कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए, कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए।

 





नागरिक संसद द्वारा  दुष्यंत कुमार की याद कवि गोष्ठी का आयोजन


 मधेपुरा।

हिन्दी के मशहूर गजलगो दुष्यंत कुमार की याद में नागरिक संसद, मधेपुरा द्वारा कवि गोष्ठी व मुशायरा का आयोजन गोशाला परिसर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्धाटन टीपी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. परमानंद यादव ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कुलानुशासक डॉ. विश्वनाथ विवेका मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आद्यानंद यादव और संचालन संस्था के सचिव शंभू शरण भारतीय ने किया। कार्यक्रम का उद्धाटन करते डॉ. परमानंद यादव ने कहा कि 70 के दशक में दुष्यंत की शायरी आपातकालीन व्यवस्था के दौर में आंदोलनकारियों का नारा बन गया था। जिसमें उसकी कही- सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकशद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहीए। उन्होंने कहा कि दुष्यंत कुमार की व्यवस्था विरोधी शायर थे। मुख्य अतिथि डॉ. बीएन विवेका ने कहा कि दुष्यंत की गजलें आज भी प्रासंगिक है। जिसे आज के युवा को जानना जरूरी है। कार्यक्र में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सचिव शंभू शरण भारतीय ने कहा कि दुष्यंत कुमार की कविताएं सिर्फ कविता ही नहीं, बल्कि जनआंदोलन हैं। दुष्यंत कुमार की कविताएं सड़क से लेकर संसद तक आज भी पढ़ी जाती हैं। उनकी कविताएं आम आदमी की आवाज को आज भी बुलंद करती हैं। उन्होंने सरल भाषा में अपनी गजल कहीं। उन्हें हिंदी गजल का प्रणेता भी कहा जाता है। कार्यक्रम को कवि अभिनंदन मंडल, शंभूनाथ अरूणाम, डॉ. विनय कुमार चौधरी, प्रो. सचिन्द्र, डॉ. सुरेश कुमार भूषण, डॉ. सीताराम शर्मा, डॉ. सुरेश कुमार, मदन कुमार, किसान संसद के अध्यक्ष शंकर कुमार, संदीप कुमार ने भी संबोधित किया।  


Post a Comment

और नया पुराने