मधेपुरा।
सुकेश राणा की कलम से
जीएसटी के नियमों का पालन नहीं करने वाले मधेपुरा शहर के 18 जीएसटीएन व्यवसायी पर वाणिज्य कर विभाग ने शोकॉज किया है। यह वह व्यापरी है जो जीएसटी रजिस्टर्ड होने के बावजूद दुकान के बोर्ड पर जीएसटी नंबर डिसप्ले नहीं किया था। विभाग का कहना है कि संतोषजनक जवाब नहीं आने पर सभी पर जुर्माना लगाया जाएगा। विभाग के इस एक्शन से सभी जीएसटीएन व्यापारी व फार्म में हड़कंप मच गया है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मधेपुरा जिला में लगभग 5900 जीएसटीएन व्यापारी हैं। लेकिन बहुत कम व्यापारी ही इस नियम का पालन कर रहे हैं। अब मधेेपुरा जिला के वाणिज्य कर पदाधिकारी इसको लेकर पूरे जिले में ड्राइव चलाने वाले हैं। विभाग का स्पष्ट करना है कि जिसने भी जीएसटी लिया है, ऐसे सभी व्यापारी को अपने फर्म के बाहर जीएसटीएन नंबर जरूर लगाना होगा। नहीं तो पेनाल्टी भरना होगा। मालूम हो कि मधेपुरा शहर में 550 से अधिक जीएसटीएन व्यापारी है। जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा मधेपुरा शहर में उसके बाद मुरलीगंज में जीएसटीएन व्यापारी है। विभाग का कहना है कि निबंधित दुकानदारों को दुकानों के बोर्ड में जीएसटी नंबर लिखना है। सामग्रियों के टैक्स रेट की सूची लगानी है। कंपोजिशन स्कीम के दायरे में आने वालों को इसका उल्लेख करना है। ग्राहकों को देने वाले बिल में उन्हें यह लिखना अनिवार्य है कि हम टैक्स लेने के लिए अधिकृत नहीं हैं। दूसरी ओर व्यापारीवर्ग या तो नियम से अंजान हैं या जान बूझकर नियम की अनदेखी कर ग्राहकों का शोषण कर रहे हैं। बताया गया कि यदि व्यापारी ने कंपोजिशन स्कीम ली है तो उसे भी इस बोर्ड पर दर्शाना पड़ेगा। जिस-जिस जगह से करदाता व्यापार करता है, उन सभी जगहों पर फॉर्म और कंपनी के नाम के साथ जीएसटीआईएन भी अब लिखा जाएगा। इस नियम के तहत सभी दुकानों, कार्यालयों के बोर्ड पर लिखना होगा। इसी तरह से जीएसटी पर यह भी प्रावधान है कि पंजीकृत करदाता अपना जीएसटी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफि केट अपनी दुकान कार्यालय या फैक्ट्री में डिसप्ले करके रखें। कर अधिकारी का कहना है कि जीएसटी के नए नियम से माल खरीदने वाले व्यापारी बोर्ड पढ़कर ही जान जाएंगे कि इनसे सामान लेने में लाभ होगा या हानि। यह सरकार की अनूठी पहल है। सभी प्रतिष्ठान में जीएसटी सार्टिफिकेट को वैसे स्थान पर लगाना है, जहां ग्राहक की आसानी से नजर पड़ सके। इससे ग्राहकों को यह भी पता चलेगा कि जाे व्यवसायी का प्रतिष्ठान जीएसटी से निबंधित नहीं है। वह किसी भी हाल में ग्राहकों से जीएसटी के नाम राशि वसूल नहीं कर सकता है। अगर बिना निबंधित प्रतिष्ठान ग्राहकों से जीएसटी के नाम टैक्स वसूलता है। तो नियमानुसार प्रतिष्ठान के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान है। जानकार बताते हैं कि ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए बिहार माल एवं सेवाकर नियमावली 2017 के नियम 18 में यह प्रावधान किया गया है कि सभी निबंधित व्यवसायी को अपने मुख्य व्यवसाय स्थल सहित सभी व्यवसायिक स्थल पर अपने निबंधित प्रमाण पत्र एवं जीएसटी नंबर को डिस्प्ले करना अनिवार्य किया गया है। इसका उल्लंघन करने पर वर्णित अधिनियम की धारा 125 के अंतर्गत 50 हजार रुपए पेनाल्टी लगाए जाने का प्रावधान है। शहर में टैक्स चोरी को रोकने और ग्राहकों को अनिवार्य रूप से बिल दिए जाने की दिशा में विभाग ने ठोस कदम उठाया है। अगर अब कोई भी व्यापारी, कारोबारी या उद्योगपति अपने कारोबार या बिजनेस प्लेस पर जीएसटी सर्टिफिकेट और नंबर यानी अपने जीएसटी नंबर और सर्टिफिकेट को बिजनेस प्लेस के एंट्रेस और बिलिग काउंटर पर डिस्पले नहीं करता तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। यहां तक की बार-बार इस नियम की अनदेखी करने और टैक्स चोरी पकड़े जाने पर जीएसटी नंबर रद किया जा सकता है। ई-मेल और वाट्सएप पर कर सकते हैं शिकायत :: अगर कोई कारोबारी या व्यापारी सामान खरीदने पर ग्राहक को बिल देने से इंकार करता है या फिर उस कारोबारी के बिजनेस प्लेस पर किसी ग्राहक को जीएसटी सर्टिफिकेट और नंबर डिसप्ले पर नहीं दिखाई देता है तो वह इसकी शिकायत सदर एसडीएम कार्यालय के ठीक पीछे कार्यालय में आकर शिकायत कर सकते हैं या विभाग को ई-मेल और वाट्सएप के जरिए भी कर सकता है। मधेपुरा के वाणिज्य कर अधिकारी केके यादुवेंदु ने कहा कि जीएसटीएन को अपने दुकान के आगे बोर्ड लगाना अनिवार्य है। इससे क्रेता व विक्रेता के बीच विश्वास का रिस्ता कायम होता है। हमलोग डिस्पले को लेकर पूरे जिले में ड्राइव शुरू कर रहे हैं।
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