नियम को ताक पर रख कर किया गया सैरात की बंदोबस्ती।
चिट्ठी में क्या निकला है उसे छोड़ दिजिए - ईओ सुजित कुमार
उदाकिशुनगंज मधेपुरा
नगर परिषद कार्यालय में पिछले दिनों शनिवार 7 अक्टूबर को सैरात की बंदोबस्ती को लेकर सशक्त कमेटी की बैठक आयोजित की गई थी जिसमें मुख्य पार्षद अनुसूया देवी के बदले उनके पुत्र टीपू मिश्रा बैठक में पहुंचे थे। जिसको लेकर नगर परिषद के उपमुख्य पार्षद मिंकी कुमारी, वार्ड पार्षद नित्यानंद यादव, मो. फारूक, समाज सेवी रणजीत कुमार राणा आदि ने एतराज जताया है। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए ईओ सुजीत कुमार पर तंज कसते हुए पुछा है कि सशक्त कमेटी की बैठक में मुख्य पार्षद के बदले उनका पुत्र क्यों? समाजसेवी रंजीत कुमार राणा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके कहा है कि मुख्य पार्षद के बदले उनके पुत्र का बैठक में आना बैठक से उपमुख्य पार्षद का गायब रहना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह सरकार के द्वारा दी गई महिला आरक्षण पर कुठाराघात है। जब चुनाव जीतकर महिला आई है तो बैठक में उनके बदले उनके पुत्र का आना दुर्भाग्यपूर्ण है। और तो और हस्ताक्षर पंजी पर बैठक के बाद में मुख्य पार्षद से हस्ताक्षर होना यह नगर परिषद के लिए दुर्भाग्यपूर्ण मामला है। साथ ही गलत तरीके सैरात की बंदोबस्ती की गई। वही उपमुख्य पार्षद मिंकी कुमारी ने बताया कि सैरात की बंदोबस्ती को लेकर हमें किसी भी प्रकार की सूचना नहीं दी गई थी। हम जब अपने निजी कार्य से करीब 2:00 बजे कार्यालय पहुंचे तो हमने देखा की सैरात की बंदोबस्ती हो चुकी है। सशक्त कमेटी के बैठक में मैं भी एक सदस्य हूं। बावजूद बगैर हमारे जानकारी के सैरात कि बंदोबस्ती की गई। जो एक बड़ घोटाले की ओर संकेत करता है। साथ ही बैठक में मुख्य पार्षद के बदले उनका पुत्र वहां मौजूद था जो कतई न्याय संगत नहीं है। नियमानुसार मुख्य पार्षद ही बैठक में भाग ले सकते हैं। वहीं वार्ड पार्षद नित्यानंद यादव ने कहा कि मुख्य पार्षद के बदले उनका प्रतिनिधि का बैठक में भाग लेना बेहद निंदनीय घटना है। मुख्य पार्षद के प्रतिनिधि के मनमानी के कारण नगर परिषद में विकास कार्य बाधित रहता है।
सैरात के लिए निकाली गई चिट्ठी
कार्यपालक पदाधिकारी सुजीत कुमार के द्वारा निर्गत पत्र के मुताबिक 7 अक्टूबर शनिवार के दिन राजस्व हाट दुर्गा स्थान के बंदोबस्ती का डाक होना था। 9 अक्टूबर सोमवार को रहटा चौक राजस्व हाट उदाकिशुनगंज के बंदोबस्ती का डाक होना था। और 11 अक्टूबर बुधवार को फूलौत चौक एवं कला भवन के सामने टेंपो ई रिक्शा तथा छोटी सवारी गाड़ी का डाक होना था। बावजूद किस परिस्थिति में तीनों डाक 7 अक्टूबर को ही फाइनल कर दिया गया। जिसके चलते नगर परिषद के लोगों द्वारा कार्यपालक पदाधिकारी और मुख्य पार्षद प्रतिनिधि पर सवाल खड़ा किया जा रहा है। इन लोगों का कार्य प्रणाली संदेह के घेरे में है। यह सब वार्ड पार्षदों के साथ साथ नगर वासियों के साथ एक छल है। वहीं वार्ड पार्षद मो. फारूक ने बताया कि मैं भी सशक्त कमेटी का सदस्य हूं बावजूद मुझे किसी भी प्रकार का इनफॉरमेशन नहीं दिया गया। हमारे अनुपस्थिति में सशक्त कमेटी के बैठक द्वारा सैरात की बंदोबस्ती की गई जो कि सरासर गलत है। नगर परिषद के कार्य प्रणाली पर किसी का अंकुश नहीं है। नगर परिषद पूरी तरह से बिचौलियों के अंकुश में है। अगर इसी तरह चलता रहा तो नगर परिषद की स्थिति नारकीय होने से कोई नहीं रोक सकता है।
मामले में ईओ सुजीत कुमार ने भी जो बयान दिया है। वह हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि मुख्य पार्षद प्रतिनिधि के मां का तबीयत खराब था। जिसके चलते मुख्य पार्षद का पुत्र टीपू मिश्रा बैठक में भाग लिए थे। लेकिन रजिस्टर पर बाद में मुख्य पार्षद अनुसूईया देवी का हस्ताक्षर कराया गया है। एक ही तिथि में सैरात के डाक फाइनल करने पर उन्होंने बताया कि जो भी हुआ है वह नियमनुसार और न्याय संगत तरीके से किया गया है। हमने राज्य स्तरीय दो दैनिक अखबार में निविदा निकाली थी। चिट्ठी को छोड़ दीजिए उसमें क्या लिखा है उस पर नहीं जाना है। इस मामले में जब मुख्य पार्षद का पक्ष जानना चाहा तो कई बार फोन लगाने के बाद भी उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
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