अनुदान नही वेतनमान दो के नारे के साथ शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों ने दिया धरना।

शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के धरना को संबोधित करते अध्यक्ष अरविंद कुमार 


कोशी तक/ सिंहेश्वर मधेपुरा


अनुदान नहीं वेतन दो सहित अन्य स्थानीय मांगों को लेकर संबद्ध डिग्री कॉलेज के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने बीएनएमयू मुख्यालय परिसर में धरना दिया। बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर विवि इकाई द्वारा आयोजित धरना में मधेपुरा, सहरसा और सुपौल जिले के सभी संबद्ध कॉलेज के शिक्षक और कर्मचारी शामिल हुए। धरना के माध्यम से संघ ने अनुदान नहीं वेतन दो की मांग को अविलंब मानने का अल्टीमेटम भी दिया। शिक्षकों ने कहा जब तक शिक्षक भूखा है ज्ञान का सागर सुखा है के नारेबाजी करते रहे। संघ के विवि अध्यक्ष प्रो. अरविंद कुमार यादव की अध्यक्षता और सचिव प्रो. अभय कुमार के संचालन में आयोजित धरना में विभिन्न पार्टी के नेता और अन्य संगठन के नेताओं ने भी समर्थन दिया। वक्ताओं ने कहा कि तीन दशक से अधिक समय से बिना वेतन के काम कर रहे शिक्षा कर्मियों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई है। पैसे के अभाव में शिक्षक और कर्मचारी अपने बीमार परिजनों का इलाज नहीं करा पाते हैं। वक्ताओं ने कहा कि 2008 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वित्त रहित कॉलेज कर्मियों को परीक्षा परिणाम आधारित अनुदान देने की घोषणा की। अनुदान की राशि इतनी कम रहती है कि उससे एक महीने का भी खर्च पूरा नहीं हो पाता है। अनुदान की राशि भी समय पर नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि अनुदान के बदले कॉलेज का अधिग्रहण कर सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करें। वक्ताओं ने कहा कि वैसे भी बिहार में अधिकांश छात्र संबद्ध कॉलेज से ही शिक्षा ग्रहण कर उच्च पदों पर आसीन हो रहे हैं। संघ के नेताओं ने कहा कि सरकार संबद्ध कॉलेज के शिक्षक और कर्मियों के हित में काम नहीं कर रही है। सरकार की दोरंगी नीति से कॉलेज कर्मी नाराज हैं। जबकि मुख्यमंत्री ने कई बार मधेपुरा में संघ के नेताओं से इस पर विचार करने का आश्वासन दिया था। परीक्षाफल आधारित अनुदान शिक्षक और कर्मियों को ठगने वाला है। सरकार को सभी अनुदानित कॉलेज को अंगीभूत कर नियमित वेतनमान दिया जाए। शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के धरना में उमड़ी भीड़   

अन्यथा 30 और 31 जनवरी को पटना में विशाल धरना और प्रदर्शन किया जाएगा। शिक्षकों ने कहा कि अपनी सेवा के दौरान पैसे के अभाव में इलाज नहीं करा पाने के कारण दर्जनों शिक्षकों की जहां मौत हो गई वहीं सैकड़ों शिक्षक बिना वेतन पाए ही सेवानिवृत्त हो गये। शेष बचे शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी भी जीवन के अंतिम पायदान पर खड़े रहकर आंसू बहाने को विवश बने हुए हैं। आश्चर्य तो यह है कि राज्य में 65 से 70 प्रतिशत छात्र छात्राएं संबद्ध कालेजों में ही नामांकन कराकर अपने अपने भविष्य को संवारते रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार लगातार इन कालेजों के साथ दोरंगी नीति अपनाते रही है। राज्य सरकार वर्ष 2008 में इन कालेजों के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर  कर्मचारियों को वेतन देने के नाम पर परीक्षाफल आधारित अनुदान देने की शुरूआत तो की। लेकिन अब तक इसका मूल्यांकन नहीं कर सकी कि आवंटित अनुदान राशि से शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को कब और कितना पैसा मिलता है। हकीकत तो यह है कि राज्य सरकार परीक्षाफल आधारित अनुदान राशि कालेज प्रबंधन को देती है। जिसका अब तक बंदरबांट ही होता रहा है। धरना को दिल्ली विवि से सेवानिवृत हुए डॉ. रामचंद्र यादव ने भी संबोधित करते हुए सरकार से इनकी मांगों को मानने की अपील की। मौके पर डॉ. बिजेंद्र नारायण यादव, डॉ. दीपक कुमार सिंह, मो. समीमउल्लाह, डॉ. चंद्रप्रकाश, डॉ. सत्येंद्र नारायण यादव, डॉ. संजय कुमार, डॉ. बैद्यनाथ यादव, प्रो. मनोज भटनागर, डॉ. अर्जुन यादव, डॉ. शंकर आर्य, अनिल कुमार सिंह, डॉ. पुष्पलता सिंह, डॉ. भारती झा, डॉ. तंद्रा शरण, डॉ. सरस्वती कुमारी, ललिता कुमारी, डॉ. सिंधु कुमारी, चंद्र प्रभा, नूतन कुमारी, साधना कुमारी, गौतम कुमार, मनोज झा, इंदिरा कुमारी, किरण कुमारी, राजकिशोर यादव सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और कर्मचारी मौजूद थे। 

मुख्यमंत्री के नाम कुलसचिव को सौंपा मांग पत्र:संबद्ध कॉलेज के शिक्षकों ने अपनी मांगों से संबंधित मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर को सौंपा। मांग पत्र में अनुदान नहीं वेतन दो के अलावा संबद्ध शिक्षकों को विवि में काम देने, पीएचडी का शोध निदेशक बनाने, आंतरिक स्त्रोत की राशि बंटवाने सहित अन्य मांग शामिल रहे। कुलसचिव ने कहा कि उनके माध्यम से होने वाले मांगों पर कुलपति से विचार विमर्श कर पूरा किया जाएगा।

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