ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र में विजयदशमी के अवसर पर आध्यात्मिक चेतना कार्यक्रम आयोजित।

 

भजन संध्या के दौरान देवी की मनमोहक झांकियां निकाली 


कोशी तक / आलमनगर मधेपुरा 


प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय आलमनगर सेवाकेंद्र परिसर में विजयादशमी पर्व को लेकर आध्यात्मिक चेतना कार्यक्रम के तहत भजन संध्या का कार्यक्रम हुई। इस दौरान देवी मां की मनमोहक सुंदर झांकी सजाई गई। उपस्थित सभी भाई बहनों ने श्रद्धा और भक्ति भाव से देवी मां की महाआरती एवं विश्व की सभी आत्माओं के सुस्वास्थ्य के लिए मंगल कामना की । सेवाकेंद्र प्रभारी बी के शोभा दीदी ने विजयादशमी के पावन पर्व की सभी को बधाई देते हुए विजयादशमी का आध्यात्मिक रहस्य बताया । उन्होंने कहा अब वक्त आ गया है कि हम सबको अपने अंदर के विषय विकार और व्यसन रूपी रावण को हमेशा के लिए दहन करना होगा। उन्होंने कहा कि यह पर्व असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की एवं बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। इसलिए हम सभी को मिलकर इस संसार में व्याप्त बुराई रूपी रावण को मिटा कर संसार को सुखमय संसार बनाने में योगदान देना होगा। रावण के पुतले का दहन करने से बुराइयों का अंत नहीं होगा बल्कि मानव आत्माओं के मन में व्याप्त व्यसन एवं बुराइयों को देवी मां के सामने शक्ति प्राप्त करके सदा के लिए दहन करना होगा। तभी यह संसार सही मायने में स्वर्णिम संसार बन पायेगा। उन्होंने नवरात्र अनुष्ठान को शुद्ध, सात्विक और चेतना को जागृत करने वाला बताया। कहा कि मातृशक्ति, देवी शक्ति से ही संसार का अस्तित्व कायम है। असत्य से सत्य की ओर जाना ही सच्ची नवरात्रि और दशहरा पर्व मनाना है। मां भगवती के हाथ में शोभायमान कमल फूल प्रदर्शित करता है कि संसार में रहते न्यारे-प्यारे रहना है। त्रिशूल से व्याप्त दुर्गुणों को नाश करना और सत्कर्मियों का बचाने का भाव है। शंख मधुर बोल की सीख देता है। गदा आसुरी वृत्ति के संहार की निशानी है। सुदर्शन चक्र परखने की शक्ति है। यह चक्र दुष्टों का संहार करता है। वहीं दीदी ने सभी से अपील की कि आज सभी अपने अंदर की कम से कम की एक बुराई को छोड़ने का संकल्प लें और अपने जीवन में मां शक्ति के सामने एक अच्छाई को धारण करने का संकल्प करें। उपस्थित जनसमूह ने शुभ संकल्पों के साथ श्रद्धा भाव से देवी मां के सामने स्वयं एवं समाज को संस्कारवान बनाने का संकल्प भी लिया। इस अवसर पर इस नीलम दीदी सहित कई भाई एवं दीदी के साथ स्थानीय श्रद्धालु मौजूद थे।

कन्हैया महाराज की रिपोर्ट 

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