72.32 करोड़ से शहर में बनने वाली स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम काम इस साल के अंत में होगा शुरू




मधेपुरा ।


अब शहर में जलजमाव कुछ दिनों की मेहमान है। मधेपुरा 2025 के बाद से जलजमाव से मुक्ति हो जाएगी। सरकार द्वारा इसकी मंजूरी मिलने के बाद निर्माण करने वाली एजेंसी बुडको ने तैयारी शुरू कर दी है। बुडको के अनुसार इस साल के दिसम्बर माह से निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा। खुशी की बात है कि पूरा निर्माण कार्य एक ही फेज में कराया जाएगा। स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम बन जाने के बाद लोगों को काफी राहत मिलेगी। अभी शहर में ड्रेनेज सिस्टम नहीं रहने के कारण जल जमाव की समस्या बनी रहती है। शहर को शायद ही कोई भाग हो, जहां जलजमाव की समस्या नहीं है। जानकारी की माने तो पहली बार एक साथ सभी 26 वार्ड में निर्माण कार्य शुरू होगा। जेई दिनेश दास बताते हैं कि इस योजना की खास बात है कि पहले जहां कोई योजना किसी खास जगह के लिए होता था। लेकिन उसमें इंटरकनेक्टिंग की सुविधा नहीं थी। जिसके कारण जलजमाव व गंदगी की स्थिति जस की तस रहती है। लेकिन इस योजना में सभी नाला एक दुसरे से इंटरकनेक्ट होगा। उन्होंने बताया कि योजना का डीपीआर भी फाइलन है। मालूम हो कि इस योजना पर दस साल से कार्य चल रहा था। पूर्व में भी इसका डीपीआर तैयार किया गया था। लेकिन इस बार सरकार ने इसकी मंजूरी दी है। वहीं इस बार स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम  के तहत सभी 26 वार्ड में एक साथ कार्य शुरू होगा। मालूम हो कि हाल के दिनों में शहर की जनसंख्या में अत्याधिक बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन उस हिसाब से शहर के ड्रेनेज सिस्टम का विकास नहीं हो सका था। अभी जो भी ड्रेनेज सिस्टम है उसके निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। मोहल्ले में भी जो नाला बनाए गए हैं वह सही तरीके से मेन नाला से कनेक्ट नहीं हुआ है। स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम बन जाने से शहर को जल जमाव से मुक्ति मिल जाएगी। शहर में बनने वाला  स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम की लंबाई 18.5 किलोमीटर होगा। वहीं नाला आरसीसी बॉक्स टाईप का होगा। जिसकी चौड़ाई कम से कम 0.9 मीटर तथा अधिकतम 1.8 मीटर होगा। इस योजना को मधेपुरा के जनसंख्या व क्षेत्रफल के आधार पर बनाया जा रहा है।  स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम के ऑउटफॉल के लिए शहर में सात जगह चिन्हित किया जाएगा। जिसमें केबी वीमेंस कॉलेज के पीछे वाली नदी, जयपालपट्‌टी रोड के पूरब नदी, सुखासन पुल के समीप, मिशन रोड वाली रेलवे ब्रीज के समीप, साहुगढ़ पूल के समीप, तथा मुरलीगंज जाने वाली रोड स्थित गुमटी नदी के समीप वाली जगह को चिन्हित किया गया है।  जानकार बताते हैं कि स्टॉर्मवाटर ड्रेनेज सिस्टम बारिश के पानी की निकासी के लिए बनाया जाता है। इसमें सीवरेज से अलग कॉलोनियों में सड़कों के साथ-साथ अंडर ग्राउंड नाले का निर्माण किया जाता है। इसका लेवल इस तरह से तैयार किया जाता है, जिसमें तेजी से बारिश के पानी की निकासी हो सके। इस सिस्टम से कहीं पर नाले ओवरफ्लो नहीं होते हैं। निकासी हुए पानी को इसके बाद कहीं पर डिस्पोजल किया जाता है। स्टॉर्म जल प्रबंधन प्रक्रिया से भू-जल स्तर के बुनियादी ढांचे को भी सुधारा जा सकता है। इस जल प्रबंधन प्रक्रिया में वर्षा के जल का संचयन करने के लिए संग्रह गड्ढों को जल निकासी प्रणाली से जोड़ दिया जाता है और इस जल का उपयोग भूमिगत जल स्तर सुधारने में किया जाता है। साथ ही साथ जल जमाव से छुटकारा भी मिल जाता है। 72.32 करोड़ वाले इस प्रोजेक्ट में एसटीपी यानि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में जलप्रदुषण का खतरा बढ़ जाएगा। मालूम हो कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रदूषण के खिलाफ पर्यावरण को बचाता है। एसटीपी प्लांट से गंदे और दूषित पानी को फिर से इस्तेमाल करने लायक बनाया जाता है। दरअसल एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए दूषित पानी में से रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म किया जाता है और हानिकारक जीवाणुओं को मार दिया जाता है। 


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