कलशयात्रा के बाद मंगलवार को हवन और पुजन हुआ।


कलशयात्रा के चौथे दिन हवन करते स्थानीय जोड़े 
बाबा सिंहेश्वर नाथ मंदिर में पुजन के बाद  पुजारी

कोशीतक /सिंहेश्वर मधेपुरा 


सिंहेश्वर घाम को विश्व पटल पर लाने के निकाली गई ऐतिहासिक कलश यात्रा के चौथे दिन मंगलवार को आयोजकों की टीम ने चौठारी के अवसर पर यज्ञ के निमित्त हवन कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें हवन पर कई जोड़े के साथ सभी आयोजकों ने होम में भाग लिया।   जिसमें मुख्य पुजारी डा. ईश्वर चन्द्र भगत अपनी धर्मपत्नी सुमन देवी के साथ बेदी पर बैठी थी। साथ में मुकेश कुमार और किरण कुमारी, ब्रजराज और सुनैना कुमारी तथा हेमंत कुमार चंदन और बंदना कुमारी भी जोड़ा के रूप में हवन किया। चारो जोड़ा के गठ जोड़ की भुमिका निहारिका देवी ने निभाई। वही होम में आहुति देने वालो की भी भीड़ लग गई। जिसमें पंचम धाम के राष्ट्रीय समिति के सदस्य सिकंदर कुमार, कार्यक्रम के अध्यक्ष मनोज भगत, मनोज चौधरी, संजय गुप्ता, संजीव भगत, सोनू भगत, भानु कुमार, निरज कुमार, अमित कुमार, आयुष कुमार, निखिल नमन, पटोरी से सुरज कुमार सिंह, निशु कुमार, मन्नू कुमार, मनोज कुमार, विकास कुमार, सुमन कुमार, निरज कुमार, मंजय कुमार, नितिश कुमार, बौआ सिंह, सहित सैकड़ों महिला और पुरुष ने  हवन कुंड में आहुति दी। हवन के बाद कलश को महादेवपुर घाट ले जाकर प्रवाहित किया। इस दौरान कुछ माता बहन प्रसाद के रुप में नारियल के लिए पहुंची थी। उसे प्रसाद के लिए नारियल कलश दिया गया।  मालूम हो कि 7 सितंबर को देवाधिदेव महादेव की पौराणिक मंदिर सिंहेश्वरधाम को विश्व पटल पर लाने भगवान के जन्म के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ स्थली को अपनी पहचान के लिए 28 गांवों से लगभग 31 हजार कलशयात्री कलश लेकर सिंहेश्वर बाबा मंदिर की परिक्रमा करते हुए मवेशी हाट पहुंचे थे। बाबा मंदिर पुजन के लिए जाते यजमानों की टीम मवेशी हाट में हवन करते  जजमानों की टीम 

जहा आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रचारक इंद्रेश कुमार का ऐतिहासिक संदेश सुना। यह एक ऐसा क्षण था जैसे लगता था बाबा सिंहेश्वर नाथ के इस इतिहास को हमने पहले क्यों नहीं जाना। उन्होंने कहा बाबा सिंहेश्वर नाथ का इतिहास 13 लाख वर्ष पहले का है। और यह मैंगृ पर्वत पर भगवान बिष्णु द्वारा स्थापित विश्व का पहला कामना लिंग है। हवन के बाद पार्वती माता का पुजन और दर्शन करते हवन के बाद बाबा सिंहेश्वर नाथ का अभिषेक करते 

साढे 13 लाख वर्ष पुराना बाबा सिंहेश्वर का इतिहास।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रचारक इंद्रेश कुमार ने मंच पर पहुंचते ही सामने बैठे कलश यात्रियों की भीड़ को कहा आवाज दो हम एक हैं एक है एक है। पुरी इस आवाज के साथ गुंज उठी। उन्होंने कहा हम कौन हम कौन तो आवाज आई सनातनी सनातनी। और भारत माता की जय के साथ उन्होंने अपनी बात शुरू की कहा दुनिया की सबसे छोटी कहानी है एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गए खत्म कहानी। इस आशय से बताया की आज कितने राजा हुए लेकिन आपको 10 राजा का नाम बताने को कहे तो याद नहीं रहेगा। याद वही रहता है जो कुछ अद्भुत करके जाता है। उन्होंने बाबा सिंहेश्वर नाथ का इतिहास साढ़े 13 लाख वर्ष पुराना है। यह  धरती श्रृंगी ऋषि की तोपोभुमि और एक बहन के त्याग और बलिदान के लिए जाना जाता है। राजा दशरथ को शांता नाम की एक संतान कौशल्या से हुई थी। उसके बाद उसे संतान नहीं हुई थी। उसके आगे आप जानते ही ही यहा पुत्रेष्टि यज्ञ के बाद राजा दशरथ को 4 पुत्र की प्राप्ति हुई थी। यह धरती पर अपने बहन से मिलने अपनी माता कोशल्या, केकई और सुमित्रा के साथ भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न श्रृंगी ऋषि के इस पावन धरती पर  आए थे। कलशयात्री को संबोधित करते राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश जी 

जात पात और छुआछूत पर किया प्रहार 

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रचारक इंद्रेश कुमार ने आज के जाति वाद व्यवस्था पर गहरा प्रहार करते हुए कहा मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने जब शबरी का जुठे बैर खाए तो जय श्री राम हो गए। आज घर घर में जय श्री राम से दिन की शुरुआत होती है। किसी से मिलने पर राम राम कहते हैं। लेकिन लक्ष्मण ने जुठे बेर नही खाए। आज कोई लक्ष्मण लक्ष्मण कोई कहता है। नही कहता है। क्या शबरी को कोई पद था, या समाज में बहुत गरीमा थी। नही थी लेकिन उसके पास भक्ति थी। जिसके कारण आज भी शबरी जिंदा है। जब भगवान ने छोटी बड़ी जाति में कोई अंतर नही दिखा तो हम जाति में अंतर क्यो रखे। यह एक इंद्र जाल है। हम एक परमेश्वर की संतान हैं। उन्होंने आज से शरीर, मन, बुद्धि से छुआ छुत रूपी केंसर से मुक्त रखे। मौके पर पंचम धाम  के महासचिव शैलेश वस्त्र, पंचम धाम  के उपाध्यक्ष आदर्श राज सोनू, भागलपुर विश्वविद्यालय के  कुलपति जवाहर लाल, मां बरहैया के पुजारी रमेश झा, वैदिक कर्मकाण्ड बिषेशज्ञ राजेश कुमार राज, विधायक चंद्र हास चौपाल, बीजेपी प्रदेश मंत्री स्वदेश यादव, कुणाल कुमार सिंह, अर्जुन मंडल, रंधीर कुमार, सुनील शर्मा, गुड्डू सिंह, ललित यादव, विरेंद्र चौधरी, राजन सिंह, रमण गुप्ता, तुलसीबाडी शिवरतन यादव, अंजनी साह, सधुआ अनमोल मंडल, बेतौना छोटु शर्मा, सहित लालपुर सरोपटटी, रामपट्टी, मल्लिक टोला, बैहरी, सतोखर की टीम शामिल थे। 

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