हर युग में धर्म की स्थापना और अधर्म को जड़ से उखाड़ने हेतु हरि का अवतार निश्चित है।

Dr.I C Bhagat
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श्री हरि कथा उद्घाटन करते नगर अध्यक्षा पुनम देवी 


कोशी तक/सिंहेश्वर मधेपुरा


मेला ग्राउंड सिंहेश्वर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित पांच दिवसीय श्री हरि कथा के प्रथम दिन सर्वश्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी अमृता भारती ने श्री हरि के दशावतार गाथा का वर्णन किया। सरल, सारगर्भित और आध्यात्मिक विवेचना से परिपूर्ण श्री हरि कथा का वाचन करते हुए साध्वी जी ने कहा की श्री हरि हर युग में धर्म की स्थापना और अधर्म को जड़ से उखाड़ने हेतु नये नये रूप  धारण करके आई है। हर युग में इन युगपुरुष के लीलाओं के दो पक्ष रहे  पहला परमार्थ और दूसरा व्यवहार। परमार्थ पक्ष अपरिवर्तनीय एवं शाश्वत रहा पर व्यवहार पक्ष युग परिवर्तन के साथ बदलता रहा। इसलिए कलयुग के अवतारी महापुरुषों ने दुराचारियों के हृदय परिवर्तन पर बल दिया और इस कार्य के लिए ब्रह्म ज्ञान को अपना अस्त्र बनाया। सज्जन ठग, अंगुलिमाल, पिंगला वेश्या आदि के हृदय को ज्ञान द्वारा परिवर्तित कर उसे सच्चा मानव, सच्चे भक्त की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया। साध्वी जी ने कहा कि प्रभु की कथा में छिपे बहुमूल्य सूत्र ना केवल वृद्ध वर्गों के लिए अपितु युवाओं और बच्चों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां हर ओर तनाव और अवसाद ने विशेष जगह बना ली है ऐसी स्थिति में प्रभु की कथा हमें वह दिशा प्रदान करती है। जो हमारी जिंदगी की दशा को बदल देती है। शिष्य स्वामी श्री सुकर्मानंद जी  ने कहा कि आज के इस युग में इंसान बौद्धिक विकास, मानसिक विकास, शारीरिक विकास की ओर तो जागरूक है पर आत्मिक विकास के अभाव में इंसान पतन की ओर जा रहा है। पूर्ण संत मानव को आत्मिक तौर पर जगा कर श्रेष्ठ समाज का निर्माण करते हैं कार्यक्रम में गायक वादक एवं समस्त सिंहेश्वर क्षेत्रवासियों की भूमिका सराहनीय रही।

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