पार्वती साइंस कालेज में एक दिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन
कोशी तक/ सिंहेश्वर मधेपुरा
पार्वती साइंस कॉलेज मधेपुरा के भूगोल विभाग में बीए. सीबीसीएस सेमेस्टर प्रथम सत्र 2024 28 के छात्र-छात्राओं के द्वारा 'मधेपुरा की महिलाओं की शैक्षिक स्थिति कारण एवं निदान विषय पर एक दिवसीय सेमिनार एवं क्वीज प्रतियोगिता 2024 का आयोजन किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि उच्च शिक्षा की वर्तमान व्यवस्था अत्यंत ही दयनीय हो रही है। शिक्षा के स्वातंत्र्य पर सरकार का अत्यधिक अंकुश होने से शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहे हैं। अब समय आ चला है कि शिक्षा के स्तर में गिरावट के लिए न सिर्फ स्थानीय तत्व जिम्मेदार है बल्कि केंद्रीय और राज्य स्तर पर इसके लिए साकारात्मक मंशा के साथ कार्य करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि महिलाओं के शिक्षा के प्रति पार्वती साइंस कॉलेज हमेशा से संवेदनशील रही है। महाविद्यालय को नैक की मान्यता मिले आठ साल से भी ज्यादा हुए परंतु उन्हें उक्त मान्यता के बावजूद आज तक कोई लाभ नहीं मिल सका। यह स्थिति उच्च शिक्षा के प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों में भी देखी जा सकती है। जैसा कि जेएनयू जैसे संस्थान के अनुदान राशि में कटौती हो रही है। मुख्य वक्ता के रूप में समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अक्षय कुमार चौधरी ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि पौराणिक पुस्तकों, इतिहास, साहित्य, राजनीतिक के पुस्तकों के अध्ययन में मधेपुरा का व्यापक संदर्भ मिलता है। विश्वविद्यालय और अकादमी अध्ययन व अनुसंधान में मधेपुरा की महिलाओं की शैक्षिक स्थिति को समझने हेतु बुक व्यू पुस्तक अवलोकन और फिल्ड व्यू अध्ययन क्षेत्र अवलोकन के बीच अंतर समझना जरूरी है। पुस्तकों में मधेपुरा क्षेत्र की स्थिति का तो महिमा मंडन मिलता है। परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय संविधान में नारियों को समानता का अधिकार एवं विकास के मुख्यधारा में जोड़ने का जो सपना देखा गया है। उसमें सरकार और शैक्षणिक संस्थानों को और भी प्रयास करना बाकी हैं। भूगोल के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार सिंह ने कहा कि महाविद्यालय का हमारा विभाग छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के प्रति जागरूकता लाने हेतु इस तरह के सेमिनार का आयोजन करने का प्रयास करते रहते हैं। महिलाओं के शैक्षिक स्थिति जैसे विषय पर परिचर्चा के माध्यम से हमने अपने महिला छात्रों को विश्वविद्यालय शिक्षा के प्रति जागरूकता लाने के लिए केन्द्रित हैं। प्राचीन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मो. सरफराज आलम ने भी प्राचीन से लेकर आधुनिक शिक्षा व्यवस्था पर एक क्रमबद्ध ब्योरा प्रस्तुत किया। जिसमें महिला शिक्षा की उत्तरोत्तर ह्रास और इसके लिए जिम्मेदार तत्वों को भी रेखांकित किया। उपस्थित शिक्षकों में अर्थशास्त्र विभाग के अवकाश प्राप्त पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार झा, गणित विभाग के डॉ. क्रिशानु देयासी, मनोविज्ञान विभाग के डॉ. राजेश कुमार अनुपम, जंतु विज्ञान के डॉ. ब्रजेश कुमार सिंह, राजनीति शास्त्र विभाग के डॉ. मनोज कुमार, अंग्रेजी विभाग के डॉ. छोटे लाल यादव, मैथिली विभाग की डॉ. मंजू कुमारी, वाणिज्य विभाग की डॉ. संध्या ठाकुर आदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।सेमिनार में छात्रों को संबोधित करते वक्ता
सेमिनार में भाग लेने वाले प्रतिभागियों में पांच श्रेष्ठ वक्ताओं को मेडल देकर सम्मानित किया गया। प्रथम पुरस्कार रूपेश कुमार, द्वितीय पुरस्कार खुशबू खातून, तृतीय पुरस्कार अमित राज, चतुर्थ पुरस्कार श्वेता कुमारी, और पंचम पुरस्कार तमन्ना प्रवीण को दिया गया। सेमिनार में अपने विचार प्रस्तुत करने वाले अन्य छात्र-छात्राओं में रूपक राज, आदित्य कुमार, स्वीटी कुमारी, रूपम कुमारी, श्वेता कुमारी, मो. सोनू, सूरज कुमार, सोनू कुमार, गणेश कुमार, अजीत कुमार, रणवीर कुमार, जीवका कुमारी आदि शामिल थे।