राम-जानकी राधाकृष्ण मंदिर सिंहेश्वर में 22 जनवरी को नए मंदिर में विराजमान होंगे रामलला।

 मकरसंक्रांति पर शुरू हुआ आयोजन एक रूपया एक ईट रामलला का भव्य मंदिर में  जाने की तैयारी 22 जनवरी 


कोशी तक/सिंहेश्वर मधेपुरा


समस्त सिंहेश्वर वासियों के लिए 22 जनवरी दोहरी खुशी ला रही है। जहा एक तरफ हजारों वर्षो के बाद अयोध्या के भव्य मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में चारों तरफ मंगल ही मंगल दिखाई दे रहा है। हर सनातनी इस पावन अवसर पर अपने को राम मय में लीन होना चाह रहे हैं। वही यह अवसर बाबा सिंहेश्वर नाथ की नगरी दोहरी खुशी मना रही हैं। यह वही स्थल है। जहा राम लला के जन्म के लिए महाराज दशरथ ने श्रृंगी ऋषि के द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था। यहा पुर्व से बने भगवान राम का मंदिर जो जीर्ण शीर्ण हो गया था। उस मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद वहा एक भव्य और आलौकिक मंदिर का निर्माण किया गया है। जिसमें भी अयोध्या की तरह 22 जनवरी को ही राम लला की स्थापना नए मंदिर में करने का शुभ मुहूर्त निकाला गया है। यह सौभाग्य की बात है की राम के पुत्रेष्टि यज्ञ स्थली पर और राम लला के जन्म स्थली पर एक ही दिन रामलला टुटे भवन से भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित हो रहे हैं। इस खुशी पर 14 जनवरी से ही प्रतिमा स्थापना का कार्यक्रम शुरू कर दिया जायेगा। मकरसंक्रांति के अवसर पर ईट दान करते श्रद्धालु 

एक रूपया एक ईट से बना मंदिर।

एक रुपैया एक ईंट से भव्य राम जानकी, राधाकृष्ण मंदिर के निर्माण का संकल्प 14 जनवरी  2003 को लिया गया था।आज 21 वर्षों के वनवास के बाद 22 जनवरी को रामलला अपने भव्य मंदिर में आ रहे हैं। मालुम  हो की इस अवसर सिंहेश्वर वासियों ने जमकर ईट का दान किया। सिंहेश्वर के हर घर से लोग पुरे परिवार के साथ दान के लिए आज भी आगे आए। खाश कर बच्चों द्वारा दान का दृश्य आकर्षण का केंद्र रहा । जबकि घर की महिला और पुरुष ने भी बढ चढ कर हिस्सा लिया। और मंदिर में भगवान की स्थापना को लेकर भी लोगों ने बढ़ चढ़ कर दान में हिस्सा लिया। मकरसंक्रांति के अवसर पर साधु संतों को कराया भोजन 


रामलला के मंदिर पहुंचे बजरंगबली 

मंदिर के निर्माण के समय भी एक बजरंगबली से मंदिर निर्माण की प्रेरणा मिली थी।  जो राम जानकी राधाकृष्ण मंदिर में ही रहता था। किसी को कभी तंग नही करता था। उसके निधन पर पुरे सिंहेश्वर मे उसकी शोभायात्रा निकाली गई थी। और आज मकरसंक्रांति के दिन 21 साल पुरे होने पर बजरंगबली सिंहेश्वर पहुंचे। और मंदिर का अवलोकन कर निकल गया।भीडीओ में कैद मकरसंक्रांति के अवसर पर पहुंचे बजरंगबली 


22 जनवरी को तय हुआ भव्य कार्यक्रम।

22 जनवरी को 12.20 में अयोध्या में अभिजीत मूहर्त में रामलला कि मूर्ति स्थापना होगी। श्रीराम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर सिंहेश्वर के पुराने मंदिर में जो प्रतिमा ठाकुर जी और छोटे हनुमान जी कि है, इसी शुभ मुहूर्त में 22 जनवरी को 12.20 मिनट में निर्माणाधीन भव्य मंदिर में स्थापित किया जाना सुनिश्चित हुआ है। इसके लिए सिंहेश्वर को राम मय बनाने के पुरे नगर पंचायत  में हर घर पर भगवा ध्वज लगाया जा रहा है। और 22 जनवरी को 11.30 बजे बाबा मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकाली जायेगी। जो सिंहेश्वर भ्रमण कर राम जानकी राधाकृष्ण मंदिर पहुंचेगी। फिर 12 बज कर 20 मिनट पर राम लला नए मंदिर में प्रवेश करेंगे।उसके बाद 108 हनुमान चालीसा का पाठ लक्ष्मीनाथ गोसाईं संघ के द्वारा किया जाएगा। उसके बाद हवन, आरती और भंडारा का कार्यक्रम रखा गया है। शाम में दीपोत्सव मनाया जाएगा। हर घर में दीपावली के तरह दीप जलाया जायेगा। संध्या 6 बजे भजन संकीर्तन एवं राम भक्तों के साथ भव्य जागरण का कार्यक्रम होगा।द्रविड़ शैली से बना राम जानकी राधाकृष्ण मंदिर 

दविड़ शैली से बना राम लला का भव्य मंदिर का निर्माण।

राम जानकी राधाकृष्ण मंदिर द्रविड़ शैली का अनोखा अनुपम मंदिर में देखने  में काफी खुबसूरत नजर आ रही है। इस मंदिर की विषेशता यह है कि यहा रामलला के साथ साथ नटखट नटवर भी विराजेंगे। साथ ही  बजरंगबली का मंदिर बन कर तैयार है। कुछ छिटपुट काम और मंदिर के सौंदर्यीकरण का कार्य अनवरत चलता रहेगा। इसलिए 22 जनवरी को अविजित  मुहुर्त में अयोध्या के रामलला के साथ बाबा की नगरी में भी 12 बजकर 20 मिनट पर रामलला मंदिर में विराजेंगे। इस अवसर पर सिंहेश्वर नगर वासियों ने एक से एक  कार्यक्रम तय कर दिया है। आज  से 21 साल पहले जिस युवाओं ने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था। आज पौढ़ा अवस्था में भी उसका उत्साह का  वर्णन नही किया जा सकता है। ऐसा लगता है प्रभु राम ने इनका जन्म ही मंदिर निर्माण के लिए किया था। उस समय असंभव सा लगने वाला कार्य आज अंतिम चरण में देख इनके आंखों को जो सकुन  मिल रहा है उसे आंका नही जा सकता। मकरसंक्रांति के अवसर पर वस्त्र व्यापार संघ के अध्यक्ष सह मंदिर निर्माण समिति के कोषाध्यक्ष अरविंद प्राण सुखका, इं. शिव प्रसाद टेकरीवाल, सुदेश शर्मा, संजीव  कुमार भगत, इंद्रदेव स्वर्णकार, सुमित वर्मा, श्रृंगी ऋषि सेवा फाउंडेशन के संस्थापक भास्कर कुमार निखिल, लालबाबा, संजीव शर्मा, सुदीप शर्मा, मनीष मोदी, दीपांशु कुमार, उमेश दास सहित सैकड़ों सिंहेश्वर वासी दान में शामिल हुए।

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