मानसुन दस्तक देने के बाद टुटी नप की नींद, अब नाला के ऑवरफ्लो से मेन रोड में जलजमाव

 






- जलजमाव से मुक्ति के लिए बन रहा अंडरपास पूरा होने में लगेंगे दो माह

- शहर के लगभग सभी गलियों में जमा हुआ सड़कों पर पानी  

- नाले के इंटरकनेक्ट नहीं होने से आई परेशनी 

- 117 छोटे-बड़े नाले में नहीं है कोई इंटरकनेक्शन


  मधेपुरा।

मानसुन के दस्तक देने के बाद नगरपरिषद की नींद टुटी है। अब जब दो दिन से लगातार बारिस हो रही है तो नप को जलजमाव से शहर को निजात दिलाने की सोच रहा है। नतीजा शहर का मेन रोड पर बना नाला जाम के कारण ऑवरफ्लो हो गया है। जिसके कारण कर्पूरी चौक से लेकर कॉलेज चौक तक जलजमाव से लोग परेशान है। अब तो मेन रोड के नाले का पानी ऑवरफ्लो होकर लोगों के घरों में धुसना शुरू कर दिया है। मेन रोड की बदतर स्थिति के बाद सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर के गलियों का क्या हाल होगा।  शहर के गलियों में शायद ही कोई गलियां हो, जहां सड़क पर जलजमाव नहीं हो। मजेदार बात है कि नगरपरिषद क्षेत्र में जलजमाव व गंदगी को लेकर जून में डीएम की अध्यक्षता में बैठक भी हुई थी। लेकिन नतीजा बेअसर रहा। 20 दिन पहले थाना चौक के पास शुरू किया गया अंडरपास को तैयार होने में एक माह से ज्यादा का समय लग सकता है। जबकि दुसरा अंडरपास जो पंचमुखी चौक के पास बनना है, उसे अभी तक शुरू भी नहीं किया गया है। ऐसे में इस बार भी शहर वाशियों को जलजमाव की समस्या झेलना पड़ सकता है। 

डीएम के आदेश भी नहीं मानता नप

 शहर के नाले की उड़ाई व सफाइ को लेकर डीएम के निर्देश दिये एक माह से ज्यादा का समय हो गया लेकिन अभी तक मेन रोड तक के नाला की उड़ाई नहीं हो पाई है। जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का समाना करना पड़ रहा है। वहीं सवाल यह भी उठता है कि नगरपरिषद को जो काम अप्रैल माह में शुरू करना था, वो अब शुरू क्यों किया। पूर्व वार्ड पार्षद अशोक कुमार सिंहा कहते हैं कि नप की मनमानी का शिकार मधेपुरा शहर के जनता हो रहे हैं। वे कहते हैं कि कम से कम मानसुन में तो नप को काम के प्रति गंभीर होना चाहीए।  


40% नाले की हो पाई है उड़ाई:::::::::::::::::

नप ने मानसुन को लेकर शुरू की तैयारी में अबतक 40% नाले की उड़ाई कर पाई है। जानकार की माने तो मेन नाला जिससे शहर का पानी का निकासी होता है। उस नाले को पिछले साल के बाद अभी तक सफाई कार्य भी शुरू नहीं कर पाया है। लोगों का कहना है कि जबतक मेन नालों की सफाई नहीं होगी तबतक शहर में जलजमाव की समस्या से मुक्ति नहीं मिल सकती है। 

शहर में 117 छोड़े-बड़े नाले, जो नहीं है इंटरकनेक्ट

 मधेपुरा नगरपरिषद क्षेत्र में इस समय लगभग 117 छोड़े-बड़े नाला है। इसमें से कुछ नाला दो दशक से पूर्व का है तो कोई हाल के दिनों में बना है। शहर में बना नाला कोई भी प्लानिंग के आधार पर नहीं बना है। सभी नाला जरूरत के आधार पर बना है। प्लानिंग के आधार पर नाला नहीं बनने के कारण कोई इंटरकनेक्ट नहीं है। जिसके कारण थोड़ी-सी बारिस में शहर में जलजमाव हो जाता है। 

 फाइलों में अटका है शहर में बनने वाला ड्रेनेज सिस्टम

 शहर में एसटीपी व ड्रेनेज सिस्टम निर्माण का मामला पांच साल से कागजों पर ही दौड़ रहा है। नगरपरिषद जमीन नहीं मिलने का पुराना रोना रो रही है। वहीं भी इस मामले में कभी गंभीर नजर नहीं आया। यही कारण है कि आज तक ड्रेनेज सिस्टम बनाने में आ रही समस्या का कोई हल ना तो विभाग ना ही बोर्ड निकाल पाया है। जबकि ड्रेनेज सिस्टम के लिए रोडमैप भी बनकर तैयार है। जेई दिनेश दास का कहना है कि हमलोगों ने जो प्लानिंग विभाग को भेजा वह वहीं अटका पड़ा है। दुसरी ओर एसटीपी निर्माण के लिए चिन्हित जमीन भी विवादों में धेरे में है। 

इस बार भी ईंट के टुकड़े से जलजमाव की समस्या होगी दुर

नगरपरिषद जलजमाव से शहर को लोगों को छूटकारे दिलाने के लिए कितने बड़े दावे करें, सच है कि इस बार भी ईंट के टुकड़े से शहर में जलजमाव की समस्या दूर होगी। जानकार की माने तो पिछले बार भंग बोर्ड के बाद 2.5 लाख खर्च कर जलजमाव से मुक्ति पाई थी। इस बार बोर्ड के सदस्य ठोस प्लानिंग की जगह ईंट के टुकड़े पर मानसुन को विदा करना चाहती है। नप के एक कर्मी ने बताया कि इस बार पहले से कई पार्षद ईंट के टुकड़े की मांग कर रहे है। कर्मी ने बताया कि इस बार इस कार्य में 7 से 8 लाख खर्च होगा। 


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