बिहार स्टेट प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रिक वर्क यूनियन ने 26 जून को 24 घंटे का सांकेतिक हड़ताल की घोषणा की।

 26 जून को 24 घंटे का सांकेतिक हड़ताल की घोषणा 



कोशी तक /सिंहेश्वर मधेपुरा:-  बिहार स्टेट प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रिक वर्क यूनियन ने 26 जून को सुबह 6:00 बजे से 27 जून 6:00 बजे तक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सांकेतिक एवं हड़ताल की घोषणा की है। इस हड़ताल में सभी नियमित कामगारों के अलावा आउटसोर्सिंग के तहत कार्य करने वाले मानव बल, सुरक्षा प्रहरी और अन्य सभी प्रकार के कामगार शामिल हैं।

मुख्य मांगें:

- एजेंसी हटाओ: विद्युत् विभाग में नियमित कार्य के लिए बाह्य श्रोत से मानव बलों की सेवाएं बिचौलिए एजेंसी से ली जा रही हैं। यूनियन मांग करती है कि कंपनी प्रबंधन मानव बलों को बिचौलिए एजेंसी से मुक्त कराए और सीधे अपने अधीन रखे।

- वेतन निर्धारण: बीएसपी एचसीएल अपने स्तर से मानव बलों का वेतन स्वयं निर्धारित करे, जो सम्मानजनक हो और वेतन निर्धारण में 'समान कार्य का समान वेतन' के सिद्धांत का ख्याल रखा जाए।

- नियमावली बनाना: विद्युत् कंपनी में कार्यरत मानव बलों के लिए एक स्पष्ट नियमावली बनाई जाए, जिसमें 60 वर्ष की नौकरी पक्की करने, स्थानांतरण, छुट्टी, कार्य के दौरान मृत्यु पर मुआवजा और असामयिक मृत्यु होने पर किसी पात्र आश्रित को कार्य पर रखने आदि का सेवा शर्त तय किया जाए।

- बोनस और उपादान का भुगतान: विद्युत् कंपनी में बोनस अधिनियम लागू होने के बावजूद इसका भुगतान नहीं किया जा रहा है, जबकि कंपनी प्रबंधन को मानव बलों को बोनस और उपादान का भुगतान करना चाहिए।

- पूर्व के संघर्षों में हटाए गए मानव बलों को कार्य पर वापस रखना : पूर्व के संघर्ष में हटाए गए लगभग 1 से डेढ़ हजार मानव बल कार्य से बाहर हैं। यूनियन मांग करती है कि कंपनी प्रबंधन सभी मानव बलों को कार्य पर वापस ले।

- वर्दी उपलब्ध कराना:  एनबीपीडीसीएल के मानव बलों को वर्दी उपलब्ध कराया जाए, जैसा कि एसबीपीडीसीएल में किया जाता है।

- अधिकाल का भुगतान: मानव बलों को अधिकाल का भुगतान किया जाए और इसके लिए सख्त निदेश दिया जाए।

- साप्ताहिक आराम का भुगतान: महीने भर काम के बदले 26 दिन के भुगतान की नीति बदली जाए और साप्ताहिक आराम के दिन का भी भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

हड़ताल के कारण:

- यूनियन के द्वारा अपनी मांगों के लिए किए जा रहे पत्राचार का कोई जवाब नहीं देना।

- यूनियन के द्वारा अपनी मांगों की प्राप्ति के लिए किए जा रहे विभिन्न संघर्ष कार्यक्रम का अप्रभावी हो जाना।

- मानव बलों की लाइन मेंटेनेंस में लगातार हो रही मौतों पर कंपनी प्रबंधन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करना।

- नियमित कामगार और आउटसोर्स कामगारों में भेदभाव करना।

- विभिन्न श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जाना।

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