कोशी तक/सिंहेश्वर मधेपुरा
लोक आस्था का प्रमुख पर्व छठ धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। आज मधेपुरा जिला के सभी छठ घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इस अवसर पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत संतान की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए किया जाता है। इस व्रत में व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं। और डूबते तथा उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। छठ महापर्व के तीसरे दिन 07 नवंबर गुरुवार को जिला के सबसे व्यस्त और आकर्षक छठ घाट शिवगंगा पर छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया। रात भर कोनिया शिवगंगा तट पर ही रखा जाता है। छठ मैया की मन्नत पुरी होने पर दंडप्रणामी देती महिला
डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया।
मालूम हो की छठ पूजा के तीसरे दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर छठ व्रती सिंहेश्वर के करूआ घाट, लालपुर घाट, पटोरी के डुब्बी घाट, इटहरी घाट, सुखासन परवाने घाट, राम-जानकी ठाकुरवाड़ी घाट, सतोखर घाट, सहित कई घाटों पर शाम के समय खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान किया। इसके पीछे की मान्यता यह है कि सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। और इस समय अर्घ्य अर्पित करने से जीवन की सभी समस्याएं समाप्त होती हैं। और संपूर्ण इच्छाएं पूर्ण होती हैं। ऐसा करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का कारण।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि सूर्य का अस्त होना उस समय का प्रतीक है जब व्यक्ति की मेहनत और तपस्या का फल मिलने का समय होता है। मान्यता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में संतुलन, शक्ति और ऊर्जा का संचार होता है। यह पर्व हमें यह भी बताती है। हम सिर्फ उगते सूर्य को ही नही डुबते सुर्य की भी पूजा करते हैं। वही इस दौरान शिवगंगा की छटा देखते ही बनती थी।
शिवगंगा पर प्रशासन था सजग।
विधि व्यवस्था को लेकर शिवगंगा पर बीडीओ आशुतोष कुमार और थानाध्यक्ष बिरेंद्र राम तैनात थे। हालांकि मंदिर का लाउडस्पीकर बंद रहने से पहली बार एनाउंस करने में प्रशासन को कठिनाई का सामना करना पड़ा। वही श्रद्धालुओं को छठ गीत का आनंद नही मिल सका। लोगों ने न्यास की व्यवस्था पर अंगुली उठाते हुए कहा आस्था के महापर्व पर भी मंदिर का लाउडस्पीकर खराब रहना दुर्भाग्य पुर्ण है। इसके लिए कौन लापरवाह है।
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