वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन का 10 वां स्थापना दिवस समारोह के रूप में मना। बुजुर्गों की पीड़ा सामने आई।

 

वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन का 10 वां स्थापना दिवस का उद्घाटन करते


कोशी तक/सिंहेश्वर मधेपुरा:- वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन सिंहेश्वर का 10 वां स्थापना दिवस स्वामी विवेकानंद गुरूकुल शांति वन गली सिंहेश्वर में समारोह पूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन टीएमबीयू के पुर्व प्रतिकुलपति प्रो. डा. कौशल किशोर मंडल ने किया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति श्री मंडल ने कहा आप अगर ज्ञानी हैं तो झुकना ही आपकी निशानी है । उदाहरण देते हुए कहा कि जब आम के पेड़ फल लगता है तो वह झुक जाता है और फल टूटते ही वह फिर अपनी जगह पर आ जाता है। उन्होंने कहा भारत की सांस्कृतिक बहुत ही पुरानी है। आप देखेंगे तो पता चलेगा कि हमारे पूर्वजों ने जो धारणा बनाई थी कि "वसुदेव कुटुंबकम्" यानी संपूर्ण विश्व को अपना परिवार समझते थे। आज अपना भी परिवार हमारे साथ नहीं है। बच्चे बुजुर्गों की उपेक्षा करते हैं। आज पत्नी और बच्चे से ही परिवार बनकर रह गया है। चाचा-चाची , दादा दादी, तो छोड़िए भैया भाभी भी परिवार से नदारद है। उन्होंने हमारे समाज का बदलाव को एक  पंक्ति में बताया "उजरा बयार या चमन कहूं, इस वसुंधरा को सृजन कहूं या पतन कहूं" उन्होंने जोड़ देते हुए कहा कि आज वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन की जरूरत क्यों पड़ी?  जब घरों में बुजुर्गों की अपेक्षा होने लगी तो बुजुर्गों को इसकी जरूरत महसूस की गई। यह सिर्फ बुजुर्गों के लिए नहीं है यह भाभी पीढ़ी को भी सावधान करने का है। अपने अधिकार के लिए हम चिंतित है भाभी पीढ़ी भी सावधान हो जाए कि पश्चिमी सभ्यता की नकल करते-करते जो लड़के बाहर पढ़ने गए हैं। वे अपने पिता को पहचानने के लिए भी तैयार नहीं है। इसलिए इस संगठन को धरातल स्तर पर इतना मजबूत किया जाए की बुजुर्गों की सुधि लेने के लिए किसी बुजुर्ग को बेटे से अपमानित होना की जरूरत नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि "संघे शक्ति कलयुगे" इसलिए इस बुजुर्ग संगठन को इतना मजबूत और शक्तिशाली बनाया जाए कि हमें किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़े हम दूसरे की सेवा में भी अपना योगदान दे सके।अतिथियों को सम्मानित करते वरिष्ठ नागरिक संघ सदस्य 

वरिष्ठ नागरिक संघ के जिला सचिव प्रो. डा. राम चंद्र मंडल ने कहा टीएमबीयू के प्रतिकुलपति के के मंडल को मधेपुरा के विकास का मसीहा बताया। उन्होंने कहा मधेपुरा में यूनिवर्सिटी हो, जिला के दर्जा हो, रेल इंजन की बात हो इनके संघर्ष को याद किया जाएगा। वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन की जरूरत पर उन्होंने कहा आज पुत्र पिता की अहमियत को भुलाते जा रहे हैं। अब परिवार सिमट कर रह गया है। हर घर में बुजुर्ग हांसिए पर चला गया। उन्होंने कहा आने वाले समाज में एक समय ऐसा आएगा की पिता को अपने पुत्र के पास अपना आईडेंटिटी देना होगा की हमीं तुम्हारे पिता है।अतिथियों को सम्मानित करते वरिष्ठ नागरिक संघ सदस्य

बीएनएमयू के पुर्व रजिस्टर प्रो. सचिंद्र महतो ने कहा आज के परिवेश में बुजुर्गों की जो हालत है किसी से छिपी नहीं है। इसको मजबूत करने के लिए वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन सिंहेश्वर को इंजन की भुमिका में आना होगा। डिब्बे खुद ब खुद जुड़ जाएंगे। अभी परिवार के विघटन का दौर है। आज सभी को अपनी शैली में ढलना होगा। उन्होंने पुजा पाठ पर भी विचार रखते हुए कहा पहले बाबा औघड़ दानी थे। अब बाबा भी पिकनीक वाले हो गए हैं। जिसमें छैला बिहारी के पारी  बेच के साड़ी लेवे बैजनाथ घाम जईवे हो की चर्चा की।अतिथियों को सम्मानित करते वरिष्ठ नागरिक संघ सदस्य


सीएम साइंस कालेज के पुर्व प्राचार्य डा. पुष्पलता यादव ने कहा वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन में कुछ भी बतलाने में असहज महसूस कर रही हु। जबकि एक से बढ़कर एक विद्वान और महान हस्ती यहां उपस्थित है। जिन्होंने जीवन की भट्टी पर तप कर अपने ज्ञान से समाज को उच्च संस्कार देने का काम किया। आज हजारों लाखों वर्षों से चली आ रही सनातन व्यवस्था हमारे समाज की रीड है। जहां वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों के साथ शेष जीवन मिटाने को प्रतिबद्ध है। यद्यपि धीरे-धीरे इसमें गिरावट आ गई है। इसका कारण  पश्चिमीकरण है। पश्चिमीकरण से आए संस्कृति की बवंडर से न सिर्फ सनातन धर्म को बल्कि हमारे संयुक्त परिवार को नेस्तनाबूद करने का काम किया है।

नगर पंचायत अध्यक्षा पुनम देवी ने कहा बड़े बुजुर्गो के सम्मान से ही घर मंदिर कहलाता है। उन्होंने आज के परिवेश में बुजुर्गो पर अपनी जिंदगी को ढालने के लिए एक कविता कही।

"सचमुच अकेलापन भी बुरा नहीं होता है, बस इसे सही से जाना जाय, या सही से अपनाया जाय।

हकीकत में, जो अकेले में भी खुश रहना सीख लिया वह कभी, किसी पर निर्भर नहीं होता।

सचमुच, सुकून का तलाश तो, हर किसी को होता है, मगर इसे पाने के लिए, खुद को समझना पड़ता है। 

खुद के साथ, समय बिताने वाला इंसान, हमेशा संतुष्ट रहता है।"


मंच संचालन करते हुए मनी भुषण वर्मा ने बसंत जी की बुजुर्गों पर एक कविता लोगों के बीच रखा जो बुजुर्गों की स्थिति बयां करने के लिए प्रयाप्त है।

"लगने लगा है बिस्तर बाहर दालान में,

बूढ़े के लिए अब नहीं कमरा मकान में।

जिसको दी थी जुबान वह जवान हो गए। 

कहते हैं अब लगा ले ताला जवान पे। 

रोटी बची है रात की सालन नहीं बची, 

दे गई है बेगम कहकर यह कान में। 

बुढ़े के लिए अब नही कमरा मकान में।"

वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन के सचिव भरत चंद्र भगत ने बुजुर्गों को भी घर के व्यवहार में ढलने की बात कही उन्होंने कहा आज के समाज में एक विचित्र परिवर्तन देखने को मिल रहा है। जिसमें युवा वर्ग है जो इस भागम भाग दौड़ में अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्षरत हैं। जिससे कभी कभी वह हम पर ध्यान नही दे पाता है। इसका मतलब यह नहीं वह हमसे प्यार नही करता है। हमें अपने आदेशात्मक रूख को बदलना होगा। और अहंग पर विजय पाना होगा। जिससे परिवार में सम्मान मिल सके। साथ नगर पंचायत अध्यक्षा को वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन को कार्यलय देने की याद भी ताजा कराया।

मौके पर अशोक मेहता, काशी चौधरी, जय नारायण साह, राम चंद्र भगत, जगरनाथ साह, तेज नारायण भगत, बिहारी साह, अरूण प्राणसुखका, सत्य नारायण भगत, जय नारायण पंडित, शैलेन्द्र पौदार, अहिल्या देवी, बीना कुमारी, बुनियादी केंद्र प्रमोद कुमार भारती, आलोक कुमार,  मुनी लाल नोनिया, सुबोध शर्मा, शशी सिंह, वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन सिंहेश्वर के अध्यक्ष ललितेश्वर भगत ललन, विश्व नशा उन्मूलन अभियान के संस्थापक संत गंगा दास तांती, कोषाध्यक्ष दिनेश चंद्र झा, उपाध्यक्ष राम चंद्र साह, सोहन वर्मा, सुखासन पंचायत के अध्यक्ष भुपेंद्र नारायण यादव, सहित स्वामी विवेकानंद गुरूकुल के मेनेजिंग डायरेक्टर रूपेश कुमार कनोजिया सहित सभी शिक्षक बुजुर्गों की सेवा में जुटे रहे।

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