अलविदा जुमा तौबा और रहमत की दुआ का पाक दिन, अल्लाह से नजदीकी बढ़ाने का मौका - हफीज परवेज आलम

Dr.I C Bhagat
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  चौसा जामा मस्जिद में अलविदा जुमा की नवाज पढ़ते नमाजी 



कोशी तक/ चौसा मधेपुरा:- अलविदा जुमा एक अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन है, जो रमजान के आखिरी जुमे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मस्जिदों में विशेष नमाजें अदा की जाती हैं, जिनमें सुरक्षा, शांति, माफी और अल्लाह से नज़दीकी की दुआ की जाती है। यह दिन मुस्लिम समुदाय के लिए न केवल धार्मिक उन्नति का अवसर होता है, बल्कि यह उन्हें आत्मिक शांति और सुधार का भी संदेश देता है।अलविदा जुमा का नमाज पढ़ बाहर निकले नमाजी 

चौसा जामा मस्जिद में अलविदा जुमा की नमाज अदा करते हुए जनाब मो इस्तियाक आलम ने रोजेदारों से गुनाहों की माफी और अल्लाह की रहमत की दुआ की। उन्होंने कहा कि अलविदा जुमा का दिन सिर्फ रमजान के समापन का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारे लिए तौबा (पश्चाताप), इबादत और अल्लाह से नज़दीकी का एक अहम अवसर है। 

इस दिन की अहमियत को रेखांकित करते हुए जनाब हाफिज रहमान साहब ने कहा, "यह दिन हमें अपनी भूलों को सुधारने और अल्लाह से अपने भविष्य के लिए दुआ करने का सर्वोत्तम मौका देता है। हमें इस दिन से लाभ उठाते हुए अपनी ज़िन्दगी में सुधार लाना चाहिए।" 

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