दोषियों पर कारवाई और एडमिशन शुल्क वापसी की गारंटी करे बीएनएमयू
सिंहेश्वर मधेपुरा
शुक्रवार को वाम छात्र संगठन एआईएफएफ द्वारा बीएनएमयू अंतर्गत तीनों जिलों के अधिकांश कॉलेजों में सरकार द्वारा एससी एसटी छात्रों एवम सभी वर्ग की छात्राओं के लिए निशुल्क शिक्षा के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए मनमाने तरीके से फीस लेने की साक्ष्यपूर्ण शिकायत के बाद बीएनएमयू हरकत में आया और सोमवार को कुलसचिव ने सभी कॉलेजों एवम पीजी विभाग को कड़ा पत्र लिख सख्ती से निशुल्क शिक्षा को लागू करते हुए एडमिशन के समय किसी भी प्रकार के फीस नहीं लेने का आदेश कुलपति के हवाले से जारी किया है। वहीं अलग अलग कॉलेजों में असमान फीस की शिकायत पर भी विश्वविद्यालय ने गंभीरता दिखाते हुए राजभवन द्वारा निर्धारित समान फीस लेने का आदेश जारी किया है। साथ ही पत्र में यह भी कहा है कि इसका पालन नहीं करने पर संबंधित हेड अथवा प्रधानाचार्य दोषी होंगे। इस पर एआईएफएफ नेता हर्षवर्धन सिंह राठौर ने कुलपति को पुनः पत्र लिख इसे दोषी प्रधानाचार्यों को बचाने वाला आधा अधूरा फैसला बताया है। राठौर ने पत्र में कहा कि हर बार जब छात्र संगठन साक्ष्य के साथ ऐसी घटनाओं की शिकायत करता है। तब भविष्य में ऐसा न करने का आदेश जारी कर विश्वविद्यालय अपना पल्ला झाड़ लेता है।
2015 से ऐसे आदेश निकाल बीएनएमयू छात्रों का करोड़ो रुपए पचा गया
छात्र नेता राठौर ने कहा कि 2015 से बीएनएमयू यही लुकाछिपी का खेल खेलकर छात्रों का करोड़ों रुपया पचा गया। निशुल्क शिक्षा में शुल्क लेने की शिकायत पर अगर एक बार भी दोषियों पर कारवाई सख्ती से हो तो दुबारा कोई ऐसी हरकत नहीं करेगा। लेकिन हर बार नया आदेश निकाल ऐसा न करने की बात कह दी जाती है।राठौर ने शंका व्यक्त किया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि इस तरह की कमाई में बड़े पदाधिकारियों को भी शेयर जाता है। राठौर ने साफ शब्दों में कहा बीएनएमयू ऐसा फरमान निकालने की औपचारिकता निभाने के बजाय दोषियों पर कार्रवाई की गारंटी करे। साथ ही एडमिशन के नाम पर लिए गए फीस को तुरंत वापस भी करे। क्योंकि हर बार कॉलेज अथवा पीजी विभाग यह गलती दोहराते हैं। और एडमिशन के नाम पर लिए फीस का गोलमाल कर जाते है। और वो वापस नहीं हो पाता है। वहीं राठौर ने यह भी मांग किया कि राजभवन द्वारा अगर कोई समान शुल्क निर्धारित किया गया है। तो उसे सार्वजनिक किया जाए जिसकी जानकारी सबको हो जिससे इसमें भी गोलमाल की संभावना न उत्पन हो जाए। वहीं राठौर ने साफ किया कि एक से दो दिनों में अगर फीस वापसी और समान फीस के सार्वजनिक की गारंटी न हुई तो संगठन आंदोलन की ओर बढ़ेगा।
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