्पण के लिए बाबा मंदिर सिंहेश्वर में स्थित शिवगंगा पर तर्पण के लिए सुबह में लोगों की भीड़ बढ रही है। जहा सिंहेश्वर वासी अपने पुर्वजों के लिए पानी का तर्पण किया जा रहा है।
आलमनगर से कन्हैया महाराज की रिपोर्ट