कोशी तक/ सिंहेश्वर मधेपुरा
सिंहेश्वर मेला ग्राउंड सिंहेश्वर स्थान-मधेपुरा स्थित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीहरि कथा के तीसरे दिन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री अमृता भारती जी ने कहा कि "बिनु सत्संग ना हरि कथा, तेहि बिन मोह ना भाग" साध्वी ने गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मोह रूपी अज्ञानता में तुलसीदास जी अपनी विद्वता को स्त्री मोह के पीछे लगा रहे थे। लेकिन जब अंतर आत्मा ने झकझोरा कि गुरु ने ज्ञान होने के लिए दिया था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने गुरु नरहरि दास जी के वचनों को मंत्रवत मान लक्ष्य की ओर बढ़ चले व साधना किया। अंततः इंद्रियों का गुलाम तुलसी इंद्रियों के स्वामी गोस्वामी तुलसीदास बन गए। गोस्वामी जी ने श्री रामचरितमानस में नवधा भक्ति का वर्णन किया। अक्सर लोग नवधा भक्ति को नौ प्रकार की भक्ति कहते हैं। लेकिन यह नौ प्रकार की भक्ति नहीं भक्ति के 9 सोपान है और यह सोपान संत के संग से शुरू होती है। पूर्ण संत जीवन में ईश्वर का दर्शन करवा के वास्तविक भक्ति की युक्ति बताते हैं। गोस्वामी जी भक्ति करते हुए वृद्ध हो गए किसी ने उनसे पूछा की बाबा नैनों की ज्योति बुझाने लगी है। कान से ऊंचा सुनने लगे हैं शरीर पर बुढ़ापे के लक्षण दिखाई देने लगे हैं, आयु दिन दिन घटने लगी है कहिये भय नहीं लगता। तुलसीदास जी बोले भय कैसा। जो घटता है धटे बस एक चीज ना घंटे हरि से नेह। श्री राम का चरित्र गोस्वामी जी के मानस पटल पर उतरा तो गुरु नरहरि दास जी की कृपा से क्योंकि आध्यात्म मार्ग में ज्ञान निज प्रयास से नहीं गुरु प्रसाद से प्राप्त होती है। इसलिए एक भक्त कहता है कि पानी में डूबे तो मृत्यु निश्चित है, पर गुरु भक्ति में डूबे तो मुक्ति निश्चित है। इसके आगे का विचार स्वामी धनन्जय आनंद जी कहते है गुरू बिन भव निधि तरई ना कोई, जो विरंची शंकर सम होई॥श्री हरि कथा का रस पान कर श्रृद्धालुओं की भीड़
उन्होंने कहा कि गुरु के बिना इस संसार रूपी भव सागर से पार या मुक्ति नहीं मिल सकती है चाहें मनुष्य रूप में स्वयं भगवान शंकर क्यों न हों। मनुष्य के जीवन में ब्रह्म ज्ञान प्रदान करने वाले, दिव्य चक्षु अर्थात ईश्वर को घट के भीतर ही दर्शन करा दे ऐसे सतगुरू की आवश्यकता है। इस दौरान तबले पर श्री राम चन्द्र, चन्दन कुमार, पवन कुमार आरगेन पर संगत कर रहे थे। मंच पर गायिका साध्वी सुश्री पुष्पा भारती, साध्वी सुश्री शोभा भारती मौजूद थी।