एक बार फिर सोमवार को श्रद्धालुओं से अवैध राशि वसुली गई। जिम्मेदार मौन।

 श्रद्धालुओं को अंत में दिया गया 100 रूपया का रसीद 



कोशी तक/सिंहेश्वर मधेपुरा :-  बस पड़ाव सिंहेश्वर के ठिकेदार पर हाल फिलहाल अवैध वसूली को लेकर दस हजार रुपया का जुर्माना लगाया गया था। इसके बावजूद ठिकेदार द्वारा मनमानी ढंग से अवैध व नाजायज रूप से पैसा वसुला रहा है। इस बाबत श्रद्धालुओं के द्वारा उप विकास आयुक्त को शिकायत किया गया है। इसमें अवधेश नारायण सिंह, उमेश यादव, दिनकर शर्मा, बैधनाथ प्रसाद मेहता और महेश सरदार ने निर्धारित सिंहेश्वर बस पड़ाव में बेरियर शुल्क से अधिक रूपया ठिकेदार एवं ठिकेदार के सहयोगियों के द्वारा वसूल करने पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा हमलोग सोमवार को पुजा करने वास्ते सिंहेश्वर स्थान गए हुए थे। वहां पर सिंहेश्वर बस पड़ाव बेरियर के ठिकेदार एवं ठिकेदार के सहयोगी कर्मचारी के द्वारा निर्धारित सिंहेश्वर बस पड़ाव बेरियर शुल्क से अधिक रूपया की मांग करने लगे एवं रसीद पर भी पर जितना रूपया लिया गया था वह लिखित नही दिया गया। जब इस संबंध में ठिकेदार से शिकायत किया तो ठिकेदार के द्वारा अभद्र व्यवहार हम सब महिला व पुरुष कांवरियों से किया गया। उनके कर्मचारी के द्वारा महिला के साथ छेड़ छाड़ कर पुरूष कांवरियों के साथ मारपीट करने पर उतारू हो गए। अंत में 100 रूपया लेकर ही मामला को ठिकेदार के द्वारा शांत करवाया गया। आवेदन के साथ रसीद की छायाप्रति भी संलग्न की गई है। कवरियों ने कि सिंहेश्वर बस पड़ाव ठिकेदार के द्वारा अवैध रूप से मनमानी ढंग से रूपया वसुल करने पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है। इससे पहले सावन की अंतिम सोमवार को मंदिर परिसर में न्यास समिति के द्वारा फुल और प्रसाद बेचने वालों से मनमर्जी राशि वसुलने का मामला सामने आया था। इस बाबत एक फुलवाला ने बताया की किसी से 100 और किसी से 50 रूपया की वसुली कर रहा है। वह भी रसीद काट कर वसुल रहा है। इस तरह की मनमानी से सभी दुकानदार नाराज हैं। उनका कहना है अगर हम खुलकर शिकायत करते हैं तो हमें यहा से हटा दिया जाता है। जिसके कारण हम लोगों इनके मनमानी का शिकार हो रहे हैं। साथ ही इस बार इसका मंदिर परिसर का डाक नही हुआ है। इसलिए सबसे ज्यादा दुकान मंदिर परिसर में नजर आ रही है। और उससे अवैध वसूली किया जा रहा है। अगर संवेदक होता तो सावन के नाम पर सबको मंदिर परिसर से बाहर कर दिया जाता। न्यास के द्वारा बट्टी के वसुली में इस तरह की अनियमितता जिला के इतने अधिकारियों के मौजूदगी के बाद हो रही है तो अन्य दिन क्या होता होगा सहज महसूस किया जा सकता है। अधिकारी भी मामले में कार्रवाई की जगह मामले को निपटाने में ही लगे रहते हैं। 

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