चौसा/ फुलौत मधेपुरा
लोक आस्था का महापर्व छठ उगते भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा सम्पन्न हो गया। इसके बाद व्रती व उनके स्वजनों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर खुद के लिए और समाज व देश के हित की कामना की। इससे पुर्व गुरुवार की शाम 2.45 बचे से ही श्रद्धालु पास के छठ घाटों पर पहुंचने लगे थे। इन घाटों पर रोशनी की बेहतर व्यवस्था होने से यहां का दृश्य मनोहारी था। यह प्रत्यक्ष देवों में एक भगवान भास्कर को अर्घ अर्पित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पूरी आस्था के साथ अर्घ अर्पित करने वालों पर भगवान सूर्य की विशेष कृपा होती है। वे उसे अपने जैसा तेज प्रदान करते हैं। रोगों को हर लेते हैं। परिवार में सुख व शांति प्रदान करते हैं। दर्जनों छठव्रती का कहना है कि भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से अनेक लाभ हैं। यह ऊर्जा प्रदायक है, रोगनाशक है, भगवान भास्कर की आराधना से इंसान हर संकट से मुक्त हो सकेगा। इसलिए परंपरा है कि व्रती सूर्योदय के बाद अपने साथ ही साथ स्वजनों से भी अर्घ्य दान कराती हैं। तांबे के पात्र में जल, एक चुटकी रोली, चंदन, हल्दी, अक्षत व लाल पुष्प डालकर गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने से सरकारी पद, स्वास्थ्य, धन व सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। अर्घ्य में प्रयुक्त होने वाले सारी सामग्री औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है। गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के समय जितनी भीड़ घाटों पर देखी गयी। चौसा पूर्वी के कृष्ण टोला।फुलौत के इमली पार, बरयारी धार, हाहाधार, तिरासी टोला में कई घाटों को मॉडल तरीके से सजावट किया गया था, जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। यहां के हाहाधार में स्थानीय ग्रामीणों द्वारा सूर्यदेव की मूर्ति भी स्थापित की गई। इसके अलावा चौसा, लौआलगान, भटगामा, अरजपुर, कलासन, घोषई, पैना, चंदा, मोरसंडा, धनेशपुर,अजगैबा, तीनमुही, सहित फुलौत पुर्वी एवं पश्चिम पंचायत के विभिन्न घाटों पर जगह जगह घाट पर बेरिकेटिंग कर लोगो को ज्यादा पानी मे जाने पर रोक लगा दिया था। तथा आवश्यकता के अनुसार मोटरबोट के साथ साथ गोताखोर को तैनात था। जगह जगह पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दंडाधिकारी के साथ अन्य भारी संख्या में सुरक्षा कर्मी भी मौजूद थे। स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा लगातार अपनी पूरी टीम के साथ पूरी तरह से मुस्तैद रहे। मौके पर बीडीओ ब्रजेश कुमार दीपक, थानाध्यक्ष अमित कुमार राय सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
चौसा से मो. इस्तियाक आलम की रिपोर्ट
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