कालेज इकाई अध्यक्ष से राष्ट्रीय टीम तक का सफर तय करने वाले राठौर ने एआईएफएफ को कहा अलविदा

 


वाम छात्र संगठन एआईएफएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य बीएनएमयू एवम् पीयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर

सिंहेश्वर मधेपुरा 

वाम छात्र संगठन एआईएफएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य ,बीएनएमयू एवम् पीयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने 28 सितंबर को बेगुसराय में होने जा रहे संगठन के राष्ट्रीय सम्मेलन से महज चार दिन पहले एआईएफएफ के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रीय व प्रांतीय नेतृत्व को इस्तीफा रवाना करने के  बाद  उन्होंने इस बात की जानकारी साझा की। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, महासचिव, प्रांतीय अध्यक्ष को लिखे पत्र में राठौर ने अपने फैसले से अवगत कराया है और इस्तीफे का कारण नए नेतृत्व को आगे आने देने की जरूरत बताया है।ज्ञात हो कि दो साल पहले जब राठौर ने अचानक संगठन से इस्तीफा दे दिया था। तब राज्य अध्यक्ष और संयुक्त सचिव ने दो दिन तक मधेपुरा में कैंप कर राष्ट्रीय सम्मेलन तक संगठन में बने रहने की अपील की थी। वहीं राष्ट्रीय नेतृत्व ने संगठन हित में इस्तीफा नामंजूर कर दिया था।राठौर ने बताया कि उन्हें हमेशा गर्व रहेगा कि टीपी कॉलेज इकाई अध्यक्ष से छात्र राजनीति की शुरुआत कर राष्ट्रीय टीम तक का सफर तय किया और खास कर एआईएफएफ बिहार में सूबे के चर्चित छात्र नेता विश्वजीत कुमार, सुशील कुमार, आरटीआई एक्टिविस्ट रंजीत पंडित के राज्य नेतृत्व के सचिव मंडल सदस्य के रूप में काम करने को  मिला जो उनके लिए धरोहर है। संगठन के तत्कालीन जिलाध्यक्ष मनोज कुमार को अपनी राजनीतिक सफर और उपलब्धि का श्रेय देते हुए राठौर ने कहा कि उन्ही के द्वारा एआईएफएफ से जुड़ने और बहुत कुछ सीखने को मौका मिला उनके साथ काम करके ही छात्र राजनीति की बारीकियों को प्राप्त कर सका।


 राष्ट्रीय क्लास के मॉनिटर व बेस्ट स्टूडेंट बनना खास लम्हा  

 एआईएफएफ को अलविदा कहने वाले राठौर ने कहा कि संगठन से जुड़ी उनकी कई खास यादें हैं जिसमें राष्ट्रीय क्लास के मॉनिटर व बेस्ट स्टूडेंट बनना यादगार लम्हा रहा। इसके अतिरिक्त संगठन से जुड़े साथियों और समाज के विभिन्न क्षेत्रों से उन्हें बहुत सारा स्नेह मिला। राठौर ने कहा कि संगठन छोड़ने के बाद भी छात्र हितों की लड़ाई में संघर्ष जारी रहेगी बतौर वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष छात्रहित के मुद्दों पर संघर्ष और धारदार होगा। उन्होंने कहा कि संगठन को लेकर उनके कई सपने थे जिसे वो मुकाम तक नहीं ले जा सके जिसका उन्हें मलाल रहेगा। राजनीति की नई पारी में उसे पूरा करने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा।


12 व 15 दिनों के आमरण अनशन और चर्चित बीएड प्रकरण में संघर्ष यादगार पड़ाव।

एआईएफएफ के साथ अपने लम्बे जुड़ाव को याद करते राठौर ने कहा कि बीएनएमयू के तत्कालीन कुलपति प्रो विनोद कुमार के कार्यकाल में छात्रहित के मुद्दों पर बारह और पंद्रह दिनों के आमरण जो बीएनएमयू इतिहास का सबसे लंबा अनशन रहा छात्र राजनीति में बड़ा संघर्ष रहा। जिसमें समाज के सभी वर्गों का ऐतिहासिक समर्थन मिला था। वहीं निवर्तमान कुलपति के कार्यकाल में चर्चित बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन प्रकरण में लगभग दो साल तक चला आंदोलन बहुत प्रभावकारी और  विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाने वाला रहा।छात्र राजनीति में फ्री गर्ल्स, एससी एसटी एजुकेशन,गर्ल्स हॉस्टल, बीएनएमयू की पत्रिका जैसे बिंदुओं को चर्चा में लाने में सफलता प्राप्त हुई। एआईएफएफ को अलविदा कह चुके राठौर ने छात्र राजनीति में विभिन्न क्षेत्रों से मिले सहयोग और मार्गदर्शन का आभार व्यक्त करते हुए संगठन के और मजबूत होने की कामना की है।

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