भागीरथी गंगा में स्नान करने से तन और भागवत रूपी गंगा में स्नान करने से मनुष्य का उद्धार हो जाता है।

Dr.I C Bhagat
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श्रीमद्भागवत भागवत कथा का पांचवां दिन 


कोशी तक/ सिंहेश्वर मधेपुरा


सत्य ईश्वर की मार्ग को दिखाता है , भक्ति ,भक्त और भगवान के बीच के अंतर को कम करता है । कलयुग में कर्म को ही प्रधानता दी गई है। भगवान कर्म के अनुसार ही सजा तय करते हैं। मवेशी हाट के मैदान में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा के दौरान आचार्य प्रमोद शरण जी महाराज ने लोगों से कहा। उन्होंने कहा कि 84 लाख योनि में भटकने के बाद मनुष्य योनि में जन्म होता है । मनुष्य योनि वो योनि है जिसमें मनुष्य अपने कर्म को सोच समझकर करें ताकि अपने कर्मो के आधार पर मोक्ष को प्राप्त कर ले। उन्होंने कथा के दौरान कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से ही गोकर्ण के भाई प्रेतात्मा धुंधकारी को प्रेत योनी से मुक्ति मिली थी। पितृ व प्रेतों की मुक्ति का भागवत ही सशक्त माध्यम है। प्राणी मात्र के प्रति प्रेम, करुणा, दया व मैत्री भाव रखने से परमात्मा शीघ्र प्रसन्न होते हैं। आचार्य प्रमोद महाराज ने कहा भागीरथी गंगा और भागवत रूपी गंगा में क्या अंतर है। उन्होने कहा भागीरथी गंगा मे स्नान करने तन पवित्र हो जाता है। लेकिन भागवत रूपी गंगा में' गोता लगाने से जीव का उद्धार हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति सात दिन तक भागवत कथा का श्रवण ध्यान पूर्वक करे। तो उस व्यक्ति को मुक्ति मिल  जाएगी। और मानव पुरम धाम को प्राप्त करेगा। सांसारिक बंधनों से छुटकारा मिल जाएगा।

श्रीमद्भागवत कथा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ 

 वहीं महाराज गोपाल शरण जी ने कहा की सत्संग का मतलब सत्य के संग चलना या सत्य का साथ देना होता है ।उन्होंने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता निर्मल मन और स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की है। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। उन्होंने  भगवान को ही आदि और अंत कहा । मौके पर नगर पंचायत के मुख्य पार्षद पूनम देवी, व्यापार मंडल अध्यक्ष शिवचंद्र चौधरी, महर्षि मेंही गुरुधाम के स्वामी बिमला नंद जी महाराज , यज्ञ समिति के अध्यक्ष प्रीतम कुमार, बुलबुल यादव , मोहन, चंदन आदि मौजूद थे ।

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