खबर निकलते ही रिजाइन दिए अतिथि शिक्षक की अधिसूचना रद्द ।
कोशीतक/ सिंहेश्वर मधेपुरा
भूपेंद्र नारायण मण्डल विश्वविद्यालय में 4 अतिथि शिक्षक से रिजाइन कर बीपीएससी से शिक्षक बन गए अतिथि शिक्षक को खबर सामने आते ही बीएनएमयू के रजिस्ट्रार ने आनन-फानन में पत्र निकाला की कुलपति के निर्देश पर अन्यत्र नियुक्ति के बाद उसने त्याग पत्र देने के कारण उनके मामले चयन समिति के समक्ष नही रखे गए इसलिए इन नामों डा. किरण कुमारी और डा. रीता कुमारी जुलोजी, डा. जयंत ठाकुर और प्रवीण कुमार गणित को अधिसूचना से हटा दिया गया। जिससे समझा जा सकता है की बीएनएमयू में क्या क्या खेल चल रहा है। साथ ही अतिथि सहायक प्राध्यापक के नवीकरण और स्थानांतरण में हुई विशेष बात यह दिखने को मिला की 63 स्थानांतरण में 50 को चॉइस बेस्ड स्थानांतरण मिला। वही कही -कही नियमित शिक्षक के रहते हुए भी अतिथि शिक्षक अपना वर्चस्व कायम रखते हुए अपने जगह पर बने हुए रह गए। उदाहरण के तौर पर जंतु विज्ञान विषय में टीपी कॉलेज में नियमित शिक्षक के रहते हुए एक अतिथि शिक्षक जमे हुए है। और बीएनएमभी कॉलेज में दो नियमित शिक्षक के रहते हुए दो अतिथि शिक्षक भी जगह जमाये बैठे हैं। जबकि महाराजा हरिबल्लभ विज्ञान महाविद्यालय सोनवर्षा में वर्षो से जंतु विज्ञान विषय में पद रिक्त है। और अब एमएलटी कालेज सहरसा में जंतु विज्ञान विषय केवल एक अतिथि शिक्षक के सहारे चलती थी। जिसे खाली करके नियम के विरुद्ध स्थानांतरण कर के एसएनएस कालेज सहरसा कर दिया गया है। ऐसे हीं टीपी कॉलेज मधेपुरा से इतिहास विषय में एक अतिथि शिक्षक को स्थानातरित करके बीएनएमभी कॉलेज साहूगढ भेज दिया गया हैं। और बगल के हीं पार्वती विज्ञान महाविद्यालय से एक का स्थानांतरण कर टीपी कॉलेज लाया गया है। और बीएनएमयू कैंपस से भी एक को टीपी कॉलेज लाया गया है। यहा जब नियमित शिक्षक हैं हीं और उसी बिना पर एक का स्थानांतरण भी हुई। फिर दो को यहा लाना संदेह उत्पन्न करता है। की इसके लिए कौन सी मजबूरी रही होंगी। उक्त बातों से यह साबित हों जाता है की महानुभाव शिक्षकों के लिए वर्चस्व कायम है। और कायम रहेगा। अन्यथा शेष बचे 90 को भी अगर स्थानांतरित करते हुए विश्वविद्यालय के अन्य कॉलेज को भी संतुलित किये जाने से वहा का भी पठन पाठन सुचारु रूप से चलेगा।