मधेपुरा के युवा रंगकर्मी विकास ने उगना वियोग के जरिए लहराया परचम। उगना के वियोग को उत्कृष्ट अभिनय से किया जिवंत।

Dr.I C Bhagat
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उगना के वियोग को प्रदर्शित करते रंगकर्मी विकास 


पर्यटन विभाग बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित जिला प्रशासन सहरसा ने आयोजित किया मां उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव।

 

सिंहेश्वर मधेपुरा 


16 से 18 अक्टूबर को क्रीड़ा मैदान महिषी, मंडल धाम सहरसा में पर्यटन विभाग,बिहार सरकार और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय मां उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित किया गया है। जिसका उदघाटन मधेपुरा लोकसभा के सांसद दिनेश चंद्र यादव ने एवं अन्य ने दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सासंद दिनेश चंद्र यादव ने कहा कि उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव 2012 से शुरू किया गया था। मां तारा की स्थापना मुनि वशिष्ठ के द्वारा किया गया था ऐसी मान्यता है। उन्होंने ने तीन दिवसीय महोत्सव को उत्साहवर्धक होने के साथ संदेश मूलक भी बताया।

प्रथम दिन महोत्सव में विभिन्न हिस्सों से आए मशहूर कलाकारों ने अपनी कला की मार्फत एक से बढ़कर एक गीत, नृत्य के माध्यम से लोगों का दिल जीत लिया। इसी कड़ी में सामाजिक सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में कार्य करने वाली चर्चित संस्था 'सृजन दर्पण' मधेपुरा के रंगकर्मियों ने 'उगना वियोग' नृत्य-नाटिका के जरिए संदेश मूलक प्रस्तुति दी। उगना वियोग से रंगकर्मियों ने यह दिखाने का प्रयास किया कि महाकवि विद्यापति भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उनकी भक्ति भावना से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं उनके घर पर उगना के भेष में सेवक का काम करते थे। यह बात सिर्फ विद्यापति जानते थे। उगना का शर्त यह था कि यह बात किसी को बताना नहीं है।जिस दिन बताओगे उसी दिन मैं चला जाऊंगा। इस बात से विद्यापति की पत्नी भी अनजान थी। एक दिन विद्यापति की पत्नी किसी बात पर क्रोधित होकर चूल्हा की जलती लकड़ी से मारने दौड़ी। ऐसा अनर्थ होता देख विद्यापति खुद को रोक नहीं पाए। और बोल उठे हां हां ई साक्षात महादेव छिए। और फिर शर्त के अनुसार शिव अंतर्धान हो गए। हर वक्त साथ-साथ रहने वाले महादेव के यूं चले जाने से विद्यापति का हृदय व्याकुल हो उठा।

विद्यापति के पुकार पर प्रगट हुए भगवान शिव 

उसी हृदयविदारक वेदना को रंगकर्मी विकास ने अपने जीवंत अभिनय मंच पर दिखाया। इसमें उन्होंने भारतीय लोक मानस में आदि काल से जमे विश्वास को मूर्त रूप संदेश पद मंचन के माध्यम से दिया।नृत्य- नाटक के जरिए रंगकर्मीयो ने यह संदेश दिया कि सच्चे हृदय की पुकार पर भगवान भी स्वयं भक्त के पास हाजिर हो जाते हैं। विद्यापति की करूण पुकार पर जब आदि देव भगवान शंकर मंच पर अवतरित हुए तब दर्शक वर्ग कलाकारों के बेहतरीन अभिनय देख कर भाव विभोर हो गए।विद्यापति की जीवंत भूमिका में थे चर्चित रंगकर्मी और निदेशक विकास कुमार वही उगना का किरदार भावेश कुमार ने निभाया। महोत्सव में मुख्य रूप से महिषी विधायक गूंजेश्वर साह, बिहार विधान परिषद सदस्य अजय कुमार सिंह, एसडीएम ज्योति कुमार, उप विकास आयुक्त संजय कुमार निराला, एसडीओ सदर प्रदीप झा, वरिष्ठ उपसमाहर्ता सुरभि, भूमि सुधार उपसमाहर्ता सदर ललित कुमार सिंह, सांसद प्रतिनिधि अंजुम हुसैन, युवा नेता संतोष संगम, न्यास सचिव केशव चौधरी आदि एवं बड़ी संख्या में दर्शकगण मौजूद थे।

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