एसपी पुर्णिया तनिष्क लूट कांड के आरोपियों के साथ
कोशीतक /पूर्णिया
पूर्णिया पुलिस के लिए चुनौती बन चुके 3 करोड़ 70 लाख के तनिष्क लूटकांड का उद्भेदन जिला पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स ने सफलतापूर्वक कर लिया है। बुधवार को एसपी उपेन्द्र नाथ वर्मा ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया कि बेउर जेल में बंद रहे सोना और जेवरात लूट गिरोह के सरगना कुख्यात सुबोध कुमार सिंह और भागलपुर जेल में बंद पूर्णिया के कुख्यात अपराधी बिट्टू सिंह ने मिलकर करीब 02 माह पहले इस लूटकांड की साजिश तैयार किया था। सुबोध सिंह गैंग के कुल 7 अपराधियों ने 3.70 करोड़ की लूट को अंजाम दिया। जबकि बिट्टू सिंह गिरोह के स्थानीय अपराधियों ने इस लूट कांड में लाइनर की भूमिका निभाया था। लूट कांड में बिहार और बंगाल के अपराधियों की मुख्य भूमिका रही। घटना के बाद अपराधी कटिहार के रास्ते पहले मालदा गया और फिर पूर्व निर्धारित योजना के तहत नेपाल चला गया।अपराधी सुबोध सिंह
पुलिस अधीक्षक श्री वर्मा के अनुसार सबसे पहले लाइनर बेगुसराय जिला के आदापुर निवासी राहुल श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया गया। जो स्थानीय पोस्टमार्टम रोड में क्लिनिक का संचालन करता है। इसके बाद बिट्टू सिंह गिरोह के सदस्य शहर के जयप्रकाश कॉलोनी निवासी अभिमन्यु सिंह और सरसी निवासी बमबम यादव की गिरफ्तारी हुई। लूट में शामिल रहे अररिया जिला के पलासी मजलिसपुर निवासी चुनमुन झा के भाई आनंद झा को भी इस कांड में संलिप्तता के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। गौरतलब है कि लूट में शामिल रहे जिस दो अपराधी ने मास्क पहन रखा था। उसमें एक चुनमुन झा भी शामिल था। यह घटना इतनी चुनौतीपूर्ण थी कि कुल 10 टीम इस कांड के अनुसंधान से जुड़ी थी और एसटीएफ के एडीजी अमृतराज स्वयं पूर्णिया में बैठकर इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे। हालांकि यह सफलता अभी अधूरी ही है क्योंकि लूट में शामिल सभी अपराधी पुलिस गिरफ्त से बाहर है और लूट गए जेवरात की बरामदगी भी अभी शेष है।तनिष्क का शोरूम जहा 3.70 करोड़ की हुई थी लूट
इस तरह हुई सुबोध सिंह और बिट्टू सिंह की युगलबंदी
देश भर में चर्चित जेवरात लुटेरा गैंग का सरगना सुबोध कुमार सिंह वर्ष 2018 के जनवरी माह से ही पटना बेउर जेल में बंद है। उसके खिलाफ दो दर्जन से अधिक आर्म्स एक्ट, हत्या, डाका, आपराधिक षड्यंत्र के मामले दर्ज हैं। जबकि बिट्टू सिंह पर भी हत्या, रंगदारी, जमीन कब्जा और आर्म्स एक्ट के दर्जनों मामले दर्ज हैं। करीब दो माह पहले बिट्टू सिंह जो भागलपुर जेल में बंद है। रिमांड पर बेउर जेल ले जाया गया था। वहीं पर उसकी मुलाकात सुबोध सिंह से हुई और तनिष्क शो रूम में लूट की योजना बनी। सूत्र बताते हैं कि जो डील हुई उसमें लाइनर बिट्टू सिंह को उपलब्ध कराना था। जबकि लूट को अंजाम सुबोध सिंह गैंग को देना था। हालांकि डील के बाद सुबोध रिमांड पर पश्चिम बंगाल के बर्धमान जेल चला गया और बिट्टू की भागलपुर वापसी हो गई। लेकिन लूट को अंजाम पूर्व निर्धारित योजना के अनुरूप ही दिया गया। चूंकि सुबोध कोलकाता में है इसलिए बंगाल के अपराधियों को ही इस मिशन पर भेजा गया और सीमावर्ती इलाका होने की वजह से यह भौगोलिक रूप से आसान भी रहा। हालांकि पूरे लूट के दौरान अपराधी बेउर जेल में बंद सुबोध के शागिर्द प्रिंस राज के संपर्क में था। और उससे निर्देश भी ले रहा था। इस बात की पुष्टि पुलिस अधीक्षक श्री वर्मा ने की।
देश के सात राज्यों में लूटकांड को में शामिल रहा है सुबोध।
सुबोध कुमार सिंह उर्फ दिलीप सिंह उर्फ बबुआ जी मूल रूप से नालंदा जिला के चिश्तीपुर का निवासी है। बताया जाता है कि वह वर्ष 2016 में अपराध की दुनिया मे कदम रखा और वर्ष 2018 में पटना के रूपसपुर में हुए लूट के बाद 18 किलो सोना के साथ पकड़ा गया तो सुर्खियों में आया। लेकिन, जेल में बंद रहने के वाबजूद वह अपने गिरोह का संचालन करता रहा और बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में लूट कांड को अंजाम दिलाता रहा। बताया जाता है कि वह अपने गैंग में केवल युवा अपराधियों को ही तरजीह देता है। और गैंग के सदस्यों की संख्या 100 से अधिक बताई जाती है। एक मोटे अनुमान के अनुसार, सुबोध गैंग द्वारा अबतक लगभग 200 किलो सोने अन्य जेवरात की लूट को अंजाम दिया जा चुका है।अपराधी बिटु सिंह
रैकी की बेहतर प्लानिंग और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल है कार्यशैली का हिस्सा।
पुलिस सूत्रों की माने तो सुबोध फुलप्रूफ प्लांनिंग का मास्टर है। किसी भी लूटकांड से पहले गैंग का सदस्य घटनास्थल का कई दिनों तक रैकी करता है। तनिष्क शोरूम का भी एक सप्ताह से लगातार रैकी हो रहा था। लाइनर और अपराधी ग्राहक बनकर तनिष्क शोरूम जाया करता था। गिरफ्तारी के बाद पटना में पूछताछ के दौरान पुलिस को सुबोध ने बताया था कि लूट के लिए तीन टीम तैयार किया जाता है। पहला टीम, लाइनर और रैकी का काम करता है। दूसरा टीम, लूट की घटना करता है और तीसरा टीम लूटे हुए माल को ठिकाने तक पहुंचाता है। इस लूटकांड में कमोबेश इसी तरह की टीम की संलिप्तता नजर आ रही है। वहीं लूट से पहले किसी जगह को कंट्रोल रूम बनाया जाता है। जहां अपराधियों की बैठक होती है। अपराधियों को टास्क दिया जाता है। पहुंचने और भागने के रास्ते से अवगत कराया जाता है। वाहन और पैसा तथा सिमकार्ड और नए कपड़े भी उपलब्ध कराए जाते हैं। एसपी श्री वर्मा के अनुसार, अपराधियों की बैठक अररिया के शिवपुरी में हुई और कपड़े की खरीद पूर्णिया के मैक्स मॉल और अररिया के रिलायंस ट्रेंड से हुई। लूट के बाद भागते हुए अपराधियों ने अपने पहने हुए कपड़े को पश्चिम बंगाल-बिहार की सीमा पर जलाया भी था। इतना ही नही सुबोध गैंग का सदस्य आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करता है। गैंग के सदस्य सामान्य मोबाइल का प्रयोग नही कर टेलीग्राम और सिग्नल एप्प के जरिये वॉइस कॉल, वीडियो कॉल और मैसेज का आदान-प्रदान को प्राथमिकता देता है। यह तकनीक सुरक्षित माना जाता है। बताया जाता है कि अपराधियों द्वारा एक शोरूम कर्मी का मोबाइल साथ ले जाना मुसीबत का सबब बना और उसी आधार पर पुलिस अपराधियों के बंगाल-कनेक्शन को स्थापित करने में सफल रही।
लूट का माल नेपाल में खपाया जाता है।
पुलिसिया पूछताछ में सुबोध सिंह ने पटना पुलिस को बताया था कि लूट कहीं भी हो, लूटे गए जेवरात को नेपाल में बेच दिया जाता है। लुटे गए जेवरात की कीमत का 70 फीसदी राशि आसानी से मिल जाता है। यह राशि हवाला के जरिए सुबोध सिंह तक पहुंचता है। तनिष्क लूटकांड के अपराधियों के भी नेपाल जाने की बात पुलिस अधीक्षक स्वीकार करते हैं। अगर ऐसा है तो अब तक लूटे गए जेवरात नेपाल में बिक चुके होंगे इस बात की संभावना से इनकार नही किया जा सकता है। जाहिर है कि इस स्थिति में भले ही सभी अपराधियों की गिरफ्तारी हो जाय लेकिन बरामदगी के नाम पर पुलिस के हाथ खाली ही रह जाएंगे।
इस बाबत एसपी पुर्णिया उपेंद्र नाथ ने बताया की पूरी घटना को अंजाम बेउर जेल में बंद कुख्यात सुबोध सिंह और स्थानीय कुख्यात बिट्टू सिंह की टीम द्वारा दी गई है। घटना की अंतिम प्लानिंग अररिया में हुई। लूट में शामिल स्थानीय अपराधी चुनमुन झा की पहचान हुई है। घटना में शामिल चार लाइनर को गिरफ्तार किया गया है। सुबोध सिंह, बिट्टू सिंह और प्रिंस राज को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।