कोशी तक/सिंहेश्वर मधेपुरा
जेएनकेटी मेडिकल कालेज एवं हास्पीटल में वर्ल्ड एनिस्थिसिया डे पर सीपीआर जागरुकता व प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। जेएनकेटी मेडिकल कालेज में लगाए गए शिविर में हार्ट अटैक से होने वाली अनहोनी से बचाव के लिए प्रो. डा. नगीना चौधरी ने महत्वपूर्ण टिप्स देकर लोगों को जागरुक किया। साथ ही यह भी बताया कि अचानक हार्ट अटैक आने पर व्यक्ति को सीपीआर देकर किस तरह जान बचा सकते है। वही उन्होंने कहा की अब एनेसथिसिया की जरूरत नही रह गई है। अब हमलोग इथर देते ही नही है। जिस अंग में आपरेशन करना होता है उसे ब्लाक कर देते हैं। उपाधीक्षक डा. कृष्णा प्रसाद ने कहा इस दिन मेडिकल साइंस में एनिस्थेसिया के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि इस दिन पहली बार एनेस्थीसिया का इस्तेमाल हुआ था। एनेस्थीसिया की खोज से पहले सर्जरी करना चिकित्सक और मरीज दोनों के लिए ही बहुत कष्टदायक होता था।डा. वेणु गोपाल ने बताया कि एनेस्थीसिया की मदद से बिना किसी दर्द के सर्जरी करना संभव हो पाया है. जो कि मेडिकल साइंस के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है। एनेस्थीसिया की खोज होने से पहले सर्जरी को जितना हो सके टालने की कोशिश की जाती थी। क्योंकि बिना एनेस्थीसिया के मरीज को सर्जरी के दौरान असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता था। मरीज की चीखों के बीच चिकित्सको को सर्जरी करनी पड़ती थी। जो कि इमोशनल तकलीफ का भी कारण होता था। वहीं डा. अंजनी कुमार ने बताया कि सबसे पहली बार आज ही के दिन साल 1846 में एनेस्थीसिया का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया था। इस दिन इथर का एनेस्थीसिया की तरह कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका सफलता पूर्वक प्रयोग करके दिखाया गया था। इस वजह से कई देशों में इसे इथर डे भी कहा जाता है। डा. प्रिय रंजन भास्कर ने बताया की एनिस्थेसिया डे पर इस साल की थीम है“ एनेस्थीसिया और कैंसर केयर” इस थीम के जरिए कैंसर के इलाज में एनेस्थीसिया की अहम भूमिका के बारे में बताने की कोशिश की गई है। भविष्य में कैंसर के इलाज में एनेस्थीसिया के सुरक्षित इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भी इस थीम को चुना गया है। मौके पर डा. प्रिय रंजन भास्कर, डा. अभय कुमार, डा. प्रवीण विजियन सहित कई चिकित्सक मौजूद थे
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