सिंहेश्वर मधेपुरा
रालोजद के कार्यकर्ताओं ने रविशंकर कुमार उर्फ पिंटू मेहता की अध्यक्षता में जातीय गणना के आंकड़े को गलत बताते हुए पुनः इसकी जांच कर प्रकाशित करने की मांग करते हुए कला भवन मधेपुरा में धरना दिया। और डीएम मधेपुरा को इस आशय का एक ज्ञापन दिया। अपने ज्ञापन में उन्होंने कहा सामाजिक और आर्थिक सर्वे के पहले चरण के जारी जातिगत आंकड़ों में कई तरह की विसंगतियां हैं। यह भी जानकारी मिल रही है कि हजारों-लाखों परिवार ऐसे हैं, जिनके यहां कोई भी व्यक्ति सर्वे करने गया ही नहीं। ऐसे में इस बात की बड़ी आशंका है। कि या तो उनका विवरण सर्वे में आया ही नहीं या पड़ोस से आधी-अधूरी जानकारी लेकर सर्वे में डाल दी गई है। मौजूदा सरकार ने सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए कई जातियों के आंकड़ों को कम करके दिखाने का काम किया है। दर्जन भर से ज्यादा जातियों को कमतर दिखाया गया है। जबकि जमीनी हालात इससे बेहद अलग हैं। ऐसे में जो जातियां पहले से ही कमजोर हैं। उनको आगे भी नीतियों में कई तरह का नुकसान उठाना पड़ेगा। इन विसंगतियों को ठीक किए बगैर भविष्य में अपनाई जाने वाली किसी भी नीति में सम्पूर्णता का अभाव रहेगा। यही नहीं, अब तो यह भी सामने आ रहा है कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में बहेलिया जाति, चंद्रवंशी कहार, कर्मकार जाति और माली मालाकार जातियों जो संख्या बताई गई है। वह इथनोग्राफी अध्ययन से कम है। इन तीनों जातियों का इथनोग्राफी अध्ययन भी सामान्य प्रशासन की ओर से कराया गया है। इथनोग्राफी रिपोर्ट ए एन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान,पटना द्वारा किया गया है। इथनोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार बहेलिया जाति की संख्या 67,535 है, जबकि जाति गणना में इसकी संख्या 8026 बताई गई है। इसी तरह से कहार की संख्या इथनोग्राफी रिपोर्ट में 30,32,800 बताई गई है। जबकि जाति गणना में इनकी संख्या सिर्फ 21,55,644 बताई गई है। वहीं माली की संख्या इथनोग्राफी रिपोर्ट में 13,15,465 बताई गई है। जबकि जाति गणना में इनकी संख्या सिर्फ 3,49,285 ही बताई गई है। लगभग कमजोर जातियों में इस तरह की विसंगतियां हैं। ऐसे में जिन जाति वर्गों को यह लगता है कि उनकी संख्या को जान-बूझकर कम दिखाया गया है या जिनकी गणना छूट गई है। उनके भीतर हमेशा ही असंतोष का भाव बना रहेगा। ऐसे में महामहिम से आग्रह होगा कि वे इसमें हस्तक्षेप करें और सम्पूर्ण आंकड़ों को जारी करने से पहले पंचायत स्तर पर आंकड़ों को दोबारा जांचा जाए। और जो परिवार इससे वंचित रह गए हैं उनके विवरण को भी सामाजिक आर्थिक सर्वे का हिस्सा बनाया जाए।
एक बात और सामाजिक आर्थिक सर्वे को जारी करने से पहले और कोर्ट में दिए हलफनामा के अनुसार किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी को पब्लिक नहीं किया जाना है। लेकिन जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की जानकारी को लीक किया है। वो आपराधिक घटना है। जबकि हमारे नेता कई बार कह चुके हैं कि उनसे किसी ने भी कोई सर्वे नहीं किया गया है। जाहिर है जेडीयू की तरफ से फर्जी आंकड़ा जारी किया गया। साथ में, यह भी महत्वपूर्ण है कि सर्वे में जुटाई गई जानकारी की गोपनीयता संदिग्ध है। इन सभी पहलुओं पर महामहिम से संज्ञान लेने का आग्रह है। धरना में
मौके पर सीताराम कुशवाहा, प्रदेश महासचिव प्रो.मृत्युंजय मेहता, युवा रालोजद प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो.अभिषेक कुशवाहा, रालोजद नेता सह पूर्व विधानसभा प्रत्याशी मो. इफ्तिखार आलम गुड्डू, नवल किशोर मेहता, रामचंद्र मेहता प्रखंड अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार मेहता, प्रखंड अध्यक्ष बिहारीगंज रविंद्र मेहता, जिला उपाध्यक्ष मधेपुरा गुलाब देवी, जिलाध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ, बिजेंद्र मेहता जिला महासचिव, श्याम मेहता, सिकंदर शर्मा, प्रोफेसर आनंदी पंडित, पंकज मेहता, पंकज कुशवाहा, दीपक नारायण मेहता, दिलीप कुमार मेहता, हंसी ऋषिदेव, मनोज ऋषिदेव, रामचंद्र ऋषिदेव, धुरन ऋषिदेव, मुकेश ऋषिदेव, राकेश कुमार, महेन्द्र मेहता, योगानंद भारती, उमेश पंडित, मंटु राम, उमानंद ऋषिदेव, शिव कुमार मेहता, राहुल कुमार, आनंद कुमार, विद्यानंद मेहता, रंजू देवी, गीता देवी, तेतरी देवी, अमला देवी, लिया देवी, रंजीत कुमार, सुमित्रा देवी आदि शामिल थे।
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