1.11 करोड़ का स्टील व प्लास्टिक डस्टबीन में कुछ तोड़े गये और कुछ लोग उखाड़ ले गए

सुकेश राणा
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 मधेपुरा।

मधेपुरा को साफ सुथरा और कूड़ा मुक्त बनाने के लिए नगरपरिषद हमेशा से दावे करता रहा है। इसके लिए पिछले डेढ साल पहले नगरपरिषद ने 1.11 करोड़ की लागत से प्लास्टिक व स्टील के डस्टबीन खरीद कर लगाए थे। वर्तमान स्थिति यह है कि चिन्हित स्थानों पर प्लास्टिक डस्टबीन खोजने से नहीं मिल रहा है। यदा कदा किसी जगह पर टुटे स्थिति में अपनी मौजूदगी का एहसास करा रहा है। वहीं स्टील का डस्टबीन या तो लोगों द्वारा तोड़ दिये गये या उखाड़ दिये गये। जो बचा है अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। शहर के विकास का 1.11 करोड़ ड़ेढ साल में ही दम तोड़ दिया। हालांकि इसका सवाल-जबाब कोई पूर्व के वार्ड प्रतिनिधि के पास तो बिल्कुल नहीं है। कई ऐसे प्रतिनिधि थे जिन्होंने प्लास्टिक डस्टबीन को जनता की सेवा से ज्यादा अपने घर के अनाज के रख रखाव के लिए रख लिया है। कई तो आज भी उसके द्वार पर स्वच्छ मधेपुरा का एहसास करा रहा है। इस डस्टबीन की कीमत भी कम हैरान करने वाला नहीं है। शहर में जितने भी प्लास्टिक के डस्टबीन देखें हाेंगे, उसके ऑनलाइन कीमत किसी भी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी पर देखा जा सकता है। ठीक उससे इतर नगरपरिषद ने उसी डस्टबीन को पांच गुणा से ज्यादा कीमत पर यानि प्रति डस्टबीन 17 हजार में खरीदारी की थी। शहर में ऐसे डस्टबीन 500 खरीदे गये थे। यानि कुल कीमत 85 लाख के आसपास है। हैरानी की बात है कि डस्टबीन वर्तमान में कहां और कितना है। इसकी जानकारी नप के पास नहीं है। अब बात आती है स्टील डस्टबीन की। मधेपुरा नप ने 26 हजार प्रति स्टील डस्टबीन की खरीददारी की थी। इसमें डस्टबीन की बॉडी व गलाने तथा सेट करने तक का खर्च  है। नप ने इसे 100 पीस खरीदा था। यानि यह भी 26 लाख के आसपास का है। 

डस्टबीन नहीं होने के कारण चौक-चौराहे पर कूड़ा रहता है बिखड़ा

मंगलवार से नप ने दो शिफ्ट में शहर की सफाई का काम शुरू किया है। यह निर्णय सोमवार की बैठक में लिया गया था। जिसमंें ईओ द्वारा गंदगी के सवाल पर सुपरवाइजर ने बताया कि सवेरे का कूड़ा उठाव के बाद बाजार का दुकान खुलता है जिसके कारण पूरे दिन चौक-चौराहे पर कूड़ा दिखता है। जिसमें कूड़ेदान की जरूरत महसुस की गई। बाद में ईओ को जानकारी मिली कि हाल के दिनों में खरीदे गये कूड़ेदान सड़क के नुक्कड़ पर नहीं होकर किसी के घरों में आनाज की रखवाली कर रहा है। बावजूद ईअो एक्शन के बजाए चुप्पी साधे है। 



डस्टबीन नहीं रहने के कारण खुले में कचरा फेंकने को लोग विवश::::::

स्वच्छ शहर, स्वच्छ नगर का नारा बस नगरपरिषद के स्लेागन तक सिमटा है। दुकानों व ठेलों से निकलने वाले कचरे के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण यह कचरा नालियों और सड़कों पर गंदगी फेंका रहता है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत दुकानों के सामने कुड़ेदान रखने व उचित स्थान पर फेंकने की बात कही गई थी। दुकानदारों को इसके लिए दुकान के सामने डस्टबिन लगाने की बात कही गई थी। लेकिन यहां कई दुकानों और ठेले के सामने डस्टबिन नहीं दिखती है और कचरा को आसपास के नाले में फेंक दिया जाता है या सड़क पर इधर-उधर जमा कर दिया जाता है। वहीं इस प्रावधान की अवहेलना करने पर जुर्माने की भी बात कही गई थी, लेकिन दुकानों से निकले कचरे को जहां-तहां फेंक चलते बनते हैं। शहर के व्यवसायी प्रमोद गुप्ता कहते हैं कि हमलोग टैक्स देते हैं लेकिन सुविधा नदारद है। उसी तरह प्रावधान के अनुसार दुकानों और खाने-पीने के प्रतिष्ठानों के पास कुड़ेदान रख निकलने वाले कचरे का संग्रह किया जाना और निश्चित स्थान या कुड़ा संग्रह गाड़ियों को दिया जाना था। नगर परिषद द्वारा ऐसे दुकानदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से शहर की सड़क और नालियां कचरों से बजबजाती रहती है।

दिया गया था दो रंगो का डस्टबीन

स्वच्छ भारत मिशन के तहत तीन-चार वर्ष पूर्व नगर परिषद सभी घरो में नीले व हरे रंग के अलग-अलग दो डस्टबिन दिया था। जिसमें कहा गया था कि नीले रंग वाले कचरे में घर के लोग सूखा कचरा रखेंगे और हरे रंग वाले में गीला कचरा रखेंगे। डस्टबिन के कचरे को नगर परिषद के सफाई कर्मी रोजाना लेकर जाएंगे। इस योजना के लागू होने के बाद शहर में कही भी कूड़ा नजर नही आएगा। लेकिन शुरूआती दौर के बाद सभी योजना धरी के धरी रह गई। इस बाबत ईओ तान्या कुमारी ने कहा कि सुपरवाइजर के साथ बैठक में मैंने डस्टबीन की स्थिति की समीक्षा की है। कुछ शिकायतें मिली है। लेकिन समस्या का जल्द निबटारा किया जाएगा। 



गंदगी का नजारा एक दृष्य में::::::::::::::

सीन एक

शहर के पार्क के उत्तर ओर रखा स्टील कूड़ेदान का अब केवल अस्तित्व बचा है। नगर पालिका द्वारा सरकारी कर्मी के मकानों के सामने एक डस्टबिन सेट लगवाया था। उस दिन लोगों ने उसमें कूड़ा डाला। बाद में यह डस्टबिन खुद ही टुट कर बिखड़ने लगा जो आज के ढंाचा के रूप में है। 

सीन दो- 

नगर को स्वच्छ बनाने और कूड़ा कलेक्शन के लिए एसडीएम कार्यालय के आगे मेन रोड पर कुछ दिन तक स्टील का डस्टबीन लगा था। लेकिन आज नदारद है। वहां प्लास्टिक डस्टबीन भी रखा था। जो कभी कभी मेहमान की तरह आता व जाता है। 

सीन तीन- 

शहर के बड़ी दुर्गा मंदिर के उत्तर ओर मधेपुरा होटल के बगल से जाने वाली गली के मोड़ पर कूड़ा की स्थिति हमेशा नरकीय रहती है। लोगों ने बताया कि कूछ दिन पूर्व वहां प्लास्टिक डस्बीन था। लेकिन अब नदारद है। यही कारण है कि कूड़ा उठाव के बाद भी गंदगी जस की तस रहती है।

सीन चार- 

शहर के वार्ड 6  व 12 के मध्य पुरानी बाजार हलवाई टोला स्थित मेन रोड पर डस्टबीन लगा था। पहले डस्टबीन गायब हुआ अब लोहे का फ्रेम भी गायब है। लेकिन कभी नप ने इसे खोजने की जरूरत महसुस नहीं किया। 



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