कोशीतक/ सिंहेश्वर मधेपुरा
मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर के सुखासन स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में 75 वां वन महोत्सव सह जल जीवन हरियाली,तभी आयेंगी खुशहाली के अवसर पर डीएम विजय प्रकाश मीणा ने 75 तरह तरह के पौधा लगा कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर डीएम श्री मीणा ने कहा शुरू से ही हमारी संस्कृति प्रकृति पर केंद्रित रही है। प्रकृति से हमारा गहरा नाता है। खास तौर पर पेड़ और पौधों से। पेड़ों को हम अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं और उन्हें पवित्र मानते हैं। हमारे दैनिक जीवन में वनों के महत्व को पहचानने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है। श्री मीणा ने तेज धुप को देखते हुए कार्यक्रम को जल्दी समाप्त करवाया।डीएम को सम्मानित करते नवोदय विद्यालय के प्राचार्य
75 वें वन महोत्सव का उद्घाटन करते डीएम श्री मीणा
डीडीसी अवधेश कुमार आंनद ने कहा वन महोत्सव का लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन को रोकने में पेड़ों और जंगलों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह महोत्सव देश में एक प्रमुख वार्षिक अवसर के रूप में विकसित हुआ है। और इसने देश के बढ़ते हरित आवरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।वन महोत्सव में डीडीसी को सम्मानित करते रेंजर निरज कुमार सिंह
वन महोत्सव नवोदय विद्यालय में पौधा लगाते डीडीसी अवधेश कुमार
डीओ सईद अंसारी ने कहा शुरू से ही हमारी संस्कृति प्रकृति पर केंद्रित रही है। प्रकृति से हमारा गहरा नाता है। खास तौर पर पेड़ों से। पेड़ों को हम अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं और उन्हें पवित्र मानते हैं। हमारे दैनिक जीवन में वनों के महत्व को पहचानने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है।वन महोत्सव में वृक्षारोपण कर पानी डालते डीओ श्री अंसारी
वृक्षारोपण करते रेंजर नीरज कुमार,नगर पंचायत अध्यक्षा पुनम देवी
वन क्षेत्र पदाधिकारी निरज कुमार सिंह ने कहा हर साल जुलाई के पहले हफ़्ते में मानवता को दिए गए इस उपहार को याद करने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है। 1950 में देश के केंद्रीय कृषि मंत्री डॉ. केएम. मुंशी ने भारत में वन महोत्सव के नाम से वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव की शुरुआत की थी। हर साल वन महोत्सव सप्ताह के उपलक्ष्य में इस त्यौहार के 75 वर्ष होने के सम्मान में पूरे भारत में लाखों पौधे लगाए जा रहे हैं। जो अब राष्ट्रीय महत्व का हो गया है। प्रकृति ने मानवता को जो सबसे बेहतरीन उपहार दिया वह पेड़ है। यह हमें कई तरह की जीवित चीजें और रहने के लिए जगह प्रदान करता है। इसके अलावा, जंगल हमें कई तरह के फायदे भी देते हैं। जड़ी-बूटियां, झाड़ियां और पेड़ों की कई प्रजातियां जंगलों में पाई जाती हैं। उनमें से कई दवाई के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है।
नगर पंचायत अध्यक्ष पुनम देवी ने कहा हमारे देश की प्राचीन संस्कृति में पेड़ों को सम्मान दिया जाता है। प्रकृति ने सबसे बुनियादी मानवीय ज़रूरत को पेड़ों से जोड़ा है। किसी ने एक बार कहा था कि पेड़ पानी की तरह है, पानी भोजन की तरह है और भोजन जीवन की तरह है। पेड़ों के बिना, कोई नदिया या आकाश नहीं होंगे और चूंकि पेड़ों की जड़ें बारिश के पानी को जमीन तक पहुंचाने में मदद करती हैं। इसलिए वे मानव सभ्यता और संस्कृति के रक्षक के रूप में कार्य करते हैं। इसलिए अधिक से अधिक पेड़ लगाए और नियमित उसकी देखभाल करें।75 वें वन महोत्सव के कार्यक्रम का आनंद लेते अधिकारी
विधालय के प्राचार्य मनोज कुमार झा ने कहा भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए एक धर्मयुद्ध के रूप में इसकी शुरुआत हुई। वन महोत्सव नाम का अर्थ है पेड़ों का त्योहार। और यह हमारे विधालय का सौभाग्य है इस वन महोत्सव का शुभारंभ हमारे नवोदय विद्यालय से किया गया। मौके पर डीपीओ अभिषेक कुमार, डीएसपी मनोज कुमार, सीओ नवीन कुमार, बीईओ नवल किशोर, बीपीएम जफर हसन, बीआरपी शशीकांत यादव, गजेन्द्र नारायण यादव, आरटी श्रवण कुमार, व्यापार मंडल अध्यक्ष शिवचंद चौधरी, सुखासन मुखिया सह मुखिया संघ अध्यक्ष किशोर कुमार पप्पू, वन विभाग के वनपाल शैलेंद्र तिवारी, वनरक्षी अरविंद कुमार, रजनीश कुमार, नवीन राज, सुरेंद्र कुमार, शुभम कुमार, चंदन कुमार, अरूण कुमार, अमृता कुमारी, रुपम कुमारी, दामनी कुमारी, नितिश कुमार, कंप्यूटर आपरेटर चंद्र मनी भारती, सरोज कुमार सिंह, विधालय के शिक्षक अभय कुमार, हेम नारायण झा, शशिकांत सिंह, हिद्रेय पांडे, सारिका अरोड़ा, हरे राम कुमार, कविता कुमारी, कुमार प्रणव, सुधीर कुमार सिंह, ममता सिंह, पूर्णिमा सिंह, ऋतुराज कुमार, राजेश रोशन, कृष्ण बल्लभ, उर्मिला कुमारी, प्रिया रानी और छात्र छात्राएं उपस्थित थें।