बाढ़ को लेकर सामुहिक किचन की हुई शुरूआत
कोशीतक/ आलमनगर मधेपुरा
आलमनगर प्रखंड क्षेत्र में कोसी बराज से छोड़ें गए पानी का असर स्पष्ट देखा जा सकता है। जिसमें 4 पंचायतों के करीब तीन दर्जन गांवों का सड़क संपर्क जहां भंग हो गया है। साथ ही कई गांवों बाढ़ की पानी से घिर जाने से आवागमन की भारी समस्या उत्पन्न हो गई है। हालांकि प्रशासन द्वारा 43 नाव का परिचालन शुरू किया जा रहा है। जो बाढ़ पीड़ित के लिए नाकाफी साबित हो रहा है। रतवारा पंचायत के दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी आ जाने से लोगों के समक्ष कई तरह की परेशानी उत्पन्न हो गई है। मुरोत रतवारा के बीच छतौना वासा के नजदीक सड़कों पर पानी बहने से सड़क संपर्क भंग हो गया है। लुटना टोला हड़जोडा, बलहा वासा, खरोवा, मुरोत, चोढलो वासा, भवानीपुर वासा, दो कठया, सबरी नगर सहित दर्जनों गांव का सड़क संपर्क भंग हो गया है इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही कोसी के पानी में बढ़ोतरी का दौर जारी है। क्षेत्र के लोग डरे एवं सहमे हुए हैं। प्रखंड के चार पंचायतों रतवारा, गंगापुर, खापुर, बड़गांव, पंचायतों में बाढ़ का पानी आ जाने से निचले इलाकों में लगे धान की सैकड़ों एकड़ फसल भी बाढ़ के पानी के चपेट में आ गई है जिससे किसान सहमे हुए हैं। क्योंकि दर्जनों गांव को कोसी कि पानी चारों ओर से घेर चुकी है। खासकर सड़क संपर्क भंग हो जाने से नाव ही एकमात्र आवागमन का सहारा रह गया है। लोग अपनी जरूरतों का सामान लाने के लिए जान जोखिम में डालकर नाव का सहारा लेने को विवश है। खासकर पशु पालकों को अपने पशु को बचाने के लिए काफ़ी कठिनाइयों के साथ जद्दोजहद करना पड़ रहा है। क्योंकि खेतों में पानी आ जाने से चारा का अभाव हो जाने से कई लोग अपने पशुओं के साथ ऊंची जगह पर चले गए हैं। वही कई पशुपालक पशुओं का चारा नाव के सहारे लाने को विवश है।
सरकारी तंत्र के सोच की उपज बाढ़ आश्रय स्थल फिजुल खर्ची साबित।
सरकार द्वारा 2008 की कोसी त्रासदी में बाढ़ पीड़ितों के परेशानी को देखते हुए बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण करने के निर्णय के उपरांत प्रखंड में 7 बाढ़ आश्रय स्थल बनाकर तैयार की गई थी। परंतु बाढ़ सरकारी कर्मियों की दुर दर्शिता के कारण आश्रय स्थल खुद पानी में घिरे हुए रहने के कारण बाढ़ पीड़ितों के लिए नाकाफी साबित हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा एक तो ऊंची जगह पर जमीन नहीं खरीद कर नीचे जगह पर जमीन की खरीदारी की गई एवं बाढ़ आश्रय स्थल जाने का कोई रास्ता भी नहीं बनाया। जिसके बाद आश्रय स्थल की उपयोगिता पर बाढ़ के दौरान बाढ़ पीड़ितों को आश्रय देने पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है। इस बाबत सीओ दिव्या कुमारी ने बताया कि बाढ़ क्षेत्र में आवागमन की समस्या को देखते हुए 43 नाव चलाई जा रही है। सात जगहों पर बाढ़ से पीड़ित परिवार को रखा गया है। जहा कम्युनिटी किचन और रहने की व्यवस्था की गई है। एवं बाढ़ की स्थिति पर नजर रखी जा रही है। लगातार बाढ़ क्षेत्र का भ्रमण किया जा रहा जहां भी नाव की आवश्यकता होगी नाव दिया जाएगा।
आलमनगर से कन्हैया महाराज की रिपोर्ट
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