कोशी तक /आलमनगर मधेपुरा
धर्मशास्त्र के अनुसार प्रत्येक ऋतुओं में देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों में मां शारदीय बासंतिक, ग्रीष्म व शिशिर नवरात्र मनाने की वर्षों से पुरानी परंपरा चली आ रही है। लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से मां दुर्गा की आराधना व उपासना के लिए शारदीय वासंतिक नवरात्र का सर्वाधिक महत्व है। यही कारण है कि दोनों नवरात्र के दौरान महिला व पुरुष श्रद्धालुओं में खासा उत्साह और भक्ति भावना देखने को मिलती है। खासकर महिलाओं में घर परिवार के अन्य सभी कार्य करने के अलावा भी सबसे अधिक श्रद्धा आस्था, विश्वास सेवा व भक्ति भावना देखी जाती है। महिलाएं अपनी परिवार की खुशहाली के लिए नवरात्र के नौ दिनों तक उपवास रहकर प्रत्येक दिन संध्या में पूजा आराधना व आरती के उपरांत अन्न जल ग्रहण करती है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर उपवास कर व्रत रखने वाली महिलाओं की अपनी अलग अलग राय है। रितु देवी पूर्व पार्षद प्रत्याशी नगर पंचायत आलमनगर
नवरात्र में व्रत रखकर शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की पूजा आराधना कर महिलाएं आत्म बल, आत्मविश्वास स्वालंबन बढ़ाने, अत्याचार का मुकाबला करने व हर शक्ति से परिपूर्ण होने की मैया से कामना करती है। ताकि जीवन में आने वाले हर बढ़ाओ को आसानी से पर कर सके। कठिन कार्यों को पूर्ण करने एवं हर विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए मैं नवरात्र में व्रत रखती हूं। आरती कुमारी समाजसेवी इटहरी पंचायत आलमनगर
नवरात्रा के समय उपवास रहकर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की श्रद्धा व भक्ति पूर्वक पूजा अर्चना किए जाने से जहां आत्मीय सुख व मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वही बिना मांगे ही मां दुर्गा की असीम कृपा से सब कुछ मिल जाता है। माता की आराधना से शुभ फल की प्राप्ति सहित सबों का कल्याण भी होता है। मां की पूजा का विशेष महत्व है चंदन देवी पंचायत समिति सदस्या इटहरी आलमनगर
नवरात्र में उपवास रखने के कई मायने होते हैं घर परिवार व समाज के सभी के ऊपर दया दृष्टि,निराकरण व सभी सगे संबंधियों पर मैया की कृपा दृष्टि बने रहने को लेकर मैं प्रतिवर्ष व्रत रखती हूं। ताकि देवी मां की कृपा दृष्टि उनके परिवार के ऊपर सदैव बनी रहे नवरात्र के दौरान होने वाले अनुष्ठान को मैं पारिवारिक परंपरा मानती हूं। साधना कुमारी वार्ड पार्षद सदस्या नगर पंचायत आलमनगर
नवरात्र में मैया दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना कर उपवास रहकर मैया की आराधना करने से जहां आत्मीय खुशी व सुख की प्राप्ति होती है। वही जीवन में रिद्धि, सिद्धि, सुख, शांति, मान सम्मान, यस व समृद्धि की प्राप्ति होती है। सती मैया की कृपा दृष्टि भी साल भर बनी रहती है।
नवरात्र के नौ दिनों तक उपवास रहकर मां दुर्गा से अपने परिवार व बच्चों की सलामती की दुआ सभी श्रद्धालुओं तो मांगते हैं। लेकिन शायद उन्हें यह पता नहीं की मैया तो खुद अंतर्यामी है। उन्हें सभी के सुख व कष्टों का पता है। कुछ भी कहने व मांगने की जरूरत नहीं है। बस पूजा आराधना व श्रद्धा विश्वास आस्था व भक्ति भावना निहित होनी चाहिए।
कन्हैया महाराज की रिपोर्ट
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