कोर्ट, राजभवन व सरकार के आदेश भी बीएनएमयू में फांक रहे धूल। निशुल्क शिक्षा की आड़ में बीएनएमयू ले रही डबल फायदा

 



महाविद्यालय में चिपका रेट चार्ट 




निशुल्क शिक्षा में एआईएसएफ की चार सदस्यीय टीम की जांच में खुलासा




सिंहेश्वर मधेपुरा


 वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद सदस्य हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने शुक्रवार को बीएनएमयू कुलपति एवम् कुलसचिव को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय अंतर्गत सभी महाविद्यालयों में चल रहे छात्र छात्राओं के बड़े स्तर पर शोषण का खुलासा किया है। विगत कई सप्ताह से एआईएसएफ की चार सदस्यीय टीम ने हर्ष वर्धन सिंह राठौर के नेतृत्व में गोपनीय तरीके से बीएनएमयू अंतर्गत सभी कॉलेजों की एडमिशन प्रक्रिया की तहकीकात की तो कई चौकाने वाले खुलासे सामने आए। इस संबंध में हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि सरकार और राजभवन के सामने लगातार निशुल्क छात्रा व एससी, एसटी शिक्षा की बात करने वाले बीएनएमयू के सभी कॉलेजों में खुलेआम फीस लिया जा रहा है। जो राज्य सरकार, राजभवन व उच्च न्यायालय के सख्त आदेश की सीधे अवहेलना है। इसके पीछे का मूल कारण बीएनएमयू की सोच में खोंट होना है। छात्र संगठन एआईएफएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कुलपति को पत्र लिख बीएनएमयू की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए इसे लचर व्यवस्था व मनमानी बताया है। और कहा कि विश्वविद्यालय दोनों हाथों में लड्डू का आनंद ले रहा है। इधर छात्र छात्राओं से भी फीस और उधर सरकार से क्षति पूर्ति भी ले रहा है।


 कोर्ट व शिक्षा विभाग द्वारा निशुल्क शिक्षा लागू करने का है सख्त आदेश।


 एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि निशुल्क शिक्षा के संबंध में तत्कालीन सरकार के संयुक्त सचिव सुनील कुमार सिंह ने 24 जुलाई 2015 को राजभवन के आदेश के हवाले से निशुल्क शिक्षा की घोषणा करते हुए एडमिशन के समय किसी प्रकार का शुल्क नहीं लेने का आदेश जारी किया था। वहीं उच्च न्यायालय पटना में सीडब्लूजेसी संख्या 815/2020 में रंजित पंडित बनाम राज्य सरकार में कोर्ट का स्पष्ट निर्णय है कि निशुल्क शिक्षा को हर हाल में लागू ही नहीं किया जाए बल्कि चौबीस जुलाई 2015 के बाद लिए गए शुल्क को  वापस करने की गारंटी भी की जाए। इस संबंध में 17 जुलाई 2021 को अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग द्वारा विभागीय संकल्प संख्या 1475 दिनांक 24/7/2015 के आलोक में बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में निशुल्क शिक्षा व  पूर्व में लिए गए शुल्क के वापसी की समीक्षा की गई थी। जिसमें अधिकांश विश्वविद्यालयों ने शुल्क वापसी की बात कही थी। जिसमें बीएनएमयू संतोष जनक जवाब नहीं दे पाया था।



 सरकारी आदेश के बाद भी ली जाती है खुलेआम फीस।


राठौर ने विश्वविद्यालय की नियत पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बीएनएमयू ने सरकार द्वारा घोषित फ्री गर्ल्स, एससी ,एसटी एजुकेशन के प्रचार प्रसार पर गंभीरता नहीं दिखाई। जिसका परिणाम है कि अभी भी विभिन्न स्तरों पर खुलेआम एडमिशन के समय फीस ले लिया जाता है।बीएनएमयू प्रशासन ने इस पर रोक लगाने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं अपनाए। राठौर ने यह भी आरोप लगाया कि इसी लिए जान बूझकर एडमिशन के नोटिस पर निशुल्क शिक्षा की चर्चा नहीं की जाती है। छात्र नेता राठौर ने कुलपति को लिखे पत्र के साथ बीएनएमयू अंतर्गत सभी तीनों जिलों के सरकारी कॉलेज में बकायदा नोटिस निकाल छात्रा एवम् एससी, एसटी छात्रों से फीस लेने का साक्ष्य भी दिया है।राठौर ने मांग किया है कि अविलंब इसपर रोक लगाते हुए छात्र, छात्राओं की फीस वापस की जाए और निशुल्क शिक्षा के आदेश की अवहेलना करने वाले प्रधानाचार्यों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गारंटी की जाए।छात्रों के साथ हो रहे इस डकैती के खिलाफ राठौर ने अन्य छात्र संगठनों को भी एकजुट हो विरोध करने की अपील की है।

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