रंगकर्मियों ने छठ गीत पर आधारित नृत्य-नाटिका की जीवंत प्रस्तुति से दिया संदेश।

Dr.I C Bhagat
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वाल विज्ञान कांग्रेस में अपनी प्रस्तुति देते हुए सृजन दर्पण 
छठ मैया की प्रस्तुति देते सृजन दर्पण के कलाकार 


कोशी तक/सिंहेश्वर मधेपुरा 


बीएनएमयू परिसर में तीन दिवसीय राज्यस्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिले के कई सरकारी और गैर-सरकारी स्कूली बच्चों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। इसी कड़ी में सृजन दर्पण के रंगकर्मियों ने नृत्य नाटिका के बेहतरीन प्रस्तुति के माध्यम से दिखाया कि छठ पर्व हमारी लोक संस्कृति का महापर्व है। यह मनुष्य का प्रकृति से गहरे लगाव को दिखाता है साथ ही हमारी मनोकामना की पूर्ति से जुड़ा है। ऊर्जा के अक्षय स्त्रोत सूर्य देव की आराधना जलाशय को साफ कर निर्मल जल का अर्घ्य देकर किया जाता है। एक ओर अग्नि का विशाल पिंड दूसरी ओर जलाशय, एक तरफ डूबता सूरज दूसरी तरफ उगता सूरज दो विपरीत प्रकृति का मेल यही जीवन का रहस्य है। सामान्यतः हम सभी तीन पीढ़ियों के साथ जीते हैं। वृद्धजन डूबते सूरज का तो बच्चे  उगते सूरज का प्रतीक है। पर्व के जरिए संदेश दिया जाता है। कि पहले वृद्ध जनों की आवश्यकताएं पूरी करनी चाहिए फिर बच्चों का ख्याल रखना चाहिए। परिवार और समाज के कल्याण हेतु ऐसे सद्विचार को चर्चित रंगकर्मी और नाट्य निदेशक विकास कुमार निर्देशित नृत्य नाटिका को सृजन दर्पण के उर्जावान रंगकर्मियों ने मार्मिकता के साथ अपने अभिनय के जरिए दशकों तक पहुंचाया। इसमें रंगकर्मी निखिल कुमार, हिमांशु कुमार, शिवम् कुमार, बिकास कुमार, स्नेहा कुमारी, मौशम कुमारी, प्रियंका कुमारी, आंचल कुमारी, रंगकर्मियों ने छठ गीत पर आधारित नृत्य-नाटिका की जीवंत प्रस्तुति से दिया संदेश। बीएनएमयू परिसर में तीन दिवसीय राज्यस्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिले के कई सरकारी और गैर-सरकारी स्कूली बच्चों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। इसी कड़ी में सृजन दर्पण के रंगकर्मियों ने नृत्य नाटिका के बेहतरीन प्रस्तुति के माध्यम से दिखाया कि छठ हमारी लोक संस्कृति का महापर्व है। यह मनुष्य का प्रकृति से गहरे लगाव को दिखाता है साथ ही हमारी मनोकामना की पूर्ति से जुड़ा है। ऊर्जा के अक्षय स्त्रोत सूर्य देव की आराधना जलाशय को साफ कर निर्मल जल का अर्घ्य देकर किया जाता है। एक ओर अग्नि का विशाल पिंड दूसरी ओर जलाशय, एक तरफ डूबता सूरज दूसरी तरफ उगता सूरज दो विपरीत प्रकृति का मेल यही जीवन का रहस्य है। रंगकर्मियों के बेहतरीन मंचन को मौजूद दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से ख़ूब सराहना किया। प्रस्तुति को सफल बनाने में संस्था के सदस्य सुरेश कुमार शशि, आनंद विजय, कुन्दन कुमार, संतोष कुमार, रजनी कुमारी, आदि ने अहम भूमिका निभाई। चाहता कुमारी, पुजा कुमारी, संध्या कुमारी, स्वेता कुमारी और दिव्या कुमारी सामिल थे। रंगकर्मियों के बेहतरीन मंचन को मौजूद दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से ख़ूब सहरणा किया। प्रस्तुति को सफल बनाने में संस्था के सदस्य सुरेश कुमार शशि, आनंद विजय, कुन्दन कुमार, संतोष कुमार, रजनी कुमारी, आदि ने अहम भूमिका निभाये।

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