नये वस्त्र धारण कर सुहागिनें पति की लंबी उम्र के लिए वट वृक्ष की पुजा की।

 वट सावित्री व्रत की पुजा अर्चना करती सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष के पास वट सावित्री व्रत की पुजा करती सुहागिनें



कोशी तक/ मुरलीगंज:- सावित्री व्रत के दिन सुहागिनें सज धज कर पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष के पास पहुंच कर पुजा अर्चना की। वट सावित्री पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान, महिलाएं व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं, साथ ही बरगद के पेड़ की सात बार परिक्रमा करती हैं और कच्चा धागा लपेटती हैं।घर पर वट सावित्री व्रत की पुजा करती सुहागिन महिला

वट सावित्री पर्व का महत्व:

- पति की लंबी उम्र: इस पर्व के दौरान, महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं।

- सावित्री-सत्यवान की कथा: इस पर्व का आधार सावित्री-सत्यवान की अमर कथा है, जिसमें सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस पा लिया था।

- धार्मिक मान्यताएं: इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य, सुख-शांति और दांपत्य जीवन में मजबूती आती है।मुरलीगंज गोल बाजार नर्मदेश्वर मंदिर में पूजा करती सुहागिनें 

वट सावित्री पर्व की परंपरा:

- वट वृक्ष की पूजा:  महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और बरगद के पेड़ की सात बार परिक्रमा करती हैं।

- कच्चा धागा लपेटना: महिलाएं वट वृक्ष पर कच्चा धागा लपेटती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

- व्रत रखना: महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं।

मुरलीगंज से अंशु भगत 

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