कोशीतक/उदाकिशुनगंज मधेपुरा
सूबे की सरकार और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। मध्याह्न भोजन से लेकर साइकिल, पोशाक, किताब, छात्रवृति मद से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है। बावजूद इसके शिक्षा व्यवस्था में माकूल सुधार होता दिखाई नही दे रहा है। हाल यह है कि संसाधनों की कमी के बीच पठन-पाठन का स्तर भी कई सवाल खड़ा कर रहा है। कोशीतक के द्वारा किए गए पड़ताल में शिक्षा व्यवस्था की पोल परत दर परत खुलती चली गई। प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मधुबन पंचायत स्थित महादलित टोले के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय मधुबन मुसहरी का जायजा लिया गया।
प्रस्तुत है पड़ताल का प्रमुख अंश
महज एक कमरे में पांच वर्ग के बच्चों की पढ़ाने की व्यवस्था :
विधायक के गृह पंचायत और गृह वार्ड नंबर 7 में अवस्थित यह विद्यालय सिस्टम को आईना दिखाने के लिए काफी है। स्थापना काल से ही पुराने ढर्रों के तहत संचालित इस विद्यालय में संसाधनों की घोर कमी है। ऐसे ही संसाधन हीन व्यवस्था में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करना भी बेमानी है।वैसे तो विद्यालय में मात्र एक कमरे और एक बरामदा है। एक ही कमरे में वर्ग एक से पांच तक के बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है। देखा जाए तो महादलित टोली के बच्चे भेड़ बकरियों की तरह रहकर पढ़ने को मजबूर है। बच्चे पढ़ाई तो करते हैं लेकिन इस भीषण गर्मी में एक बेंच पर करीब 7 से 8 बच्चे बैठते हैं। इतना ही नहीं वर्ग संचालन के साथ-साथ उसी कमरे के एक कोने में कार्यालय का कामकाज भी होता है। उसी कमरे में मध्यान भोजन का सामग्री भी रखा जाता है। सरकारी प्रावधानों के अनुसार कक्षा 5 तक की पढ़ाई के लिए कम से कम 6 कमरे होने चाहिए। जिसमें पांच वर्ग संचालन के लिए एवं एक प्रधानाध्यापक और शिक्षक के लिए।
बिजली पानी और शौचालय की नहीं है समुचित व्यवस्था
उसी कमरे से अटैच एक जीर्ण शीर्ण शौचालय है लेकिन वह भी बिल्कुल बेकार है। क्योंकि भीतर से उसका किवाड़ भी नहीं लगता है। और पानी की भी व्यवस्था नहीं है। विद्यालय में ना बिजली है ना बच्चों और शिक्षकों के पीने के लिए स्वच्छ पेयजल का व्यवस्था है। ऐसे में बच्चे और शिक्षक आसपास के ग्रामीणों के चापाकल से पानी पीते हैं। विद्यालय के आसपास के लोग अगर पानी देना बंद कर देंगे तो बच्चे पानी के लिए तरस जाएंगे।
चिलचिलाती धूप में विद्यालय के नौनिहाल बच्चों को कराया जाता है मध्यान भोजन।
विधालय के पड़ताल के दौरान हैरत की बात यह सामने आया कि बच्चे को इस भीषण गर्मी में भी चिलचिलाती धूप में मध्यान भोजन खिलाया जा रहा था। एक तरफ सरकार और प्रशासन इस भीषण गर्मी को देखते हुए धूप और लू से बचने के लिए अवेयरनेस फैलाया जा रहा है। दूसरी तरफ विद्यालय के बच्चों को धूप में भोजन कराया जा रहा है। इस बाबत पूछने पर बताया गया कि विद्यालय में जगह नहीं रहने के कारण बच्चों को धूप में खाना खिलाया जा रहा है।
नामांकन के अनुरूप नहीं आते बच्चे, मध्यान भोजन में अधिक बच्चों की रोजाना की जाती है रिपोर्ट।
जायजा के क्रम में विधालय में सिर्फ 55 बच्चे ही उपस्थित पाए गए। जबकि नामांकन की जानकारी लेने पर प्रभारी एचएम पिंकी कुमारी ने बताया कि विद्यालय में 131 छात्र-छात्राएं नामांकित है। यह पूछे जाने पर की उपस्थिति कम क्यों रहती है तो बताया गया कि इससे पहले तो और कम बच्चे आते थे। कुछ दिनों से बच्चों की उपस्थिति में इजाफा हुआ है। सबसे ज्यादा हैरतअंगेज बात या सामने आई की प्रभारी प्रधान शिक्षिका ने बताया कि विद्यालय के एचएम पूनम कुमारी के द्वारा हमेशा छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़कर मध्यान भोजन का रिपोर्ट दी जाती है। उन्होंने विद्यालय के एचएम पूनम कुमारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि विद्यालय में विकास मद की राशि का प्रत्येक वर्ष हेरा फेरी किया जाता है। अगर इसकी जांच पड़ताल की जाएगी तो सरकारी राशि के गबन का मामला भारी पैमाने पर सामने आएगा। उन्होंने कहा कि विद्यालय में गैस सिलेंडर के रहते हुए जलावन से चूल्हे पर खाना बनाया जाता है। विद्यालय में कम बच्चे रहने पर भी मध्यान भोजन में अधिक बच्चों की रोजाना रिपोर्ट की जाती है।
मध्याह्न भोजन के समय विद्यालय से बच्चों को भगा देती है एचएम
मीना देवी, सोनी देवी, निभा देवी, साजन देवी आदि ने कहा कि एक तरफ सरकार बच्चों को विद्यालय में पढ़ने के लिए जागरूकता चल रही है बच्चों को विद्यालय भेजने का अनुरोध कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ विद्यालय के एचएम पूनम मैडम बच्चों को विद्यालय से भगा देते हैं। कहते हैं जाओ तुम्हारा नाम विद्यालय में नहीं है खाने के समय में सब आकर के भीड़ कर देता है। जबकि पूनम मैडम के द्वारा गलत तरीके से मध्यान्ह भोजन का रिपोर्ट कर मध्यान्ह भोजन का राशि हजम कर रहे हैं। पूनम मैडम जब भी विद्यालय में रहती है तो वह सभी शिक्षकों से लड़ते झगड़ते रहती है। जिसके चलते विद्यालय में बच्चों का पठन-पाठन सही ढंग से नहीं होता है।
विद्यालय में एचएम सहित कुल मिलाकर कुल चार शिक्षक पदस्थापित हैं।
विद्यालय में एच एम सहित कुल मिलाकर कुल चार शिक्षक पदस्थापित हैं। पड़ताल में शिक्षिका पिंकी कुमारी और मो. ईमरान अंसारी मात्र उपस्थित थे। जबकि एक अन्य शिक्षक सुरेश कुमार महतो छुट्टी पर थे। प्रधान शिक्षिका पूनम कुमारी स्पेशल लीव पर थी। विद्यालय की व्यवस्था देख साफ प्रतीत हो रहा था कि यहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात बेईमानी है।
17 वर्षों से संचालित विद्यालय को नहीं है मिला अपना जमीन और भवन।
वर्ष 2007 में इस विद्यालय की स्थापना हुई थी उस समय इस छोटी सी झोपड़ी में विद्यालय संचालन कराया जा रहा था। झोपड़ी टूट कर गिर जाने के बाद विद्यालय को 500 मीटर दूरी पर स्थित मध्य विद्यालय मधुबन में वर्ष 2012 में शिफ्ट कर दिया गया। फिर 2017 में महादलित टोले में स्थित सामुदायिक विकास भवन में विद्यालय को संचालन कराया जाने लगा है। विकास भवन में एकमात्र कैमरा है और एक बरामदा है। कमरे और बरामदे में बेंच डेक्स भरा हुआ है। बरामदे में रखा बेंच और डेक्स की रखवाली भगवान भरोसे और गांव वाले करते हैं।
कहते है प्रभारी प्रधानाध्यापक : विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक पिंकी कुमारी बताती है कि यहां नए भवन निर्माण की जरूरत है। ताकि सभी छात्र-छात्राओं की कक्षाएं एक साथ संचालित किया जा सके। उन्होंने बताया कि उपलब्ध संसाधनों में ही पठन-पाठन की व्यवस्था की जाती है। विद्यालय में भवन निर्माण कराए जाने या विद्यालय को आसपास के विद्यालय में शिफ्टिंग कराए जाने को कई वार विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है। लेकिन आज तक समस्या का निदान नहीं किया गया। उधर, केके पाठक ने सभी जिलाधिकारियों को उनके क्षेत्र के विद्यालयों की कमियों को दूर करने का आदेश दिया है साथ ही विद्यालय को आसपास के विद्यालय में शिफ्टिंग का भी आदेश दिया है। ऐसा लगता है कि ये आदेश इस विद्यालय पर लागू ही नहीं होता।
एमडीएम में बच्चों के उपस्थिति से अधिक रिपोर्ट भेजे जाने और विकास मद की राशि मे हेरा फेरी में क्या सच्चाई है के सवाल पर एचएम पूनम कुमारी ने बताया कि इस मामले में हम क्या कह सकते हैं। हम कुछ नहीं कह सकते हैं यह तो भगवान ही जानता होगा कि मामले में क्या सच्चाई है।
बीईओ निर्मला कुमारी ने बताया की विद्यालय में जगह का अभाव है तो हो सकता है धूप में बच्चों को खिलाया जा रहा हो लेकिन यह ठीक नहीं है। हमने जिला में मधुबन मुसहरी विद्यालय को पास के विद्यालय में शिफ्ट करने का रिपोर्ट दे चुके है। विकास मद की राशि और मध्यान भोजन के रिपोर्ट में अगर हेरा फेरी की जा रही है तो इसकी जांच पड़ताल गंभीरता पूर्वक किया जाएगा।
एसडीएम एसजेड हसन ने बताया की विद्यालय को अपनी भूमि नहीं है विद्यालय के लिए हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात किया है विद्यालय को अगर स्थानीय लोग जमीन दान में देती है तो उस पर भवन निर्माण का कार्य कराया जाएगा। वैसे शिफ्टिंग के लिए भी बात हुई है। इस बार शिक्षा विभाग गंभीरता पूर्वक विचार कर रही है। विद्यालय के अन्य बिंदुओं पर भी जांच पड़ताल कराई जाएगी। इस विद्यालय से काफी शिकायत प्राप्त हो रही है।
उदाकिशुनगंज से कुमार सत्यम की रिपोर्ट