जातीय जनगणना को को युवा राष्टीय लोक जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष ने बताया गलत।


युवा राष्ट्रीय लोक जनता दल बिहार के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो.अभिषेक कुशवाहा

सिंहेश्वर मधेपुरा 


 युवा राष्ट्रीय लोक जनता दल बिहार के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो.अभिषेक कुशवाहा ने बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार को पत्र लिखकर जाति जनगणना में कुशवाहा समाज की संख्या को कम दिखाए जाने पर आपत्ति जताई है। और पुनः जातीय जनगणना करवाने की मांग की है। प्रो.अभिषेक कुशवाहा ने कहा है कि जातीय गणना के आंकड़े त्रुटिपूर्ण हैं। सरकार को मतदाता पहचान पत्र की भांति रिपोर्ट को जनता के सामने रखना चाहिए ताकि वो अपनी जाति की सूचना की जांच कर सकें और आवश्यक होने पर संशोधन कर सकें। इसके पश्चात आंकड़ों को पुन: संग्रहित कर सरकार के द्वारा जारी किया जाए। उन्होने कहा है कि 1931 के जाति आधारित जनगणना मे कुशवाहा 4.1 प्रतिशत थे। उसके बाद कुशवाहा की आबादी बढी ही नही। आजादी के बाद 92 साल बाद भी कुशवाहा की आबादी बढी ही नही अब लगता है धीरे धीरे कुशवाहा शून्य ना हो जाए। इसे जातीय घोटाला कहना कोई गलत बात नही होगी। सरकार की मंशा कुशवाहा समाज के लिए ठीक नही है। बिहार सरकार ने जातिय जनगणना की मगर आर्थिक सर्वेक्षण नही करवाया जो की अतिआवश्यक था। जिससे समाज मे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की पहचान हो सके और सरकार को भी जानकारी हो सके की समाज मे कितने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग है। जातीय आंकड़ों के साथ साथ आर्थिक आंकड़ों का भी प्रकाशन हो ताकि जातीय जनगणना के मूल उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। सरकार जातीय गणना के आंकड़ों में अगर सुधार नहीं करती है। तो वर्तमान आंकड़े से कमजोर एवं गरीब वर्ग सर्वाधिक प्रभावित होगा। इन आंकड़ों से सिर्फ सत्ता में बैठे लोगों को लाभ होना है। जातीय गणना के आंकड़े में गड़बड़ी की आशंका साफ साफ दिखाई दे रही है। इसके आंकड़े में कमजोर जातीयों को कम करके दिखाया गया है। विशेषकर कुशवाहा समाज की संख्या कम करके बताई गई है। इसलिए युवा राष्ट्रीय लोक जनता दल बिहार मांग करती है। कि जातीय जनगणना को रद्द करते हुए पुनः जातीय जनगणना करवाई जाए ताकि सही आंकड़ों को प्रकाशित किया जा सके। इसके साथ साथ आर्थिक आंकड़ों का भी प्रकाशन किया जाय।

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